Mung Seeds : राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (National Food Security Mission- NFSM) - दलहन के तहत किसानों को दलहन खेती के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके लिए NFSM- दलहन के तहत विभिन्न हस्तक्षेपों के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सभी किसान वर्गों को दालों की नई उन्नत किस्मों के प्रमाणित बीज, मिनी-किट का वितरण, उन्नत कृषि मशीनरी/उपकरण, कुशल जल अनुप्रयोग उपकरण, पोषक तत्व प्रबंधन/मृदा में सुधार, प्रसंस्करण और फसल कटाई के बाद उपयोग किये जाने वाले उपकरण और फसल प्रणाली आधारित प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। ऐसे में गेहूं की कटाई के बाद कई इलाकों के किसान अपने खेतों में अतिरिक्त कमाई के लिए ग्रीष्मकालीन फसलों में उड़द और मूंग की बुवाई कर रहे हैं।
फसल की बुवाई लागत कम करने एवं बेहतर उत्पादन हेतु किसान हार्वेस्टर से कटाई के बाद गेहूं की नरवाई को जलाए बिना हैप्पी सीडर या सुपर सीडर जैसे कृषि यंत्र से सीधे मूंग की बुआई कर रहे हैं। इसे देखते हुए राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड (NSC) के माध्यम से किसानों को मूंग की उन्नत किस्मों शिखा और एमएच-1142 के बीज ऑनलाइन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। किसान इन उन्नत किस्मों के प्रमाणित बीजों को घर बैठे अलग-अलग कीमतों पर ऑनलाइन खरीद सकते हैं। आइए, इस पोस्ट की मदद से जानते हैं कि मूंग की किन किस्मों के प्रमाणित बीज किसानों को उपलब्ध करवाया जा रहा है और किसान इन्हें कैसे खरीद सकते हैं।
दरअसल, मूंग दलहनी फसलों में महत्वपूर्ण स्थान रखती है और इसकी खेती किसी भी प्रकार की भूमि में आसानी से की जा सकती है, जो अधिक क्षारीय व अम्लीय न हो। यह दलहनी फसल (pulse crop) असिंचित जगहों पर भी अधिक पैदावार देने में सक्षम है, क्योंकि इसके पौधे उच्च तापमान के प्रति सहनशील होते हैं। किसान इसकी खेती जायद और खरीफ दोनों मौसम में अलग-अलग समय पर कर सकते हैं। ऐसे में अब देश में गेहूं की कटाई के बाद जायद सीजन (Summer Season) में मूंग की बुवाई शुरू हो रही है। मार्च की शुरुआत से अप्रैल अंत तक जायद मूंग की बुवाई किसान अपने खेतों में कर सकते हैं। वहीं, खरीफ मौसम के लिए जून से जुलाई के अंतिम सप्ताह तक बुवाई का उचित समय है। मूंग की खेती के लिए कृषि विश्वविद्यालय के संस्थानों के वैज्ञानिकों द्वारा मूंग की अलग-अलग उन्नत किस्में विकसित की गई हैं, जो अलग-अलग मौसम और क्षेत्रों में अच्छी पैदावार देने के लिए रिलीज की गई है। इन्हीं में जायद (ग्रीष्मकालीन) सीजन किस्मों में शिखा और एमएच-1142 भी शामिल है।
बता दें कि राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड (एनएससी) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार अपने फार्मा एवं पंजीकृत बीज उत्पादकों के माध्यम से देशभर में किसानों को सस्ती दरों पर प्रमाणित बीज उपलब्ध कराती है, जिसमें मोटे अनाज, दलहन, तिलहन, चारा, रेशा, हरी खाद सब्जियां फसल किस्म शामिल है। ऐसे में अब राष्ट्रीय बीज निगम (National Seeds Corporation) द्वारा ग्रीष्मकालीन (जायद) और खरीफ सीजन के लिए किसानों को मूंग बीज ऑनलाइन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। मूंग की खेती करने वाले इच्छुक किसान इन किस्मों के प्रमाणित बीजों को ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं। मूंग की इन किस्मों के प्रमाणित बीज अभी 4 किलोग्राम के कीटबैग में उपलब्ध है। इसमें एनएससी मूंग शिखा किस्म के प्रमाणित बीज के 4 किलोग्राम वाले बैग की कीमत 600 रुपए और 4 किलो वाले NSC मूंग MH-1142 किस्म के प्रमाणित बीज की कीमत 720 रुपए है।
किसान इन किस्मों के प्रमाणित बीजों को https:// www. mystore. in/ en/ search/ nsc-moong से ऑनलाइन खरीद सकते हैं। इसके लिए किसान को पहले बीज के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। मूंग के उन्नत किस्म (शिखा) बीज के 4 किलो के पैकेट पर 29 प्रतिशत और मूंग की एमएच-1142 किस्म के 4 किलो वाले बीज पैकेट पर 33 प्रतिशत तक छूट मिलती है। मूंग की अधिक पैदावार देने वाली किस्म शिखा ग्रीष्मकालीन (जायद) खेती के लिए उपयुक्त है। इस किस्म को किसानों के लिए वर्ष 2016 में आईसीएआर-आईआईपीआर संस्थान कानपुर द्वारा जारी किया गया था। मूंग की यह किस्म 65-70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की औसत पैदावार 11 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। यह उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों और मध्य क्षेत्र के लिए उपयुक्त है। मूंग की यह किस्म MYMV प्रतिरोधी है।
इसके अलावा, मूंग की एमएच-1142 किस्म को चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार (हरियाणा) द्वारा विकसित किया गया है। मूंग की यह किस्म 63-70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की औसत पैदावार क्षमता प्रति हेक्टेयर 12-15 क्विंटल की है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, झारखंड और उत्तराखंड जैसे राज्यों में मूंग की इस किस्म की बुवाई खरीफ सीजन में जून से जुलाई तक की जाती है।
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