देश के ग्रामीण क्षेत्रों में लोग खेती-बाड़ी के साथ-साथ पशुपालन, मछली पालन और मधुमक्खी पालन जैसे व्यवसाय अतिरिक्त आय के लिए करते है। जिनमें से आज के दौर में मधुमक्खी पालन का व्यवसाय बेहद लोकप्रिय है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह व्यवसाय बंपर मुनाफा देने वाले व्यवसायों में से एक बना गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में काफी संख्या में लोग इस बिजनेस से कम वक्त में ज्यादा मुनाफा हासिल कर रहे है। यही वजह है कि केंद्र और राज्य सरकारें भी किसानों के बीच मधुमक्खी पालन के व्यवसाय को प्रोत्साहित देती रहती है। केंद्र सरकार ने इस व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भर मिशन योजना शुरूआत की थी। सरकार ने इस योजना के तहत मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों को वित्तीय सहायता के साथ-साथ मधुमक्खी पालन विषय में प्रशिक्षण देने का प्रावधान भी किया है। केंद्र सरकार छोटे और लघु सीमांत किसान मधुमक्खी पालन पर 80 से 85 प्रतिशत तक आर्थिक तौर पर मदद देती है। यानि सब्सिडी प्रदान करती है। केंद्र सरकार की इस मिशन के तहत देश के कई राज्य सरकारें भी अपने-अपने राज्य में इस व्यवसाय को अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए अपने-अपने स्तर पर किसानों को सब्सिडी सहित अन्य सुविधाए भी दे रही है। ताकि बेरोजगारी की समस्या खत्म हो सके और किसानों को स्वरोजगार मिल सके। तथा वो आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बन सके। तो चलिए ट्रैक्टरगुरु के इस लेख के माध्यम से जानते है कि मधुमक्खी पालन व्यवसाय पर कौन सा राज्य कितनी सब्सिडी दे रहा है।
झारखंड सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्वरोजगार देने के लिए राज्य में मीठी क्रांति नाम से एक योजना को लागू किया गया। राज्य सरकार ने इसे आत्मनिर्भर मिशन के अतंर्गत शुरू किया। योजना के माध्यम से राज्य में शहद उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ किसानों की आय भी दोगुनी करने के उद्देश्य लक्ष्य तय किया गया। प्रदेश सरकार ने शहद उत्पादन की अनुकूल परिस्थितियों को देखते हुए योजना के माध्यम से इसे बढ़ाने की पहल की गई है। सरकार ने इसके लिए 100 करोड़ रुपये का बजट भी निर्धारित किया था। सरकार इस योजना के तहत मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों को वित्तीय सहायता के साथ-साथ मधुमक्खी पालन विषय में प्रशिक्षण देने का प्रावधान भी किया है। राज्य सरकार कि ओर से इस योजना के तहत किसानों को तय नियमों के तहत कुल इकाई लागत ( एक लाख रुपए) पर 80,000 रुपये तक का अनुदान दिया जाता है। शेष 20,000 रुपये की राशि किसानों को स्वयं निवेश करना होता है।
बिहार सरकार ने राज्य में बागवानी क्षेत्र को विकसित करने एवं छोटे और लघु सीमांत किसानों को स्वरोजगार देकर आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से विशेष उद्यानिकी फसल योजना को लागू किया। बिहार कृषि विभाग, बागवानी निदेशालय की ओर चलाई जा रही इस योजना के तहत सरकार किसानों को फल, फूल, मधुमक्खी पालन और विभिन्न बागवानी फसलों की खेती के लिए अनुदान देती है। बिहार सरकार ने इस योजना के तहत मधुमक्खी पालन के लिए किसानों को प्रेरित करने के लिए करीब 90 प्रतिशत तक सब्सिडी देने का प्रावधान भी किया गया है। राज्य में इस व्यवसाय को अपने पर किसानों को 75 से 90 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। जिसमें सामान्य किसानों को 75 प्रतिशत और एससी-एसटी किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। बिहार कृषि विभाग, बागवानी निदेशालय के माध्यम यह अनुदान दिया जाता है। इसके अलावा किसानों को मधुपालन के लिए बक्सा (मधुमक्खी के साथ), भी दिया जाता है। प्रति हनी बॉक्स व हनी छत्ता की कीमत 4 हजार है। बिहार कृषि विभाग, बागवानी निदेशालय की ओर से इसमें सामान्य किसानों को 3 हजार अनुदान मिलता है। जबकि एससी-एसटी के किसानों को 3600 प्रति बॉक्स अनुदान मिलता है। जबकि, 400 रुपए प्लास्टिक कैरेट तो 20 रुपए लेनो बैग की कीमत तय की गयी है।
केंद्र सरकार द्वारा देश में स्वरोजागर को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भर मिशन को शुरू किया गया है। इस मिशन के तहत देश के विभिन्न राज्य सरकारें बैंकों और नाबार्ड के सहायोग से पशुपालन, मछली पालन, बागवानी और मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सब्सिडी दी जाती है। आत्मनिर्भर मिशन में बहुत सारी योजनाएं हैं, जिसमें अलग-अलग योजना के लिए अलग-अलग सब्सिडी दी जाती है। किसानों को मधुमक्खी पालन के दौरान हर संभव मदद करने के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड ने नाबार्ड के साथ टाईअप कर रखा है। मधुमक्खी पालन के लिए बहुत ही आकर्षक दरों पर लोन उपलब्ध करती हैं। मधुमक्खी पालन एवं अन्य स्वरोजगा के लिए बहुत ही आकर्षक दरों पर ऋण उपलब्ध कराने में नाबार्ड सबसे आगे है। है। इसे क्षेत्र में खर्च किए गए धन का 80 से 85 प्रतिशत सब्सिडी के रूप में केंद्र सरकार किसानों देती है।
विशेषज्ञों के अनुसार किसान मधुमक्खी पालन कर खुद का शहद व्यापार स्थापित कर सकते हैं। इस व्यापार से किसान अपनी आय को दोगुना नहीं बल्कि 4 गुना वृद्धि कर सकते है। इस व्यापार के लिए केंद्र और राज्य सरकारें आर्थिक सहायता भी देती है। मधुमक्खी पालन के लिए 10 से 15 पेटी की आवश्यकता होगी। प्रति हनी बॉक्स व हनी छत्ता की कीमत 4 हजार है। इस पर सरकार की और से 75 से 90 प्रतिशत तक सब्सिडी मिल जाती है। यानि मधुमक्खी पालन की शुरुआत करने पर 35 से 40 हजार रुपये तक का खर्च आता है। मधुमक्खियों को रखने के लिए किसानों को कार्बनिक मोम (डिब्बे) में रखा जाता है। इन डिब्बे में 50 से 60 हजार मधुमक्खियां एक साथ रखी जाती हैं। मधुमक्खियों की संख्या भी हर साल बढ़ती जाती है। इन मधुमक्खियों द्वारा तकरीबन एक क्विंटल शहद का उत्पादन होता है। बाजार में असली शहद की मौजूदा कीमत करीब 400 से 700 रुपये प्रति किलोग्राम तक है। इस प्रकार किसान 35 से 40 हजार की पूंजी निवेश कर सालाना 1 लाख 30 हजार की आमदनी कर सकता है।
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