Ripening Chamber : मौजूदा दौर में किसान खेती के पैटर्न में बदलाव कर रहे हैं। कई राज्यों के किसान पारंपरिक फसलों की खेती के साथ-साथ बेहतर मुनाफा देने वाली बागवानी फसलों की खेती से अपनी आमदनी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। वर्तमान में बिहार राज्य में कई किसानों ने पारंपरिक खेती से हटकर, बागवानी खेती को चुना है और आम, केला जैसी फल-फसलों के उत्पादन से अपनी कमाई बढ़ाई है। लेकिन किसानों के पास राइपनिंग चैंबर (पकाने का कक्ष) की सुविधा नहीं होने के कारण वे उत्पादों से ज्यादा मुनाफा नहीं कमा पाते हैं। किसानों की इन्हीं समस्याओं को देखते हुए बिहार सरकार ने फैसला किया कि किसानों के पास राइपनिंग चैंबर की सुविधा होनी चाहिए। इसके लिए सरकार राइपनिंग चैंबर की स्थापना करने पर किसानों को 35 प्रतिशत तक की सब्सिडी दे रही है। इच्छुक किसान राज्य सरकार की इस योजना में आवेदन कर राइपनिंग चैंबर पर अनुदान लाभ हासिल कर सकते हैं और इस तकनीक से फलों को कृत्रिम रूप से पकाकर पहले से बेहतर मुनाफा भी हासिल कर सकते हैं। आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
बिहार के कृषि विभाग और उद्यान निदेशालय की ओर से “एकीकृत बागवानी विकास मिशन” चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत किसानों और उद्यमी किसानों को राइपनिंग चैंबर बनाने के लिए इकाई लागत पर 35 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है। इस मिशन के तहत लाभार्थी द्वारा राइपनिंग चैंबर (Ripening Chamber) की इकाई स्थापना पर लागत एक लाख रुपए आती है, तो इस पर राज्य सरकार की ओर से 35 हजार रुपए की सब्सिडी दी जाएगी और शेष 65 हजार रुपए लाभार्थी किसानों को अपने स्तर पर खर्च करना पड़ेगा।
दिशा-निर्देश के अनुसार, पकने वाले कक्ष के लिए स्वीकार्य लागत 1.00 लाख रुपए प्रति मीट्रिक टन (अधिकतम 300 मीट्रिक टन) है। पकने वाले कक्षों को बहु-स्तरीय पैलेट आधारित भंडारण या बुनियादी भंडारण के लिए संरचनाओं के लिए डिजाइन किया जा सकता है। संयुक्त निरीक्षण दल (जेआईटी) द्वारा भौतिक सत्यापन के बाद ही सब्सिडी राशि दी जाएगी। यह सब्सिडी संरचना के निर्माण और उपकरण और मशीनरी की खरीद के बाद जारी की जाएगी।
राइपनिंग चैंबर से किसान अपने फल उत्पादों को सड़ने-गलने से बचा सकते हैं। कच्चे फलों की तुड़ाई कर पकाने के लिए इस तकनीक का उपयोग कर सकते हैं। साथ ही इससे फल पकाने का खुद का बिजनेस भी किसान शुरू कर सकते हैं। एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत राइपनिंग चैंबर पर सब्सिडी का लाभ हेतु ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके लिए किसान बिहार सरकार की horticulture.bihar.gov.in वेबसाइट पर जा सकते हैं। वेबसाइट के पहले पेज (Home Page ) पर एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना पर क्लिक करना है। इसके बाद राइपनिंग चैंबर की सब्सिडी के लिए आवेदन करें। इसके बाद आपके सामने एक आवेदन फॉर्म खुलकर आ जाएगा। इस रजिस्ट्रेशन फॉर्म में मांगी गई जानकारी को भर दें। फॉर्म में डिटेल भरने के साथ आपका आवेदन सफलतापूर्वक जमा हो जाएगा।
बिहार में रहने वाले किसानों को इससे जुड़ी अधिक जानकारी या फिर किसी सवाल के जवाब के लिए अपने जिले के उद्यान विभाग के कार्यालय में सहायक निदेशक से संपर्क करना होगा। राइपनिंग चैंबर के लिए आवेदन हेतु चेकलिस्ट लाभार्थी/उद्यमी प्रोपराइटर/निदेशक/भागीदार/प्रमोटर का केवाईसी दस्तावेज (आधार/पैन कार्ड), हस्ताक्षरकर्ता का बोर्ड संकल्प, यदि लागू हो, भूमि दस्तावेज, हाल ही की भूमि राजस्व रसीद की प्रति, भूमि पट्टा दस्तावेज-(पंजीकृत पट्टा विलेख-न्यूनतम 15 वर्ष), बिक्री विलेख, चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर), कोटेशन के साथ संयंत्र और मशीनरी की स्थापना का विवरण, लेआउट योजना, अनुमान, निर्माण डिजाइन (चार्टर्ड इंजीनियर द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित), सब्सिडी दावे के लिए आवेदक द्वारा अंडरटेकिंग (प्रारूप I), बैंक से प्रिंसिपल स्वीकृति पत्र या स्वीकृति पत्र और बैंक ऋण मूल्यांकन परिचय आदि की जरुरत होगी।
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