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Mustard Seed : सरसों की नई किस्म पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35 से मिलेगी 22 क्विंटल अधिक उपज

Mustard Seed : सरसों की नई किस्म पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35 से मिलेगी 22 क्विंटल अधिक उपज
पोस्ट -25 सितम्बर 2024 शेयर पोस्ट

Mustard Seed : इन चार राज्यों के लिए ICAR द्वारा सरसों की नई किस्म विकसित, 132 दिन में मिलेगी 22 क्विंटल उपज

Improved Mustard Variety : खरीफ मौसम के बाद अब किसान रबी फसलों की तैयारियों में जुट गए हैं। किसान फसलों से बंपर उत्पादन प्राप्त कर सके, इसके लिए कृषि विश्वविद्यालयों एवं अनुसंधान संस्थानों से फसल के नए एवं प्रमाणित बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। वहीं, सरसों उत्पादकों को इस रबी सीजन में फसल के लिए प्रमाणित बीज मिले, इसके लिए भारतीय कृषि विज्ञान परिषद (ICAR) ने सरसों की नई एवं उन्नत किस्मों को जारी करना शुरू कर दिया है। आगामी रबी सीजन में सरसों की बुवाई के लिए आईसीएआर (ICAR) ने सरसों की नई किस्म पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35 जारी की है। सरसों की यह किस्म काफी खास है। जानकारी के अनुसार यह सफेद रतुआ समेत 4 रोगों से लड़ने में सक्षम है। ICAR ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत 4 प्रमुख सरसों उत्पादक राज्यों के किसानों को इस उन्नत और प्रमाणित किस्म की बुवाई करने की सलाह दी है। 

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सरसों की उन्नत किस्म (Improved variety of mustard)

भा.कृ.अ.प.- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR-IARI) की ओर से जारी की गई सरसों की नई किस्म पूसा डबल जीरो काफी विकसित है। इस किस्म को मार्च में बुवाई के लिए मंजूरी मिल गई थी, हालांकि रबी सीजन में सरसों की बुवाई करने वाले किसानों को इसका इस्तेमाल करने को कहा है। इस नई किस्म को सिंचित क्षेत्र की स्थिति में समय से बिजाई के लिए उपयुक्त बताया है। 

इन राज्यों के किसानों को बिजाई करने की सलाह (Advice for sowing to the farmers of these states)

भा.कृ.अ.प. (आईसीएआर) के अनुसार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड के किसानों को सरसों की उत्तम किस्म “पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35” (पीडीजेड 14) की बुवाई करने की सलाह दी गई है। आईएआरआई संस्थान नई दिल्ली के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, यह किस्म बिजाई के बाद केवल 132 दिन में तैयार हो जाती है। कई रोगों को पनपने नहीं देने की क्षमता के कारण किसान इस फसल की बुवाई से प्रति हेक्टेयर 21.48 क्विंटल से अधिक की उपज प्राप्त कर सकते हैं। 

खेती में महत्वपूर्ण योगदान देने की उम्मीद (Expected to make significant contribution to farming)

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के अनुसार, पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35 किस्म असाधारण विशेषताओं को प्रदर्शित करता है, जो इसे किसानों के लिए मौजूदा सरसों की किस्मों के साथ एक मूल्यवान अतिरिक्त किस्म बनाता है। अपनी उच्च उत्पादक क्षमता और अनुकूलनशीलता के साथ, पीडीजेड 14 (पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35) से सरसों की खेती के परिदृश्य में महत्वपूर्ण योगदान की उम्मीद है। इसमें सफेद रतुआ रोग यानी व्हाइट रस्ट, अल्टरनेरिया ब्लाइट यानी फफूंदी रोग, स्केलेरोटिनिया स्टेम रॉट यानी फफूंदी रोग, डाउनी फफूंद और पाउडरी फफूंद रोग का प्रकोप नहीं है, जिससे रोगों की रोकथाम के लिए कीटनाशकों, दवाओं पर किसानों को कोई अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ता है। 

खेती रकबा 100 लाख हेक्टेयर के पार पहुंचने की उम्मीद (Farming area expected to cross 100 lakh hectares)

भारत सरकार ने खाद्य तेल के लिए 2024-25 में सरसों का रकबा 100 लाख हेक्टेयर के पार ले जाने की उम्मीद जताई है। ऐसा सरसों की एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) में 200 रुपए की बढ़त को देखते हुए कहा गया है। केंद्र ने 2024-25 में सरसों पर एमएसपी 5650 रुपए प्रति क्विंटल घोषित की गई है। इससे पहले 2022-23 में सरसों का बुवाई क्षेत्रफल रकबा 98.02 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था, जो 6.77 लाख हेक्टेयर अधिक था। 2021-22 में सरसों का क्षेत्रफल 91.25 लाख हेक्टेयर था। 

देश में सरसों क्षेत्र की वृद्धि और उत्पादकता में योगदान देने के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (MoA&FW) के तहत केंद्रीय बीज समिति ने हाल ही में कई और नई भारतीय सरसों किस्मों की अधिसूचना की घोषणा की है और अनुशंसित क्षेत्रों में इन किस्मों को खेती के लिए मंजूरी दे दी गई ।

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