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अगेती मटर की खेती के लिए टॉप 5 किस्म, प्रति एकड़ होगी लाखों की कमाई

अगेती मटर की खेती के लिए टॉप 5 किस्म, प्रति एकड़ होगी लाखों की कमाई
पोस्ट -26 अगस्त 2023 शेयर पोस्ट

Pea Farming : मटर की अगेती खेती के लिए इन टॉप 5 किस्मों की करें बुवाई, प्रति एकड़ लाखों का मुनाफा 

मटर एक प्रकार की व्यावसायिक दलहनी फसल है। यह किसानों को दोहरा लाभ देने वाली फसल है। अगर किसान भाई-बहन मटर की खेती में उच्च हाइब्रिड किस्मों की बुवाई करें, तो वे इससे 3.50 लाख रुपए का मुनाफा प्रति एकड़ तक प्राप्त कर सकते हैं। 

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अगेती खेती से मिलेगा प्रति एकड़ 3 लाख से अधिक का मुनाफा, इन टॉप 5 किस्मों की करें बुवाई

Pea Top Variety :  मटर ठंडे मौसम की दलहनी फसल है, जिसकी खेती देश के अधिकांश क्षेत्रों में अक्टूबर से नवंबर महीने की शुरूआत में किसानों द्वारा की जाती है। देश में इसकी खेती मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, पंजाब, असम, हरियाणा, कर्नाटक, उड़ीसा, यूपी, बिहार, हिमाचल और उत्तराखंड जैसे कृषि प्रधान राज्यों में मुख्य रूप से की जाती है। लेकिन इसकी व्यापक रूप से खेती  (Farming) महाराष्ट्र में की जाती है। दलहनी सब्जियों में मटर एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसकी हरी फलियों के दानों को सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है, जबकि सूखी फलियां से प्राप्त दाने का इस्तेमाल दलहन उत्पादन के लिए किया जाता है। खास बात यह है कि इसकी फसल से पशुओं के चारे की आपूर्ति भी किसान भाईयों को मिल जाती है। क्योंकि मटर फसल का चारा पौष्टिक, स्वादिष्ट और पाचनशील होता है। जिसके कारण हर प्रकार के पशु इसके चारे को बड़े ही चाव से खाते हैं। मटर कम लागत खर्च और कम समय में अधिक पैदावार देने वाली व्यापारिक फसल (commercial crop) है। इसकी फसल भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में भी मददगार है। किसान भाई-बहन मटर की अगेती बुवाई करके इसकी खेती से 40 से 50 दिनों में पैदावार प्राप्त कर लाखों रुपए का मुनाफा कमा सकते हैं। आज हम किसान भाईयों को मटर की अगेती बुवाई के लिए मटर की टॉप 5 किस्मों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। जिनकी बुवाई कर किसान महज 50 दिनों में मटर की अगेती फसल प्राप्त कर सकते हैं और लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं। खास यह है कि इसके बाद किसान अन्य फसलों की बुवाई भी समय से कर सकते हैं। आईये मटर की अगेती फसल के लिए इन टॉप 5 किस्मों के बारे में जानें।

अगेती खेती के लिए टॉप 5 मटर किस्म 

किसान भाई मटर की अगेती खेती करके इससे कम समय में अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं। अगर आप भी मटर की अगेती खेती की बुवाई करने के बारे में सोच रहे हैं, तो मटर की इन टॉप 5 किस्मों की बुवाई कर सकते हैं। इनमें पंत मटर 155, काशी अगेती, काशी पूर्वी, काशी नंदिनी, काशी शक्ति किस्म शामिल हैं। इसके अलावा किसान भाई मटर उत्पादन के लिए पूसा प्रगति, जवाहर मटर 1, काशी उदय, लिंकन, आर्केल, अर्ली बैजर, आजाद मटर 1, आजाद मटर 3, जवाहर मटर, एन पी 29, अर्ली दिसंबर, असौजी, बोनविले और टा 19 आदि उन्नत किस्मों का प्रयोग अपने प्रदेश की जलवायु और मिट्टी एवं पानी के आधार पर कृषि विशेषज्ञों की सलाह से कर सकते हैं। 

काशी पूर्वी (Kashi Purvi), मटर की अगेती किस्म 

मटर की अगेती खेती के लिए भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा काशी पूर्वी (Kashi Purvi) किस्म को विकसित किया है। अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ महिला कृषि वैज्ञानिक डॉ ज्योति सैनी ने बताया कि काशी पूर्वी मटर की अगेती किस्म है। किसान इसकी बुवाई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से लेकर नवंबर के शुरूआती सप्ताह में कर सकते हैं। इस किस्म की बुवाई करने के लिए किसान को प्रति हेक्टेयर 120 किलो दाने की आवश्यकता होगी। काशी पूर्वी (Kashi Purvi) ज्यादा पैदावार देने वाली मटर किस्म है। इसकी बुवाई के बाद यह 55 से 60 दिनों में पैदावार देना आरंभ कर देती है। इसकी फसल से प्रति हेक्टेयर 120 से 125 क्विंटल पैदावार किसान भाई को मिल सकती है।   

अगेती फसल के लिए करें पंत मटर 155 किस्म की बुवाई

पंत मटर 155 (Pant Matar 155), हाइब्रिड मटर की एक अगेती प्रजाति है। इसे पंत मटर 13 और डी डी आर- 27 के संकरण से विकसित किया गया है। मटर की यह अगेती किस्म बुवाई के 120 से 130 दिनों में पककर पूर्ण रूप से तैयार हो जाती है। इसकी बुवाई से 30 से 35 दिनों के अंदर ही इसमें फूल आने लगते हैं, जबकि इसकी हरी फलियों के रूप में पहली तुड़ाई 50 से 55 दिनों में कर सकते हैं। पंत मटर 155 (Pant Matar 155) प्रजाति की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है, जिसके कारण इसमें चूर्ण फफूंद और फली छेदक रोग का प्रकोप कम देखने को मिलता है। पंत मटर 155 किस्म प्रति हेक्टेयर 150 क्विंटल तक पैदावार देने में समक्ष है। 

काशी शक्ति, औसतन उत्पादन 130 से 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर 

मटर की अगेती किस्म में काशी शक्ति का नाम प्रमुख है। इस अगेती किस्म में जीवाणु जनित रोगों का प्रभाव बुहत कम देखने को मिलता है। काशी शक्ति मटर किस्म को झारखंड, पंजाब और बिहार राज्यों के लिए विकसित किया गया है। इस किस्म के मटर के पौधों की लम्बाई 2 फीट तक होती है। इसके पौधे की फलियां लंबी और बड़ी हैं, जिनमें दाने की संख्या अच्छी होती है। काशी शक्ति मटर की बुवाई के लगभग 65 से 70 दिनों में हरी फलियों की तुड़ाई शुरू कर सकते हैं। काशी शक्ति मटर किस्म की प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन क्षमता 130 से 150 क्विंटल के आसपास होती है। 

काशी अगेती, मटर की अगेती प्रजाति

काशी अगेती किस्म बहुत कम समय में पैदावार देने वाली मटर की अगेती प्रजाति है। यह किस्म बेहद कम दिनों में तेजी से तैयार होती है। मटर की इस किस्म की खेती उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड जैसे राज्यों की जलवायु में की जाती है। मटर की इस किस्म की फलियां सीधी और गहरे हरे रंग की होती हैं। यह प्रजाति बुवाई के 50 से 55 दिनों के बाद उपज देना आरंभ कर देती है। इस किस्म की औसतन पैदावार 100 से 120 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। 

मटर की अगेती संकर किस्म, काशी नंदिनी

काशी नंदिनी मटर की अगेती पैदावार देने वाली संकर किस्म है। इस अगेती किस्म को वी आर पी 5 मटर किस्म के नाम से भी जाना जाता है। काशी नंदिनी किस्म को उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, पंजाब, असम, हरियाणा, कर्नाटक, उड़ीसा, हिमाचल, उत्तराखंड और केरल राज्यों के लिए विकसित किया गया है। इस किस्म के पौधे की फलियां मुड़ी होती है। इन फलियों में औसतन 6 से 8 दाने पाए जाते हैं। काशी नंदिनी किस्म के बीजों की बुवाई के लगभग 50 से 60 दिन बाद पहली तुड़ाई की जा सकती है। मटर की इस किस्म में कीट रोगों का प्रभाव कम देखा जाता है। इसके पौधों पर जीवाणु जनित कुछ रोगों का प्रकोप काफी कम देखने को मिलता है। काशी नंदिनी मटर की औसतन पैदावार प्रति हेक्टेयर 120 से 135 क्विंटल तक होती है। किसानों को मटर की इन किस्मों की बुवाई अक्टूबर की शुरुआत या नवंबर महीने के शुरुआती हफ्ते में करने की सलाह दी जाती है। 

मटर की अगेती खेती : ऐसे होगी 3.50 लाख रुपए की कमाई

मटर व्यवहारिक दृष्टि से भी अत्यधिक अनुकूल परिस्थितियों वाली फसल है। इसके फसल उत्पादन से किसान लाखों कमाई और पशुओं के लिए प्रति वर्ष 80 से 100 क्विंटल सूखा चारा भी प्राप्त कर सकते हैं। इसकी खेती से अच्छी पैदावार लेने के लिए किसान भाईयों को हमेशा मटर की उन्नत किस्मों का ही चयन करना चाहिए। स्थानीय कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर किसान भाई अपने प्रदेश की जलवायु व भूमि के अनुसार उपयुक्त किस्मों का चयन कर सकते है। मटर की फसल की बुवाई करने के 50 से 60 दिनों बाद इसकी पौधों से फलियों की तुड़ाई की जा सकती है। हरी फलियों की तुड़ाई हर 7 से 10 दिनों के अंतराल में 2 से 3 बार की जाती है। दलहन उत्पादन के लिए इसकी फसल बुवाई के 120 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है। कृषि विशेषज्ञों के मानें, तो मटर की खेती से 120 से 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक फलियों की पैदावार मिल जाती है। इस पैदावार को किसान भाई अगर प्रति किलो 30 रुपए के भाव से बाजार में बेचते हैं, तो उन्हें मटर के एक हेक्टेयर खेत से करीब 4.50 लाख रुपए की कमाई होती है। इसमें से अगर एक लाख रुपए लागत खर्च निकाल दें, तो किसान भाई को मटर की फसल से 3.50 लाख रुपए का नेट फायदा हो सकता है।

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