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रेतीली जमीन से लाखों रुपए कमाने के लिए करें खस की खेती, हो रही लाखों रुपए की कमाई

रेतीली जमीन से लाखों रुपए कमाने के लिए करें खस की खेती, हो रही लाखों रुपए की कमाई
पोस्ट -03 मई 2024 शेयर पोस्ट

रेतीली भूमि वाले किसानों के लिए वरदान साबित हो रही खस की खेती, जानें इसकी खेती की पूरी जानकारी

Cultivation of Khus : आजकल किसान पारंपरिक फसलों के स्थान पर औषधीय फसलों की खेती पर ज्यादा जोर देते हैं, ताकि वे अपने खेतों से सालभर तक मोटी कमाई कर सके। क्योंकि औषधीय फसलें उगाने के किसानों को कई फायदे हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि इनकी खेती में कम मेहनत और कम संसाधनों से ही बढ़िया उत्पादन के साथ लाखों रुपए की कमाई आसानी से मिल जाती है। वहीं, गेहूं, धान जैसी फसलों की पारंपरिक खेती में किसानों की लागत और मेहनत भी अधिक लगती है और प्राकृतिक आपदाओं की मार के चलते इनके उत्पादन में हर बार नुकसान उठाना पड़ जाता है। आज कई पढ़े लिखे युवा किसान विभिन्न औषधीय पौधे की खेती कर रहे हैं, जिनकी डिमांड और बाजार कीमत भी बहुत ज्यादा है। साथ ही इनके उत्पादन से लाखों रुपए का मुनाफा बिना किसी परेशानी के प्रतिवर्ष कमा रहे हैं। अगर आप भी किसान है और कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए औषधीय पौधों की खेती करना चाहते हैं, तो आप खस की खेती कर सकते हैं। यह आपके लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकती है। इसकी खासियत यह है कि इसकी खेती वीरान पड़े रेतीली बंजर भूमि और कम पानी वाले इलाकों में आसानी से कर सकते हैं। केंद्र सरकार इसकी खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाओं के तहत किसानों को ट्रेनिंग और सब्सिडी भी देती है। साथ ही इसके उत्पादन की बाजार में  कीमत और मांग भी अधिक है। आइए, जानते हैं कि खस की खेती कैसे की जाती है और इसके उत्पादन से लाखों की कमाई कैसे कर सकते हैं। 

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खस की खेती : कितनी लागत और कितना मुनाफा? (Cultivation of poppy seeds: how much cost and how much profit?)

आमतौर पर किसान निजी रूप से खस की खेती करते हैं, जिसमें प्रति एक एकड़ पर लागत तकरीबन 60 से 65 हजार रुपए आती है। खस के एक एकड़ खेत से इसकी पैदावार से लगभग दस लीटर तक तेल की प्रोसेसिंग कर सकते हैं। एक लीटर खस तेल की कीमत बाजार में करीब 15 से 20 हजार रुपए तक होती है। इस तरह किसानों को एक एकड़ खेत से डेढ से दो लाख रुपए तक की कमाई आसानी मिल सकती है, जिसमें से लागत घटाकर किसान को डेढ़ लाख रुपए का नेट मुनाफा मिल सकता है। अगर किसान ज्यादा क्षेत्र में खस की खेती लगाते हैं, तो इससे और भी मुनाफा ले सकते हैं। किसान खस की व्यावसायिक या कांट्रेक्ट फार्मिंग करके इससे वे मोटा पैसा कमा सकते हैं। इसके लिए किसानों को बीज, खाद और ट्रेनिंग तक दी जाती है।  

सरकार देती है अनुदान (Government gives grants)

राजस्थान और बुंदेलखंड के सूखे इलाके इसकी खेती के लिए अच्छा उदाहरण है। क्योंकि यहां संसाधनों की कमी के चलते अन्य पारंपरिक फसलों की खेती करना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में इन इलाकों के किसानों के लिए खस की खेती वरदान साबित हो सकती है। खस की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार,  झारखण्ड,  मध्य प्रदेश, राजस्थान में की जाती है। खस की खेती कम संसाधनों में किसानों को मोटा मुनाफा कमाने में मदद करता है। यही वजह है कि अरोमा मिशन के तहत केंद्र सरकार किसानों को खस की खेती और इसकी प्रोसेसिंग के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान देती है। 

खस की हार्वेस्टिंग कैसे होती है? (How is poppy harvesting done?)

खस की फसल लगाने के बाद इसकी पहली फसल 18 से 20 महीने में हार्वेस्टिंग के लिए तैयार हो जाती है। इसकी जड़ों की खुदाई नवंबर से फरवरी के महीने में की जाती है, क्योंकि ठंड के मौसम में जड़ों की खुदाई करने से अच्छी गुणवत्ता वाला तेल प्राप्त होता है। खस की जड़ों से सुगंधित तेल मिलता है और इसके सुगंधित तेल की देश-विदेशों में काफी ज्यादा डिमांड होती है। खस की खेती से हर किसान लाखों रुपए का मुनाफा कमा सकता है। 

बनाए जाते हैं विभिन्न प्रोडक्ट्स (Various products are made)

खास बात यह है कि खस एक औषधीय प्रजाति का पौधा है इसमें मौजूद औषधीय गुणों की वजह से इसकी फसल में जल्दी कीड़े-रोग का प्रकोप नहीं देखा जाता है। इसके अलावा,  जानवर भी खस की फसल को नहीं खाते, जिससे किसानों को फसल में कोई नुकसान भी नहीं होता है। बस कभी-कभी इसकी जड़ों में दीमक का ख़तरा हो सकता है, जिससे बचने के लिए थीमेर नामक दवाई के छिडकाव किया जा सकता है। खस की खुशबू को लोग काफी पसंद करते हैं। इसकी पत्ती और फूल तक के उपयोग से आयुर्वेदिक दवाइयां, इत्र, शरबत, ब्यूटी प्रोडक्ट्स और कन्फेशनरी प्रोडक्ट्स बनाए जाते हैं। इसकी पत्तियों को जानवर के चारे, ईंधन और फूस के घर बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। खस की देश-विदेश में खूब डिमांड है, जिससे इसकी बिक्री भी तेजी से होती है। खासकर मुस्लिम बहुल देशों में इसके शर्बत और इत्र की मांग हमेशा रहती हैं। 

खस की खेती कैसे करें? (How to cultivate khus?)

आमतौर पर खस की खेती करके किसान किसी भी जलवायु और मिट्टी में शानदार पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। इसकी खेती हर प्रकार के भूमि और जलवायु में आसानी से की जा सकती है। लेकिन वीरान पड़ी बंजर रेतीली भूमि और कम पानी वाले क्षेत्रों में खस की खेती करना और भी अच्छा है, क्योंकि ऐसे इलाके में इसकी खेती करने से संसाधनों की बचत होती है और बंजर भूमि का उपयोग आप बेहतर तरीके से कर सकते हैं। खस की खेती के लिए गर्मियों का मौसम फायदेमंद होता है। खस की खेती में बहुत कम सिंचाई करनी पड़ती है। इसकी खेती से आप भरपूर गोबर की खाद या कंपोस्ट डालकर खस की बंपर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। खस की खेती के लिए हाइब्रिड-16, सीमैप के एस, पूसा हाइब्रिड-8 सुगंध आदि इसकी उत्तम श्रेणी की हाइब्रिड किस्में है, जिनसे अधिक तेल की मात्रा प्राप्त की जा सकती है। बता दें कि खस को वेटीवर भी कहते है, इसकी प्रवृत्ति कड़ी होती है. जिसके कारण यह नदी नालों के पास आसानी से देखने को मिल जाती है। 

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