PM Fasal Bima Yojana : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अब बीमा कंपनी की लेट-लतीफी का नुकसान किसान को नहीं उठाना होगा। अब क्लेम पेमेंट में देरी पर 12 फीसदी अधिक राशि किसानों को मिलेगी, जबकि इस योजना में गैर-ऋणी काश्तकार या बटाईदार को भी लाभ मिलेगा। यह जानकारी मंगलवार को संसद (Parliament) में प्रश्नकाल के दौरान केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने दी। उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से संबंधित प्रश्नों के जवाब देते हुए कहा कि किसानों की सहायता के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) चलाई जा रही है। सरकार ने इस योजना को सरल बनाने के लिए अनेक उपाय किए हैं, ताकि किसानों को योजना का लाभ लेने में कोई परेशानी न हो। मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एक और नवाचार हुआ है। अब नुकसान का आंकलन दृष्टिगत नहीं बल्कि रिमोट सेंसिंग के माध्यम से कम से कम 30 प्रतिशत करना अनिवार्य कर दिया गया है।
संबंधित प्रश्नों का जवाब देते हुए शिवराज सिंह ने कहा कि पिछली फसल बीमा योजनाओं में अनेक कठिनाइयां थीं, किसानों के लिए प्रीमियम अधिक था, दावों के निपटारे में देरी होती थी, किसानों और किसान संगठनों की अनेक आपत्तियां होती थीं। पीएम मोदी जब से नई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लेकर आए हैं तब से इस योजना में आवेदन दोगुने से ज्यादा बढ़े है। इस योजना में पहले केवल 3.51 करोड़ आवेदन आते थे, लेकिन अब 8.69 करोड़ आवेदन आए हैं, क्योंकि किसानों में विश्वास बढ़ा है। उन्होंने कहा इस योजना में अब 5.48 करोड़ गैर ऋणी किसानों के आवेदन आए हैं, जिनकी पहले संख्या केवल 20 लाख थी। पिछली सरकार में कुल किसान आवेदन 3.71 करोड़ थे, जो अब 14.17 करोड़ हो गए हैं। किसानों ने 32,440 करोड़ रुपये प्रीमियम दिया, जबकि उन्हें 1.64 लाख करोड़ रुपये का क्लेम दिया गया।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि पुरानी फसल बीमा योजना में बीमा अनिवार्य रूप से किया जाता था तथा बैंक स्वयं बीमा की प्रीमियम राशि काट लेते थे। सरकार ने इस विसंगति को दूर कर योजना को पूर्ण रूप से स्वैच्छिक कर दिया है। अब किसान चाहे तो बीमा करा सकते हैं और न चाहे तो न कराएं। उन्होंने कहा, पहले कर्ज मुक्त (गैर-ऋणी) किसान बीमा नहीं कराता था, लेकिन अब वह चाहे तो बीमा करा सकता है। अब बटाई पर खेती करने वाले बटाईदार किसानों को भी नुकसान की भरपाई इस योजना के माध्यम से की जाएगी। अगर राज्य सरकार सर्टिफाइड करती है, तो बटाईदारों को भी इस योजना का लाभ मिलता है और मिलेगा। अब तक इसमें 5 लाख 1 हजार हेक्टेयर कवर हो चुका है, जो 2023 में बढ़कर 5.98 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि 3.97 करोड़ किसान कवर हो चुके हैं तथा किसान लगातार फसल बीमा योजना को अपना रहे हैं। उन्होंने कहा, प्राकृतिक रूप से फसल खराब होती है तो पूरा भुगतान किसान को किया जाता है. प्राकृतिक रूप आग लगने से फसल बर्बाद होती है तो भी किसान को क्लेम मिलेगा।
केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि दावा भुगतान में देरी होने पर इंश्योरेंस कम्पनी 12 प्रतिशत पेनल्टी देगी, जो सीधे किसान के खाते में जाएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में किए गए इस नवाचार को इसी फसल सीजन से लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा, अगर क्लेम भुगतान विलम्ब के कारणों पर गौर करें तो सबसे बड़ा कारण अधिकांश राज्यों द्वारा प्रीमियम अनुदान में अपना हिस्सा जारी करने में विलम्ब है। उन्होंने कहा कि मेरा सभी राज्य सरकारों से अनुरोध है कि वे अपना हिस्सा जारी करने में देर न करें। कई बार उपज के आंकड़े देरी से प्राप्त होते हैं। कुछ मामलों में बीमा कम्पनी और राज्यों के बीच विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
उन्होंने कहा, पहले व्यवस्था थी कि जब राज्य सरकार अपनी राशि जारी करेगी, तभी केन्द्र सरकार अपना हिस्सा देगी, लेकिन केन्द्र सरकार ने अब प्रावधान कर दिया है और राज्य सरकार के हिस्से से स्वयं को अलग कर लिया है। इसलिए अब केन्द्र अपना हिस्सा तत्काल जारी करेगा, ताकि किसान को भुगतान में देरी न हो। किसान को कम से कम केन्द्र से मिलने वाली राशि तो समय पर मिलनी चाहिए। चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पूरे देश के हर जिले और हर किसान के लिए है। प्रधानमंत्री फसल बीमा के 3 अलग-अलग मॉडल हैं और उन मॉडल में केंद्र सरकार ही पॉलिसी बनाती है। राज्य सरकार जो मॉडल चाहती है, उसे चुनती है। यह फसल बीमा योजना हर राज्य के लिए जरूरी नहीं है, जो राज्य इसमें शामिल होना चाहते है वे इसे अपना सकते हैं और जो राज्य इसे नहीं अपनाना चाहते, वे नहीं अपना सकते।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारी सरकार किसानों के हित में अनेक उपाय कर रही है। उनमें से एक उपाय है किसान का उत्पादन बढ़ाना। प्रधानमंत्री के प्रयत्नों के कारण देश के अन्न के भंडार भरे हैं। अन्न के भंडार या फल या सब्जी के उत्पादन के बाद उसके उचित भंडारण के लिए 1 लाख करोड़ रूपए की एग्रो इन्फ्रा फंड की योजना हमारी सरकार लेकर आई। इस योजना के अंतर्गत पूरे देश में 31 राज्य सम्मिलित हैं। कुल मिलाकर 72 हजार 222 संरचनाएं, जिनकी लागत 76 हजार 305 करोड़ रूपए है। जिसका लाभ पूरे देश के किसान उठा रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत कोल्ड स्टोरेज का निर्माण किया जा सकता है। इसका निर्माण निजी निवेशक भी कर सकता है। उन्होंने कहा, कुसुम योजना के तीन कंपोनेंट, कुसुम-A, कुसुम-B और कुसुम-C, के अंतर्गत किसानों को सोलर पैनल सिंचाई की व्यवस्था दी जा रही है। वहीं, प्रधानमंत्री सूक्ष्म सिंचाई योजना के अंतर्गत 70 लाख हेक्टेयर जमीन इसके अंतर्गत लाई गई है, जिससे कम पानी में ड्रिप और स्प्रिंकलर के माध्यम से सिंचाई की अधिकतम व्यवस्था हो सके और किसान की लागत भी कम की जा सके।
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