खरीफ सीजन में धान की बुवाई जून के आखिरी महीने में शुरू होगी। देश में पेयजल किल्लत को देखते हुए सरकार धान की सीधी बिजाई को प्रोत्साहित कर रही है। धान की सीधी बुवाई से देश के साथ-साथ किसानों को भी फायदा है। अब सरकार ने किसानों को धान की सीधी बुवाई पर 44 हजार रुपए का डबल सब्सिडी देने का फैसला किया है। यहां आपको बता दें कि भारत में गेहूं की फसल के बाद दूसरी सबसे अधिक महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल चावल है। इसे धान की खेती से पैदा किया जाता है। धान की खेती पानी पर ज्यादा निर्भर होती है जबकि दिनों दिन भूजल स्तर नीचे जा रहा है और पानी की कमी के कारण धान की खेती करना किसानों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। पानी के अभाव में धान की खेती ज्यादा प्रभावित नहीं हो और किसान आधुनिक मशीनों से धान की सीधी बुआई करें तो उन्हे ज्यादा फायदा होगा। इसके लिए हरियाणा सरकार ने नई पहल की है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर सरकार ने धान की फसल बुआई में उपयोग की की जाने वाली मशीन पर किसानों को 40 हजार रुपये की बंपर सब्सिडी प्रदान करने की घोषणा की है। इसके अलावा इस नवीन तकनीक से धान की बुआई करने पर हरियाणा के किसानों को 4 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि सरकार अलग से भी देगी। भारत में धान की अधिक पैदावार वाले राज्यों में हरियाणा, पंजाब, बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड आदि प्रमुख हैं। वर्तमान में गेहूं की फसल कटने के बाद खेत खाली पड़े हुए हैं। इनमें किसान भाई धान की फसल की बुआई कर सकते हैं। यहां ट्रैक्टर गुरू की इस पोस्ट में आपको धान की फसल बुआई में इस्तेमाल होने वाली मशीन के साथ ही हरियाणा सरकार की इस योजना की पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। इसे शेयर और लाइक करें।
जून के अंतिम सप्ताह के बाद से धान की बुआई शुरू हो जाएगी। इस बीच हरियाणा सरकार की योजना किसानों को लुभाने वाली है। खरीफ सीजन 2023 के तहत हरियाणा सरकार ने धान की नई तकनीक वाली मशीन से बुआई करने की सब्सिडी योजना में अभी तक 12 जिलों को चिन्हित किया है। इन जिलों में 2.25 लाख एकड़ क्षेत्र में बुआई का लक्ष्य रखा गया है। उधर पंजाब सरकार ने भी धान की सीधी बुआई करने पर किसानों को सब्सिडी प्रदान करने की योजना संचालित की है।
किसानों को जहां हरियाणा सरकार प्रति एकड़ धान की खेती में मशीन से बिजाई करने पर मशीन की खरीद पर 40 हजार रुपये की सब्सिडी प्रदान करेगी वहीं दूसरी ओर ऐसे किसानों को प्रति एकड़ 4,000 रुपये की सहायता राशि भी मिलेगी। इसके अलावा इस तकनीक से धान की खेती करने पर 20 प्रतिशत कम पानी खर्च होता है। साथ ही मानव श्रम की बचत होगी। इसका उपयोग आप दूसरे जरूरी कार्यों में कर सकते हैं। हाल ही हरियाणा सरकार के निर्देश पर कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल की अध्यक्षता में इस योजना को लेकर समीक्षा बैठक भी आयोजित की गई। इसमें गिरते हुए भूजल स्तर को देखते हुए धान की फसल की बुआई नई तकनीक वाली मशीन से ही करने पर जोर दिया गया।
हरियाणा में धान की फसल की बुआई से पहले सरकार ने किसानों के लिए एक आकर्षक ऑफर दिया है। इसमें धान की सीधी बुआई करने वाली मशीन की खरीद पर 40 हजार रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। इसके अलावा इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाले किसानों को 4 हजार रुपये अलग से देय होंगे। बता दें कि जो भी किसान इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं वे agriharyana.gov.in वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा इस सब्सिडी के बारे में अधिक जानकारी के लिए मेरा पानी, मेरी विरासत पोर्टल या अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय में जाकर संपर्क कर सकते हैं।
हरियाणा सरकार ने धान की फसल के लिए मशीन का उपयोग करने पर 40,000 रुपये की सब्सिडी की योजना के अलावा 4 हजार रुपये की आर्थिक मदद की योजना एक साल पहले से ही चला रखी है। गत वर्ष 2022 में भी सरकार ने लाभार्थी किसानों को योजना के तहत सहायता प्रदान की थी। पानी की कमी के चलते धान की जगह दूसरी फसलों के लिए भी इस तरह की सहायता देने का ऐलान सरकार कर चुकी है।
हरियाणा सरकार की तरह ही पंजाब के मुख्यमंत्री भगवतसिंह मान सरकार ने भी धान की सीधी बुआई करने वाले किसानों को 1500 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी राशि प्रदान करने की योजना शुरू की है। पंजाब सरकार की यह योजना डीएसआर तकनीक से धान की खेती करने पर मिलेगी। इस विधि से धान की फसल में सिंचाई की कम जरूरत पड़ती है। इसके लिए सरकार ने गत वर्ष 2021-22 में 10 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया था। इसमें 5.62 लाख हेक्टेयर में किसानों ने धान की सीधी बुआई की थी।
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर के कृषि वैज्ञानिक डा. माखनसिंह भुल्लर के अनुसार डीएसआर तकनीक से धान की खेती के कई फायदे मिलते हैं। इससे पानी की बचत के अलावा लागत कम आती है। मशीन से बुआई होगी तो मजदूरों की लागत तो बचेगी ही इसके साथ ही प्रति हेक्टेयर फसल का उत्पादन भी ज्यादा होगा। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि रेतीली जमीन पर बुआई कभी नहीं करें।
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