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Maize crop : मक्का की नई हाइब्रिड किस्म HQPM 28 से पाए 60 दिन में बंपर पैदावार

Maize crop : मक्का की नई हाइब्रिड किस्म HQPM 28 से पाए 60 दिन में बंपर पैदावार
पोस्ट -25 सितम्बर 2024 शेयर पोस्ट

Maize crop : एचएयू ने हरे चारे के लिए विकसित की मक्का की नई किस्म, मात्र 60 दिन में मिलेगी बंपर पैदावार

Hybrid corn variety HQPM 28 : हरा चारा दुधारू और कामकाजी पशुओं के पोषण युक्त आहार के लिए सबसे सस्ता स्त्रोत है। इसलिए पशुपालन के लिए नियमित रूप से पर्याप्त और पौष्टिक हरे चारे की आपूर्ति अति आवश्यक है, हालांकि लगातार बढ़ती पशुधन संख्या के कारण देश में हरे चारे सान्द्र आहार की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों द्वारा हरा चारा फसल की विभिन्न किस्मों को विकसित किया जा रहा है, ताकि हरे चारे की इस मांग को पूरा किया जा सके। इस कड़ी में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र करनाल ने हरे चारे के लिए अधिक पैदावार देने वाली उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन मक्का की संकर किस्म एचक्यूपीएम 28 विकसित की है। यह हाइब्रिड मक्का किस्म मात्र 60-70 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। आइए, हाइब्रिड मक्का किस्म की पैदावार और उत्पादन क्षमता के बारे में जानते हैं।  

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इन राज्यों के लिए की गई है अनुशंसित (Has been recommended for these states)

मक्का की यह नई किस्म फसल मानकों और कृषि फसलों की किस्मों की रिहाई पर केंद्रीय उपसमिति द्वारा भारत में खेती के लिए अनुमोदित की गई है। इसे उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ राज्य के लिए अनुशंसित की गई है। इस मक्का किस्म की खेती से किसान हरे चारे तथा उत्पादन की बंपर पैदावार हासिल कर सकते हैं। यह किस्म कम लागत में पशुपालकों को अधिक आय दिलवाने में सहायक हो सकती है। 

मक्का की संकर किस्म एचक्यूपीएम 28 (Maize hybrid variety HQPM 28)

विवि के कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने बताया कि मक्का की नई संकर किस्म एचक्यूपीएम 28 की हरे चारे की पैदावार 141 क्विंटल प्रति एकड़ तथा उत्पादन क्षमता 220 क्विंटल प्रति एकड़ है। यह किस्म बुआई के बाद 60 से 70 दिन में ही कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इस किस्म का हरा चारा पौष्टिकता से भरपूर है, जिसमें प्रोटीन 8.7 प्रतिशत, एसिड-डिटर्जेंट फाइबर 42.4 प्रतिशत, न्यूट्रल डिटर्जेंट फाइबर 65 प्रतिशत और कृत्रिम परिवेशीय पाचन शक्ति 54 प्रतिशत है। मक्का चारे की मौजूदा किस्मों में यह नई किस्म सबसे बेहतर है। 

बीज उत्‍पादन हेतु किफायती (Economical for seed production)

अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने कहा, तीन-तरफा क्रॉस हाइब्रिड (संकर) होने के कारण इस किस्म का बीज उत्पादन किफायती है तथा क्यूपीएम हाइब्रिड के चलते यह पोषण से भरपूर है। सामान्य मक्का किस्म की तुलना में इसमें आवश्यक अमीनो एसिड लाइसिन और ट्रिप्टोफैन की मात्रा दोगुनी है। क्यूपीएम और नवीनतम हाइब्रिड होने के कारण, यह निश्चित है कि यह मक्का हाइब्रिड किस्म अपनी सिफारिश के क्षेत्र में मौजूदा मक्का किस्मों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। यह चारे की बेहतर गुणवत्ता, जलवायु परिवर्तन की कड़ी चुनौतियों से निपटने में भी कारगर है। 

प्रमुख रोग और कीट प्रतिरोधी (Major disease and pest resistant)

क्षेत्रीय निदेशक डॉ. ओपी चौधरी ने बताया कि यह नई किस्म अधिक पैदावार देने के साथ-साथ उर्वरक के प्रति क्रियाशील भी है। यह किस्म पोषण से भरपूर व प्रमुख रोग मेडिस पत्ती झुलसा रोग की प्रतिरोधी एवं कीट फॉल आर्मी वर्म के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है। इस संकर किस्म की बिजाई मार्च के पहले सप्ताह से लेकर सितंबर के मध्य तक की जा सकती है। इस हाइब्रिड किस्म की बंपर पैदावार के लिए जमीन की तैयारी करते समय 10 टन प्रति एकड़ गोबर की खाद डालनी चाहिए। हरे चारे के लिए 48:16:16 किलोग्राम प्रति एकड़ एनपीके उर्वरकों की सिफारिश की जाती है। नाइट्रोजन की आधी तथा फास्फोरस और पोटाश उर्वरकों की पूरी मात्रा को बिजाई के समय तथा शेष नाइट्रोजन की मात्रा को बिजाई के 3 से 4 सप्ताह बाद उपयोग करने की सलाह दी जाती है।

वैज्ञानिकों ने दिया अहम योगदान (Scientists made important contribution)

विश्व विद्यालय के कुलपति ने क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र करनाल के वैज्ञानिकों की टीम को मक्का की इस नई किस्म को विकसित करने के लिए बधाई दी। उन्होंने बताया कि इस नई किस्म को विकसित करने में डॉ. एमसी कांबोज, प्रीति शर्मा, कुलदीप जांगिड़, पुनीत कुमार, साईं दास, नरेंद्र सिंह, ओपी चौधरी, हरबिंदर सिंह, नमिता सोनी, सोमबीर सिंह और संजय कुमार ने अहम योगदान दिया है। 

पशुओं के लिए महत्वपूर्ण है मक्का चारा फसल (Maize fodder crop is important for animals)

बता दें कि विभिन्न चारा फसलों में से मक्का देशभर में खरीफ, रबी और जायद तीनों मौसम में उगायी जाने वाली महत्वपूर्ण हरा चारा फसल है। यह दूधारू पशुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह ग्रेमिकी (अनाज के दाने) कुल की फसल है। हरे चारे फसल ज्वार में एचसीएन की विषाक्यता का खतरा होता है, जबकि मक्का में इसका खतरा नहीं होता है और इसका चारा पौष्टिक एवं स्वादिष्ट भी होता है। मक्का चारे में 9-10 प्रतिशत क्रूड प्रोटीन, 2.09-2.62 प्रतिशत ईथर निष्कर्षण, 0.42-0.70 प्रतिशत कैल्शियम, 60-64 प्रतिशत एनडीएफ, 38-41 प्रतिशत ए,डी, एफ, 28-30 प्रतिशत सेल्यूलोज और 23-25 प्रतिशत हैमीसेल्यूलोज पाया जाता है।  भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अफ्रीकन टॉल, विजय मोती एवं जवहार कंपोजिट, जे-1006, वी. एल.-54, ए.पी.एफ.एम.-8 एवं प्रताप मक्का चरी जैसी उन्नत मक्का किस्में बोई जाती है। इन चारा मक्का किस्मों से किसानों को औसतन प्रति हैक्टयर 450 से 800 क्विंटल हरे चारे की उपज मिल जाती है। 

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