Pest Control Tips : देश में इस खरीफ सीजन में बड़े पैमाने पर धान सहित अन्य दलहनी फसलों की बुवाई की गई है। अब लगभग 74.82 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उड़द और मूंग की बुवाई किसानों द्वारा की गई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 61.38 लाख हेक्टेयर से 13.44 लाख हेक्टेयर क्षेत्र अधिक है। इसी के साथ वर्तमान समय में खुले बाजार में इनके दाम भी अच्छे है, जिससे उत्पादकों को उपज से अच्छी कमाई की उम्मीद है। हालांकि, अधिक उत्पादन के लिए इनकी फसलों को कीट-रोगों के प्रकोप से बचाना भी जरूरी है। मौजूदा समय में कई क्षेत्रों में उड़द और मूंग दाल की फसलों में फली छेदक, माहू और सफेट मक्खी जैसे कीट की सुंडियों का प्रकोप देखने को मिल रहा है। ये तीनों हानिकारक कीट फसल में सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते है, जिससे पैदावार में भारी गिरावट भी होती है। फसल की सुरक्षा के लिए इन खतरनाक कीटों की पहचान कर सही नियंत्रण उपायों को अपनाना बेहद जरूरी है। ऐसे में किसान कृषि विज्ञान केंद्र नरकटियागंज, बिहार के कृषि विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए उपयों से इन कीटों की पहचान कर सही समय पर फसलों की सुरक्षा कर सकते हैं। आइए, इन सुझावों के बारे में जानते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र नरकटियागंज, बिहार के प्रमुख और पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. आर.पी. सिंह ने फली छेदक, माहू और सफेट मक्खी जैसे कीटों की पहचान और इनके नियंत्रण के लिए कम खर्च और पर्यावरण-अनुकूल कई प्रभावी उपाय सुझाए हैं, ताकि किसान उड़द दाल और मूंगदाल की फसल को इन हानिकारक कीटों के प्रकोप से बचा सकें। पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. आर.पी.सिंह कहा, इस समय उड़द और मूंग के खेत में तना छेदक कीट (stem borer insect) का प्रकोप देखने को मिल रहा है। इस कीट की इल्ली अवस्था, फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाती है। इल्ली पहले पत्तियों को खाते हुए धीरे-धीरे गोभ के अंदर प्रवेश करती है, जिससे पौधे की बढ़वार रूक जाती है। इससे फसल में भारी नुकसान होता है। इस कीट की चार अवस्था होती है। इसमें अण्डा, इल्ली, शंखी व तितली आदि शामिल है। मादा तितली पत्तियों की नोंक के पास समूह में अंडे देती है। अंडे से इल्ली निकलती है जो हल्के पीले रंग की होती है।
कृषि विज्ञान केंद्र, नरकटियागंज के पौध सुरक्षा विशेषज्ञ ने उड़द और मूंग की फसल में फली छेदक कीट के नियंत्रण के लिए कई प्रभावी उपायों के बारे में बताया है। फली छेदक कीट की निगरानी के लिए प्रति हेक्टेयर पांच फेरोमोन ट्रैप या लाइलट खेतों में लगाएं। इसके अलावा किसान खेतों में, टी आकार की 60 से 70 प्रति हेक्टेयर पक्षी मिनार लगाएं, जिससे पक्षी इन कीटों को खा सकें। खेतों एवं मेड़ों को खरपतवार मुक्त रखें। फसल में संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों का उपयोग करें। खेत की समय-समय पर निगरानी करें तथा अंडे दिखाई देने पर नष्ट कर दें। खेत में अंड परजीवी ट्राइकोग्रामा जॉपोनिकम के 50 हजार अंडे प्रति हेक्टेयर की दर से 2 से 3 बार खेत में छोड़ना चाहिए, उस समय रासायनिक कीटनाशक का स्प्रे ना करें। नीम आधारित उत्पादों जैसे नीम बाण, नीम गोल्ड अचूक, निमिन और अजेडीरेक्टीन 1500 पीपीएम का 2.5 से 3 मिली लीटर प्रति हेक्टयर की दर से छिड़काव करें। गंभीर प्रकोप की स्थिति में 2 से 3 छिड़काव इण्डोक्साकार्ब 15.8 प्रतिशत ई.सी या स्पाइनोसैड 45 प्रतिशत एस.पी. केमिकल दवा 1 मिली का 2 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। किसान फसल में पहला छिड़काव तब करें जब फसल में 50 प्रतिशत फूल आ जाएं और दूसरा छिड़काव फसल में 50 फीसदी फलियां बनने के बाद करें।
पौध सुरक्षा विशेषज्ञ के अनुसार, उड़द और मूंग की फसल को माहू या एफिड कीट (Aphid insect) के शिशु और प्रौढ़ पत्तियों और फूलों का रस चूसते हैं, जिससे पत्तियां सिकुड़ जाती हैं और फूल झड़ जाते हैं। फलियों की संख्या में कमी आ जाती है और फसल को भारी नुकसान होता है। माहू या ऐफिड (Aphids) छोटे आकार का कीट हैं। इनकी लगभग 4,400 प्रजातियां और 10 कुल ज्ञात हैं। इनकी लम्बाई 1 मिमी से लेकर 10 मिमी तक होती है। माहू या ऐफिड (Aphids) कीट के नियंत्रण के लिए फसल में नीम आधारित 3 से 4 मिली दवा / लीटर पानी या नीम बीज सत से बनी 5 मिली दवा प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। गंभीर प्रकोप की स्थिति में रासायनिक दवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल. का 3 मिली दवा को 10 लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें।
प्रमुख और पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ.आर.पी. सिंह ने बताया कि सफेद मक्खी कीट (white flies) मक्खियां वास्तविक मक्खियां नहीं हैं (कीटों के समूह डिप्टेरा में) बल्कि वे हेमिप्टेरा समूह में हैं, जो एफिड्स, स्केल्स और मीलीबग्स से संबंधित हैं। इसके वयस्क कीट के शरीर मैली सफेद मोम पंख होते हैं। गर्म मौसम में सफ़ेद मक्खियां तेजी से विकसित होती हैं, और ऐसी परिस्थितियों में आबादी तेजी से बढ़ सकती है। सफेद मक्खियाें से फसल को नुकसान के साथ खतरनाक रोग पीला मोजैक भी फैलता है। यह कीट फसल की पत्तियों और कोमल तनों से रस चूसते हैं, जिससे पीला मोजैक रोग फैलता है और पत्तियां पीली पड़कर सूखने लगती हैं। इससे पौधे का विकास रुक जाता है।
इसके नियंत्रण के लिए नीम आधारित उत्पादों की 3 से 4 मिली दवा प्रति लीटर पानी या नीम बीज सत का 5 मिली दवा का प्रति लीटर पानी की दर से फसल में छिड़काव करें। रासायनिक नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल. की 3 मिली दवा का 10 लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें। किसान इन उपायों को अपनाकर अपनी उड़द और मूंग दाल की फसल को इन कीटों से बचा सकते हैं।
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