भारत में मुख्य रुप से गन्ने की खेती नगदी फसल के लिए की जाती है। इसकी खेती लगभग हर राज्य में बड़े स्तर पर होती है। गन्ना, राज्यों की नहीं बल्कि भारत के लिए भी महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसलों में से एक है। गन्ने की खेती देश में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देती है। तथा विदेशी मुद्रा प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। संपूर्ण भारत में गन्ने की औसत उत्पादकता लगभग 720 क्विटल/हेक्टेयर है। गन्ना उत्पादक में उत्तर-प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, पंजाब, हरियाणा व बिहार आदि प्रमुख राज्य है। गन्ने का सबसे ज्यादा उत्पादन उत्तरप्रदेश राज्य से होता है, जो कि कुल उत्पादन का करीब 50 प्रतिशत है। वहीं, बिहार में करीब 2.40 लाख हेक्टेयर में गन्ना की खेती होती है। कई राज्य सरकारें गन्ने का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहन कर रहे है। इसके लिए राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर योजनाएं भी चला रही है। इस क्रम में बिहार सरकार इस साल मुख्यमंत्री गन्ना विकास कार्यक्रम के जरिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। राज्य में गन्ना उत्पादन को बढ़ने के लिए किसानों को बीच जागरुकता फैलाई जा रही है। बिहार सरकार गन्ना खेती में लागत को कम करने लिए इस साल राज्य में गन्ना की खेती करने वाले किसानों को अनुदान देने का निर्णय लिया है। बता दें कि इस साल खरीफ फसलों में हुए नुकसान की भरपाई के लिए किसानों ने गन्ना की शीतकालीन फसल भी लगाई है।
दरअसल किसानों को गन्ने की खेती करने में बुुवाई से लेकर कटाई तक में कई तरह के चुनौती पूर्ण कार्य करने में कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। गन्ने की खेती में ज्यादा समय एवं मजदूरों की आवश्यकता होती है। जिस वजह से गन्ने की खेती में लागत अधिक होती है और उत्पादन कम आता है। बढ़ती खेती की लागत के चलते किसानों का रुझान गन्ना की खेती में कम हुआ है। राज्य में गन्ना खेती करने वाले किसान को आर्थिक संकट से बचाने एवं गन्ना की पैदावार बढ़ाने के लिए बिहार गन्ना उद्योग विभाग की ओर से बायो फर्टिलाइजर और कंपोस्ट खाद की खरीद पर किसानों को 50 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है। विभान की ओर से गन्ना की खेती करने वाले किसानों को जैव उर्वरक और कार्बनिक पदार्थों वाली वर्मी कंपोस्ट खाद की खरीद पर 150 रुपये प्रति क्विंटल की दर से अनुदान राशि देने का प्रावधान किया है। एक हेक्टेयर के लिए 25 क्विंटल तक खपत होती है। इस स्कीम का फायदा अधिकतम 2.5 एकड़ यानी 1 हेक्टेयर जमीन पर मिलेगा। इस हिसाब से गन्ना की खेती करने वाला हर किसान अधिकतम 3,750 रुपए तक का अनुदान मिल सकता है।
बताया जा रहा है कि राज्य में इस साल खरीफ फसलों में हुए नुकसान की भरपाई के लिए कई किसान शरदकालीन गन्ना की खेती कर रहे हैं। गन्ने की खेती से इस साल किसानों को अधिक प्राप्त हो इसके लिए बिहार गन्ना उद्योग विभाग जैव उर्वरक और कार्बनिक पदार्थों वाली वर्मी कंपोस्ट खाद पर सब्सिडी देने का फैसला लिया है। बिहार सरकार का मानना है कि इससे फसल की लागत में कमी आएगी। साथ ही राज्य में गन्ने की जैविक खेती को बढ़ावा मिलगा और पैदावार भी बढ़ेगी। बिहार सरकार का कहना है कि शरदकालीन गन्ना की बुवाई 15 सिंतबर से 30 नवंबर तक की जाती है। बुवाई के बाद गन्ने की खेती में उर्वरक प्रबंधन का काम किया जाता है। गन्ने की खेती में बेधक कीटों के संकट से निपटने के लिए पहले से ही फसल को मजबूत बनाने की सलाह दी जाती है। ऐसे में बिहार सरकार गन्ना की जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है, वहीं, रोग रहित पैदावार बढ़ाने के लिए बायो फर्टिलाइजर और वर्मी कंपोस्ट की खरीद पर किसानों को अनुदान दिया जा रहा है।
गन्ना कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस आधुनिक दौर में नई तकनीक की मशीनों से गन्ने की खेती लागत में कमी हुई है। नई तकनीक की मशीनों एवं तकनीकों के आने से अब गन्ने की खेती करना आसान हो गया है। गन्ने की फसलों के पैदावार में बढ़ोतरी एवं गुणवत्ता में वृद्धि हुइ है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि किसान गन्ना फसलों के साथ आलू, चना, राई और सरसों की सह-फसल की खेती कर गन्ना की फसल से दो से चार गुना तक अधिक उत्पादन ले सकते हैं। इसके अलावा किसान इसकी खेती में मधुमक्खी पालन अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह सह-फसल की खेती में खाद-उर्वरक और सिंचाई के लिए अलग से खर्च नहीं करना पड़ता, बल्कि गन्ना की फसल में लगे संसाधनों से ही आपूर्ति हो जाती है।
बिहारा सरकार राज्य में गन्ना पैदावार बढ़ाने के लिए गन्ना खेती करने वाले किसानों को खाद, बीज पर अनुदान, उपज बेचने के लिए समुचित बाजार की व्यवस्था और खेती में नई तकनीक मशीनों के उपयोग के लिए सब्सिडी, बकाया राशि का भुगतान करने जैसी तमाम तरह की सहूलियत दे रही है। बिहार कृषि विभाग के कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रेंच विधि से गन्ना की खेती करने वाले किसान यदि फसल की सही देखभाल करें तो 250 से 350 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं। ट्रेंच विधि में गन्ना फसल खरपतवार से नियंत्रित भी रहती है और कतार बद्ध भी रहती है। इस विधि से उगाए गए गन्ने के रस में शक्कर की मात्रा भी ज्यादा होती है। साथ ही गन्ने की मोटाई भी सही रहती है।
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