अल्फांसो (हापुस) आम : भारत में अभी फलों के राजा आम (Mango) का सीजन चल रहा है। आम खाने के शौकीन इसके रसीले स्वाद का आनंद ले रहे हैं। इस समय बाजारों में आम की विभिन्न किस्मों का बोलबाला है। अधिकांश शहरों में इसकी विभिन्न वैरायटियों की आवक उत्पादक मंडियों से हो रही है। ऐसे में अगर आप भी आम की (Mango Farming) खेती से लाखों रुपए का मुनाफा कमाना चाहते है, तो यह समय काफी उपयुक्त है। क्योंकि अभी देश के कई हिस्सों में मानसून के आगमन के साथ झमाझम बारिश का दौर शुरू हो चुका है। ऐसे में आम के नए बाग लगाने के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है। इस मानसून सीजन में जून महीने के अंतिम सप्ताह से लेकर सितंबर तक आप आम के नए बाग यानी खेती लगा सकते हैं। वैसे तो देश में आम की कई किस्सों की खेती होती है, लेकिन आप आम की नई खेती लगाना चाहते हैं, तो आम की सबसे अधिक डिमांड वाली किस्म अल्फांसो आम के बाग लगा सकते हैं। बाजारों में अल्फांसो आम की कीमत सामान्य आम वैरायटी से कई गुना अधिक होती है। अल्फांसो आम किस्म को गुजरात के वलसाड को हापुस आम के नाम से भी जाना जाता है। किसान भाई इसकी खेती के लिए तैयारी शुरू कर सकते हैं। आम की खेती दीर्घकालीन निवेश है। ऐसे में किसान उचित योजना बनाकर अल्फांसो (हापुस) आम की खेती लगाए, ताकि नुकसान की संभावना कम हो जाए।
अल्फांसो आम (Alphonso Mango) फल की एक वैरायटी है, जो अपने अनोखे स्वाद, सुगंध और बेहतर गुणवत्ता के कारण पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। आम की इस किस्म के फल का आकार लगभग 4 से 6 इंच का होता है। अल्फांसों आम (हापुस आम) का रंग सुनहरा पीला और स्किन अखाद्य होती है। अल्फांसो आम (Alphonso Mango) की मांग भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में सबसे अधिक है। बाजारों में इस आम की डिमांड अधिक होने की वजह से किसान इसकी खेती से अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं। एक जानकारी के मुताबिक, हापुस आम (अल्फांसो) में एंजाइम का कॉम्बिनेशन होता है, जो इसके स्वाद को बढ़ाने में मदद करता है।
हापुस आम (Hapus Mango) की अधिक डिमांड होने की वजह से इसके उत्पादन में भी बढ़ोतरी देखी गई है। कई राज्यों में आम के पेड़ों (Mango trees) की संख्या भी बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकारें आम की खेती करने वाले किसानों या इससे जुड़ने वाले नए कृषकों को निर्धारित इकाई लागत पर अलग-अलग अनुदान प्रतिशत का लाभ प्रदान करती है। अभी उद्यान निदेशक बिहार सरकार द्वारा राज्य में किसानों को आम, केला और नारियल के नए बाग लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए उद्यानिकी विभाग बिहार द्वारा मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के तहत आम की खेती के लिए एक हेक्टेयर की इकाई लागत 60 हजार रुपए पर लाभार्थी को 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। किसानों को यह अनुदान दो किस्तों में देने का प्रावधान किया गया है। अनुदान की राशि 75 प्रतिशत यानी 33,750 प्रथम किस्त में और 11,250 दूसरी किस्त में दी जाती है। दूसरी किस्त का भुगतान पौधे जीवित रहने पर ही किया जाएगा।
वलसाड के हापुस यानी अल्फांसो आम में विटामिन ए, सी और विटामिन ई की मात्रा भरपूर पाई जाती है, जिसके कारण इसे सेहत के लिए काफी लाभदायक माना गया है। इस किस्म के आम के सेवन से पाचन क्रिया को बेहतर बनाया जा सकता है। यह हृदय और कैंसर जैसी बड़ी बीमारियों में लाभकारी होता है। भारतीय बाजारों में अल्फांसो आम लगभग 1200 से 1500 रुपए प्रति किलो की कीमत से बिकता है। देश-विदेश के मार्केट में इनकी अधिक मांग और कीमत के कारण इसकी खेती से जुड़े किसान हर सीजन में लाखों रुपए का मुनाफा कमाते हैं। अगर आप अब इसकी खेती करने लगते हैं, तो तीन से चार साल बाद इससे पैदावार प्राप्त कर तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं। बता दें कि आम का पौधा रोपण के बाद लगभग तीन सालों में पूर्ण रूप से विकसित होकर पैदावार देने के लिए तैयार हो जाता है। साथ ही इसके पूर्ण विकसित पौधे से लगभग 150-250 किलो प्रति पौधा फल प्राप्त हो सकता है। यह पैदावार आम की किस्म और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग भी हो सकती है। अल्फांसो आम की खेती महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक में सबसे अधिक की जाती है।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, अगर किसान अल्फांसो आम की खेती (Mango Cultivation) लगाना चाहते हैं, तो उन्हें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसमें खेती/बाग के लिए साइट का चयन सबसे महत्वपूर्ण है। बाग लगाने की भूमि या खेत मुख्य सड़क और बाजार के आस-पास के क्षेत्र में होना चाहिए। इससे लाभ यह होगा कि बाग में लगने वाली खाद , उर्वरक और पेस्टीसाइड की समय पर खरीद और फल पैदावार की समय पर बिक्री में सुविधा मिल सकेगी। आम की वृद्धि और उत्पादन के लिए सिंचाई की सुविधा, उपयुक्त जलवायु और अच्छी मिट्टी का होना आवश्यक है। बाग लगाने के लिए खेत की गहरी जुताई के पश्चात हैरो चलाकर मिट्टी को भुरभुरा करना जरूरी है। उचित दूरी पर पौधों का रौपण पौधों को सामान्य विकास के लिए पर्याप्त स्थान प्रदान करता है। रोपण की दूरी मिट्टी की प्रकृति, सैपलिंग प्रकार (ग्राफ्ट्स/सीडलिंग) और विविधता की शक्ति जैसे कारकों पर निर्भर करती है। लंबी प्रजाति के आम (वलसाड हापुस या अल्फांसो, मालदा या लंगड़ा, चौसा, फजली) को 12 मीटर बाई 12 मीटर के अंतर पर लगाना चाहिए। बौनी किस्म के आम जैसे दशहरी, नीलम, तोतापुरी और बॉम्बे ग्रीन के लिए दूरी 10 मीटर x 10 मीटर रख सकते हैं। किसान बौनी आम किस्मों के 220 पौधे प्रति हेक्टेयर और कुछ अन्य किस्मों के लिए 1600 पौधे प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगा सकते हैं।
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