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किसानों को दलहनी फसलों के बीज खरीदने पर मिलेगी 50 प्रतिशत की सब्सिडी, यहाँ करें आवेदन

किसानों को दलहनी फसलों के बीज खरीदने पर मिलेगी 50 प्रतिशत की सब्सिडी, यहाँ करें आवेदन
पोस्ट -18 मार्च 2024 शेयर पोस्ट

सरकार 50 प्रतिशत सब्सिडी पर दे रही दलहनी फसलों के बीज, किसान यहां करें अपना पंजीकरण

Mung Seeds : किसानों को कम लागत में अधिक लाभ दिलाने के लिए सरकार दलहनी (Pulse) फसलों की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए कृषि विभाग की मदद से कई तरह की योजनाएं संचालित की जा रही है। इन योजनाओं के माध्मय से किसानों को बेहतर प्रजातियों के विभिन्न फसलों के बीज सब्सिडी पर उपलब्ध करवाए जाते हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में किसानों की आय बढ़ाने के लिए योगी सरकार (Yogi Sarkar) की मंशा के अनुसार, दलहनी फसलों (pulse crops) की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसके लिए राज्य कृषि विभाग द्वारा किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी पर मूंग (Moong) के बीज उपलब्ध कराया जा रहा है। अगर आप मूंग की खेती (Mung Farming) के लिए सब्सिडी (Subsidy) पर बीज (Seed) खरीदना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको पहले विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर अपना पंजीकरण कराना होगा। वहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) की नेतृत्व वाली डबल इंजन सरकार 2027 तक यूपी को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था (economy) बनाने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम कर रही है। इसी के तहत यूपी में निशुल्क बीज वितरण योजना का संचालन 2027 तक करने को मंजूरी दी गई है। तिलहनी और दलहनी फसलों (Crop) के उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि करने के कृषि विभाग प्रदेश के किसानों को वित्तीय वर्ष 2026-27 तक दलहन (pulses) और तिलहन (oilseeds) फसलों के मिनी बीज किट निशुल्क उपलब्ध कराएगा। आइए, जानते हैं कि मूंग बीज (Seed) सब्सिडी पर खरीदने के लिए किसानों को कहां और कैसे पंजीयन (Registration) कराना है। 

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मूंग के बीज (Seed) खरीदने पर मिलेगी सब्सिडी

प्रदेश सरकार यूपी को तिलहन व दलहन (Oilseeds and Pulses) के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना चाहती है। इसके लिए राज्य सरकार दलहनी योजना के अंतर्गत दलहन की खेती करने वाले किसानों को उड़द, मूंग, अरहर, चना, मटर और मसूर (Urad, Moong, Pigeon pea, Gram, Peas and Lentils) दलहनी फसलों के बीज (Seed) खरीदने पर सब्सिडी देती है। वहीं, सीमांत और लघु सीमांत किसान, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों को निःशुल्क बीज वितरण योजना (Free Seed Distribution Scheme) के अंतर्गत दलहनी और तिलहन फसलों के बीज (Seed) की निशुल्क मिनी किट दी जाती है। उत्तर प्रदेश के रायबरेली में किसानों की आय दोगुनी करने के लिए उन्हें मूंग के बीज पर अनुदान दिया जा रहा है, जो इच्छुक किसान सब्सिडी पर बीज खरीदना चाहते हैं वे पहले विभाग की वेबसाइट पर अपना पंजीकरण करवा लें। रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के सहायक विकास अधिकारी के अनुसार, दलहनी फसल की खेती करने वाले किसानों को मूंग के बीज (Seed) खरीदने पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी। यह अनुदान राजकीय कृषि केंद्र यूपी सरकार द्वारा ग्रीष्मकालीन मूंग के बीज खरीदने पर दिया जाएगा।

खाते में भेजी जाएगी अनुदान राशि

सहायक विकास अधिकारी के मुताबिक, मूंग के बीज (Seed) पर प्रदान की जा रही अनुदान राशि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण यानी डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से लाभार्थी किसानों के खाते में भेजी जाएगी। ऐसे में जनपद के जो किसान ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती के लिए अनुदान पर बीज (Seed) खरीदना चाहते हैं वे पहले राजकीय कृषि विभाग उत्तर प्रदेश की वेबसाइट पर अपना पंजीकरण अवश्य करवा लें और बीज की खरीदारी करें। वहीं, जो किसान वेबसाइट पर पहले से पंजीकृत है उन्हें दुबारा पंजीकरण कराने की कोई आवश्यकता नहीं है। ऐसे पंजीकृत किसान बीज केंद्रों से सीधे बीज खरीद सकते हैं। बीज (Seed) खरीदने वाले किसानों को दलहनी योजना के तहत मूंग बीज की लागत कीमत पर 50 प्रतिशत का अनुदान सरकार की तरफ से दिया जाएगा। सहायक विकास अधिकारी के मुताबिक रायबरेली जनपद में बड़ी संख्या में किसान मूंग की खेती करते हैं। शिखा व सम्राट मूंग की दो उन्नतिशील किस्म की प्रजातियां रायबरेली जनपद की मिट्टी के लिए सुलभ मानी जाती हैं।  जो भी किसान इन प्रजातियों के मूंग की खेती करना चाहते हैं वे बीज खरीदने से पहले अपना रजिस्ट्रेशन करवा लें। 

इन राज्यों में की जाती है मूंग की खेती

दलहनी (Pulse) फसलों में मूंग अपना एक अहम स्थान रखती है। इसे पोषक तत्वों के साथ शक्ति-वर्द्धक दलहन फसल माना गया है। मूंग में प्रोटीन (protein) के साथ-साथ रेशे एवं लौह तत्व भी भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं। इसमें 25 प्रतिशत प्रोटीन, 60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 13 प्रतिशत फैट (वसा) तथा अल्प मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। मूंग दाल का उपयोग से शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी पूरी होती है। अंकुरित मूंग दाल में आयरन, कैल्शियम,  प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा विटामिन जैसे पोषक तत्वों की मात्रा  डबल हो जाती है।  मूंग जल्दी पकने वाली और उच्च तापमान को सहन करने वाली दलहन फसल (Crop) है। किसान इसकी खेती 60 से 75 सेमी तक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में आसानी से कर सकते हैं।

राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसान मूंग की खेती खरीफ, रबी और जायद तीनों मौसम में सफलतापूर्वक कर सकते हैं। मूंग की खेती किसान मार्च से अप्रैल के दौरान खेतों से आलू की खुदाई, गेहूं व सरसों की कटाई के बाद खाली खेत में कर सकते हैं। किसान मूंग की खेती के लिए इसकी उन्नत प्रजातियों जैसे आर एम जी-62, आर एम जी-268, एस एम एल-668, पूसा वैसाखी, जवाहर 45, के-851, पूसा 105, पीडीएम-44, एमएल -131, जवाहर मूंग 721, पीएस -16, एचयूएम-1, किस्म टार्म 1, टीजेएम -3 इत्यादि किस्मों की बुवाई कर 65 से 90 दिनों के बाद 8 से 15 क्विंटल/हैक्टर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। 

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