Fish Farming Yojana : किसानों को टिकाऊ आजीविका के अवसर देने के लिए सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में मछली पालन को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए सरकार द्वारा कई तरह की योजनाएं चलाकर किसानों और मछली पालकों को मछली पालन एवं संबंधित गतिविधियों के करोबार की स्थापना करने के लिए अनुदान दिया जाता है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ में भी किसानों को मछली पालन के लिए अनुदान दिया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार ने कई योजनाओं के तहत राज्य में मछली पालकों एवं किसानों से मांगे है। राज्य में इच्छुक व्यक्ति जो मछली पालन में हाथ आजमाना चाहते है वे मछली पालन विभाग कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। मछली पालन के लिए हितग्राही को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत 40 से लेकर 60 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा। राज्य सरकार की ओर से यह अनुदान लाभार्थी वर्ग के अनुसार अलग-अलग दिया जाएगा। आईए जानते है कि राज्य में किसानों को किन योजनाओं के तहत मछली पालन के लिए अनुदान दिया जा रहा है और इसके लिए हितग्राही को क्या करना पड़ेगा।
योजनांतर्गत आवेदन पत्र किए गए है आमंत्रित
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए गठित जिला स्तरीय कमेटी की बैठक में योजनांतर्गत वर्ष 2024-25 के प्रस्तावित लक्ष्यों के भौतिक औेर वित्तीय प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया और यह अनुमोदित प्रस्ताव संचालनालय मछली विभाग को प्रेषित किया जाएगा। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव प्रभारी सहायक संचालक मत्स्य, बीना गढ़पाले ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत विभिन्न योजनाओं से हितग्राहियों को लाभ पहुंचाया जाएगा। इसके लिए योजनांतर्गत निर्धारित आवेदन पत्र आमंत्रित किए गए हैं। मछली पालन करने के इच्छुक किसान अपने जिले के सहायक संचालक मछली पालन विभाग कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं और योजनांतर्गत लाभ प्राप्त कर मछली पालन शुरू कर सकते हैं।
योजनांतर्गत हितग्राहियों को इतना मिलेगा अनुदान
राज्य की जलवायुवीय परिस्थितियां मछली पालन के अनुकूल है, जिससे किसानों के लिए खेती-किसानी कार्य के अलावा मत्स्य पालन आय का एक महत्वपूर्ण साधन बन सकता है। पीएम मत्स्य संपदा योजना केंद्र सरकार की एक महत्पूर्ण योजना है । इसके अंतर्गत प्राप्त आबंटन से राज्य में हितग्राहियों को मछली पालन विभाग द्वारा लाभान्वित कर उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने की दिशा में कार्य किया जाएगा। सहायक संचालक ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के विभिन्न घटकों के अंतर्गत केंद्र की ओर से 60 प्रतिशत तथा 40 प्रतिश राशि का आबंटन राज्य शासन द्वारा किया जाता है। इसमें योजनांतर्गत सामान्य वर्ग के हितग्राहियों को 40 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व महिला वर्ग के हितग्राही को 60 प्रतिशत तक राशि अनुदान के रूप में देने का प्रावधान है। योजना के तहत स्थापित या निर्मित इकाई लागत के मूल्यांकन या वास्तविक मूल्य अथवा इकाई लागत की अनुदान सीमा जो कम हो उसके आधार पर हितग्राही को अनुदान दिया जाएगा। योजनांतर्गत हितग्राहियों को “पहले आओ पहले पाओ “ के आधार पर विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जाएगा है।
इन विभिन्न योजनाओं के तहत दिया जा रहा है अनुदान
प्रभारी सहायक संचालक मत्स्य बीना गढ़पाले ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजनांतर्गत मत्स्य बीज उत्पादन सर्कुलर हैचरी निर्माण, संवर्धन पोखर का निर्माण (नवीन पालन तालाब नर्सरी व बीज पालन), ग्रो आउट पौंड का निर्माण (स्वयं की भूमि में), ग्रो आऊट बैंड में पूरक आहार प्रदाय, मीठे पानी में जल कृषि में निवेश इनपुटस जिनमें कम्पोजिट मछली कल्चर, स्कैम्पी, पंगेसियस, तिलापिया के साथ ही ताजा जल में बैकर्याड सजावटी मछली पालन इकाई, छोटे आरएएस की स्थापना, पौंड बायोफ्लॉक कल्चर सिस्टम की स्थापना इनपुट सहित, जलाशयों में केज कल्चर, न्यूनतम 10 टन क्षमता के कोल्ड स्टोरेज का निर्माण, प्रशीतित वाहन, आईस बाक्स मोटर सायकिल सहित, मछली वेंडिग लिए ई-रिक्शा आईस बाक्स सहित, सजीव मछली वेंडिग सेंटर, 2 टन प्रति दिन क्षमता वाले मछली चारा मिल, नाव या मोटर बोड उपलब्ध कराना, सेविंग कम रिलिफ योजनाओं के तहत अनुदान का लाभ दिया जा रहा है।
पारंपरिक मछुआरों के परिवारों प्रदान की जाएगी सहायता
प्रभारी सहायक संचालक ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजनांतर्गत ताजा जल में बैकर्याड सजावटी मछली पालन इकाई (मछली के लिए प्रजनन और पालन), बड़े आरएएस की स्थापना के लिए न्यूनतम 90 मीटर क्यूबिक, टेंड क्षमता और मछली उत्पादन 40 टन, फसल के 8 टेंकों के साथ और बायोफ्लोक कल्चर सिस्टम 4 मीटर व्यास एवं 1.50 मीटर ऊंचाई के 50 टेंक, छोटे आरएएस की स्थापना न्यूनतम 100 मीटर क्षमता के 1 टेंकों के साथ बायोफ्लोक कल्चर सिस्टम (4 मीटर व्यास तथा 1.5 मीटर ऊंचाई के 7 टेंक), जलाशयों में पिंजरों (कलचर) की स्थापना, सजीव मछली वेंडिग सेंटर, जलाशयों में फिंगरलिंग का संग्रहण, बायोफ्लॉक का निर्माण, मछली पकड़ने के प्रतिबंध या लीन अवधि के दौरान मत्स्य संसाधनों के संरक्षण हेतु सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े सक्रिय पारंपरिक मछुआरों के परिवारों के लिए पोषण एवं आजीविका संबंधी सहायता प्रदान की जाएगी।
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