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सरसों की इन टॉप 5 किस्मों से मिलेगी बंपर पैदावार, किसान 100 दिनों में होंगे मालामाल

सरसों की इन टॉप 5 किस्मों से मिलेगी बंपर पैदावार, किसान 100 दिनों में होंगे मालामाल
पोस्ट -28 नवम्बर 2022 शेयर पोस्ट

सरसों खेती : सरसों की बंपर पैदावार देने वाली उन्नत किस्में, जानें पूरी जानकारी 

पिछलें कुछ दशकों से केंद्र एवं राज्य सरकारें तिलहनी फसलों के रकबे में बढ़ोतरी के लिए कई विभिन्न प्रकार की योजनाएं संचालित कर रही है। क्योंकि तिलहनी फसलें देश की अर्थव्यवस्था में मुख्य भूमिका अदा करती है। देश के कई हिस्सों में खरीफ, रबी और जायद तीनों ही कृषि मौसम में अलग-अलग तिलहन फसलों की खेती होती है। जिनमें मूंगफली, सोयाबीन, सरसों, तोरिया, सूरजमुखी, तिल, कुसम, अलसी, नाइजरसीड्स आदि खाद्य तिलहनी फसलों की खेती परंपरागत रूप से की जाती है। उत्पादन और क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से देखा जाये तो मूंगफली, सोयाबीन और सरसों देश की प्रमुख तिलहन फसलें हैं। देश में मूँगफली के बाद सरसों दूसरी सबसे महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, जो मुख्यतया राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल एवं असम गुजरात में उगायी जाती है। पिछले कुछ वर्षों से सरसों की जबरदस्त कीमत किसानों को मिली रही है। और पूरे साल भाव उच्चतर स्तर पर बने रहते है। सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5050 रुपए प्रति क्विंटल तक है। यही कारण है कि सरसों की खेती कृषकों के लिए बहुत लोकप्रिय होती जा रही है। इसे सिंचित क्षेत्रों के साथ ही नमी वाले क्षेत्रों में आसानी से लगाया जा सकता है। सरसों कम लागत और सिंचाई में अन्य फसलों की तुलना में अधिक उत्पादन देती है। जिससे किसानों को अन्य फसलों की अपेक्षाकृत अधिक लाभ प्राप्त हो रहा है। इसकी खेती मिश्रित फसल के रूप में या दो फसलीय चक्र में आसानी से की जा सकती है। देश के कई राज्यों में किसान तिलहन फसलों में सरसों की खेती से बेहतर उत्पादन प्राप्त कर आत्मनिर्भर बन रहे है। किसान अधिक उत्पादन के लिए और अपने क्षेत्र के मुताबिक सरसों की सही किस्म का चयन कर इसकी खेती से बंपर पैदावार के साथ अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। यहां हम ट्रैक्टरगुरू के इस लेख के माध्यम से सरसों की 5 उन्नत किस्मों के बारे में बताने जा रहे है। इन किस्मों का प्रयोग कर आप 100 दिनों में इसकी खेती से बंपर पैदावार हासिल कर सकते है। 

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Mustard Cultivation : (सरसों की खेती )

देश के विभिन्न हिस्सों में खरीफ सीजन फसलों की कटाई के साथ ही रबी सीजन फसलों की बुवाई का काम भी शुरू हो जाता है। रबी सीजन में सरसों, गेहूं और चना सहित अन्य कई फसलों की खेती होती है। किसान रबी फसलों में गेहूं के साथ-साथ सरसों की भी बुवाई भी शुरू कर देते है। क्योंकि यह भी रबी सीजन की एक प्रमुख तिलहनी नकदी फसल हैं। इसकी खेती बाज और पशु आहार के उद्देश्य से की जाती हैं। बारानी क्षेत्र में सरसों की बुवाई अक्टूबर के अंत तक और सिंचित क्षेत्र में नवंबर माह के शुरूआती हफ्तों में कर दी जाती है। सरसों उत्पादक राज्यों में राजस्थान का स्थान प्रथम हैं, जिसकी देश के कुल सरसों उत्पादन में 46.06 प्रतिशत भागीदारी है। इसके बाद हरियाणा उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल क्रमशः द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ और पंचम स्थान पर अपना योगदान दे रहे हैं। 

सरसों की खेती को अधिक प्राथमिकता देने का कारण

देश के विभिन्न राज्यों में सरसों की खेती को अधिक प्राथमिकता दी जा रही है। क्योंकि पिछले साल भारत सरकार द्वारा सरसों फसल के निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य से लगभग डेढ़ से दोगुनी कीमतों पर की सरसों की बिक्री हो गई थी। वर्तमान में भी सरसों, सरसों तेल और सरसों खली की कीमतें काफी अच्छी चल रही हैं। पिछले वर्ष सरसों का अच्छा भाव को ध्यान में रखते हुए किसान इस बार भी उम्मीद कर रहे हैं आगामी सीजन में सरसों की पैदावार में भारी बढ़ोतरी होगी और भाव भी अच्छा मिलेगा। देश के कुछ हिस्सों में किसानों ने इसकी अगेती खेती की बुवाई भी कर दी है और कई हिस्सों में सरसों की खेती की तैयारी शुरू हो चुकी है। 

सरसों की उन्नत किस्में 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुवांशिकी संस्थान के कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि जिन्हें सरसों की खेती किसानों के लिए काफी लाभदायक हो सकती है और वे अतिरिक्त मुनाफा हासिल कर सकते हैं। ऐसे में किसान भाई कम समय में पककर तैयार हो जानी वाली भारतीय सरसों की अच्छी किस्म लगाकर बंपर पैदावार के अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि पूसा ने कुछ किस्मों को विकसित किया है, जो जल्द पककर तैयार हो जाती हैं और उत्पादन भी अधिक मिलता है। जिनमें हम आपके लिए टॉप 5 किस्मों को लेकर आये हैं, जो इस प्रकार है-

पूसा बोल्ड - कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि सरसों की यह किस्म सबसे उन्नत किस्मों में से एक है। यह 100 से 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। सरसों की इस किस्म की बुवाई राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र क्षेत्रों में काफी बड़े पैमाने पर की जाती है। सरसों की इस किस्म से 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार प्राप्त हो सकती है। इसमें तेल की मात्रा करीब 40 प्रतिशत केे आस-पास पाई जाती है। 

पूसा सरसों 28- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित सरसों की यह नवीनतम किस्म है। इस नवीनतम किस्म की बुवाई के 105 से 110 दिनों के पश्चात यह पक कर तैयार हो जाती है। सरसों की यह किस्म 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार देने में समक्ष है। पूसा सरसों 28 किस्म के बीजों में 21 प्रतिशत  तक तेल की मात्रा पाई जाती है। मिट्टी और जलवायु के अनुसार हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में पूसा सरसों 28 किस्म की खेती की जाती है। 

राज विजय सरसों-2 - सरसों की यह किस्म मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के इलाकों में बड़े पैमाने पर उगाई जाती है। ये किस्म बुवाई के 120 से 130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। सरसों की इस किस्म में तेल की मात्रा 37 से 40 प्रतिशत के पास होती है। सरसों की इस किस्म को उत्पादन और अच्छी क्वालिटी के तेल प्रोडक्शन के लिए अहम माना जाता है। इस किस्म की औसत पैदावार 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। 

पूसा सरसों आर एच 30 - सरसों की ये किस्म हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी राजस्थान क्षेत्रों में ज्यादातर उगाई जाती है। फसल 130 से 135 दिनों में कटाई के लिए तैयार होती है। इसकी उत्पादन क्षमता 16 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक रहती है। पूसा सरसों आर एच 30 सरसों किस्म में तेल की मात्रा लगभग 39 प्रतिशत तक होती है।

पूसा मस्टर्ड 21- ये किस्म पंजाब, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में ज्यादातर उगाई जाती है। सरसों की यह किस्म 137 से 152 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इस किस्म का 18 से 21 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है। इसमें तेल की मात्रा लगभग 37 से 40 प्रतिशत तक पाई जाती है। 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुवांशिकी संस्थान के कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि किसान अधिक उत्पादन के लिए अपने क्षेत्र के मुताबिक इन उन्नत सरसों किस्मों का प्रयोग कर सकते है। और सरसों का अच्छा उत्पादन लेने का सपना बिना ज्यादा मेहनत किए पूरा कर सकते है। 

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