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सरसों की टॉप 5 उन्नत किस्में, प्रति हेक्टयर 20 से 25 क्विंटल उत्पादन

सरसों की टॉप 5 उन्नत किस्में, प्रति हेक्टयर 20 से 25 क्विंटल उत्पादन
पोस्ट -21 सितम्बर 2023 शेयर पोस्ट

सरसों की टॉप 5 किस्में : कम समय में 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार 

सरसों की बुवाई का सीजन शुरू हो गया है। अब किसान भाई रबी सीजन में सरसों की बुवाई शुरू करेंगे। यहां आपको कम समय और सिंचाई में अधिक पैदावार देने वाली सरसों टॉप 5 उन्नत किस्मों की जानकारी दी गई है।  किसानों भाई सरसों की इन किस्मों का चयन अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार कर सकते हैं। सरसों की इन उन्नत किस्मों में तेल की मात्रा 37 से 42 प्रतिशत और औसत उपज 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहती है। आईए, सरसों कि उच्च उत्पादन देने वाली इन टॉप 5 सरसों की किस्मों के बारे में जानें। 

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सरसों की खेती : कम समय और सिंचाई में सरसों की बंपर पैदावार देने वाली उन्नत किस्में

Mustard Variety : भारत सरकार द्वारा तिलहन उत्पाद के आयात में कमी लाने के लिए “राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन’’ के अंतर्गत एनएफएसएम “टीएम 370” के नाम से विशेष कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। जिसके तहत किसानों को उन्नत किस्मों के बीजों साथ कई सुविधाएं भी प्रदान की जाती है। ऐसे में किसान भी उन्नत किस्म के बीजों से बुवाई करके सरसों का अच्छा उत्पादन लेने के प्रयास में लगे हुए हैं। इस बीच सरसों की बुवाई का समय भी शुरू होने जा रहा है। सरसों की बुवाई का उपयुक्त समय अक्टूबर से नवंबर महीने के अंत का होता है। ऐसे में किसानों को सरसों की खेती से कम समय में अधिक उत्पादन के लिए कीट रोगों के प्रति रोधक क्षमता रखने वाली उन्नत किस्मों के बीज का ही चयन करना चाहिए। वर्तमान में कृषि बाजारों में अलग-अलग ब्रांड के विभिन्न प्रकार की सरसों किस्म मौजूद है, जो कम समय और सिंचाई में अधिक पैदावार देने वाली सरसों की किस्म है। सरसों की मौजूदा किस्मों में से हम किसानों के लिए टॉप 5 उन्नत किस्मों की जानकारी लेकर आए हैं, जो सरसों की उच्च पैदावार देने वाली किस्म है और इन सरसों के दाने में तेल की मात्रा भी अच्छी पाई जाती है। किसान कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी-पानी के आधार पर सरसों की इन किस्मों का चयन कर खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। 

सरसों की उन्नत किस्में

पूसा सरसों आर एच 30 (Pusa Mustard RH 30)

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (पूसा) द्वारा पूसा सरसों आर एच 30 किस्म को सिंचित अथवा असिंचित दोनों क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है। सरसों की यह उन्नत किस्म हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी राजस्थान के लिए उयपुक्त बताई गई है। सरसों की यह किस्म 120 से 130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। पूसा सरसों आर एच 30 किस्म की औसतन पैदावार 18 से 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक है। इस किस्म के सरसों के बीज में तेल की मात्रा करीब 39 से 40 प्रतिशत तक  होती है। पूसा सरसों आर एच 30 किस्म में मोयले कीट का प्रकोप नहीं होता है।  

पूसा बोल्ड सरसों किस्म (Pusa Bold Mustard Variety)

सरसों की इस किस्म को राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और महाराष्ट्र के लिए विकसित किया गया है। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि इन इलाकों में सरसों की खेती के लिए पूसा बोल्ड सरसों किस्म किसानों की पहली पंसद है। सरसों की पूसा बोल्ड किस्म बीज बुवाई के 130 से 135 दिनों बाद पककर तैयार हो जाती है। सरसों की यह किस्म पर्याप्त सिंचाई में 18 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार दे सकती है। पूसा बोल्ड सरसों में तेल की मात्रा करीब 40 से 42 प्रतिशत तक होती है।

राज विजय सरसों-2 (Raj Vijay Mustard-2)

राज विजय सरसों-2 किस्म उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। सरसों की इस किस्म में तेल की मात्रा 37 से 41 प्रतिशत तक पाई जाती है। राज विजय सरसों-2 किस्म की परिपक्ता अवधि 120 से 135 दिनों की होती है। उपयुक्त समय पर इस किस्म की बुवाई करने से इसकी फसल से औसतन उत्पादन 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिल सकती है। 

पूसा डबल जीरो सरसों 31 (Pusa Double Zero Mustard 31)

सरसों की उन्नत किस्म ‘पूसा डबल जीरो सरसों 31 को नई दिल्ली स्थित पूसा संस्थान द्वारा 2017 में रिलीज किया गया था। पूसा डबल जीरो सरसों 31, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित हरियाणा, राजस्थान और उत्तरप्रदेश के आसपास के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। सिंचित क्षेत्रों में पूसा डबल जीरो सरसों 31 बुवाई के लिए उपयुक्त है। सरसों की यह उन्नत किस्म पीले बीज वाली किस्म है, जिसमें तेल की मात्रा 40.56 यानी 41 प्रतिशत होती है। बेहतर तेल और बीज आहार गुणवत्ता (कैनोला गुणवत्ता) पूसा डबल जीरो सरसों 31 किस्म सरसों को किसानों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद है। सरसों की इस किस्म की औसत बीज उत्पादन 23 से 25 क्विंटल/हेक्टेयर है। 

स्टार (star) 10-15 सरसों किस्म

स्टार (star) 10-15 सरसों किस्म, स्टार एग्रीसीड्स की एक हाइब्रिड काली सरसों किस्म है। सरसों की इस संकर किस्म की बुवाई किसान भाई किसी भी प्रकार की भूमि में आसानी से कर सकते हैं। इस किस्म की फसल तैयार होने का औसत समय 120 से 125 दिन का है। यह उन्नत किस्म पाले के प्रति सहनशील है। स्टार (स्टार) 10-15 सरसों किस्म से सरसों के बीज में तेल की मात्रा 42 प्रतिशत तक प्राप्त होती है। इस किस्म की उत्पादन क्षमता 15 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहती है। सरसों की यह उन्नत हाइब्रिड किस्म को केवल 2 सिंचाई की आवश्यकता होती है। इस किस्म की फसल की फली में दानों की संख्या भी अधिक रहती है। 

सरसों की खेती कैसे करें?

देश के हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के राज्यों में सरसों की खेती रबी सीजन के दौरान किसानों द्वारा की जाती है। सरसों की बुवाई का उपयुक्त समय बारानी क्षेत्र में अक्टूबर के अंत तक अथवा सिंचित क्षेत्र में नवंबर महीने का शुरूआती हफ्ता माना गया है। पूसा के कृषि विशेषज्ञ के मुताबिक, किसानों को सरसों की बुवाई सही समय से करनी चाहिए। सरसों की बुवाई करने से पहले कार्बेण्डाजिम (बॉविस्टीन) 2 ग्राम अथवा एप्रोन (एस.डी. 35) 6 ग्राम कवकनाशक दवाई प्रति किलो ग्राम बीज की दर बीजोपचार जरूर करें। सरसों की खेती के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले किस्म के सरसों की बीजों की मात्रा प्रति हेक्टेयर 3-4 किलोग्राम उपयुक्त रहती है। बीजों की बुवाई कतारों में करें। पौधे से पौधे की दूरी 10 सें.मी. रखते हुए बीजों की बुवाई कतारों में 5 सें.मी. गहराई में करें। वहीं, कतार से कतार की दूरी 45 सें.मी. रखनी चाहिए।

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