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गेहूं की करण शिवानी DBW 327 रिकॉर्ड तोड़ पैदावार देने वाली किस्म, जानें इसकी खासियत

गेहूं की करण शिवानी DBW 327 रिकॉर्ड तोड़ पैदावार देने वाली किस्म, जानें इसकी खासियत
पोस्ट -13 नवम्बर 2024 शेयर पोस्ट

Karan shivani DBW 327 Wheat Variety : गेहूं का 87.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देने वाली करण शिवानी DBW 327 किस्म

Karan shivani DBW 327 : देश में रबी की सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई शुरू हो चुकी है। कई क्षेत्रों के किसान गेहूं की बुवाई करने में व्यस्त है।  ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा किसानों को गेहूं की उन्नत किस्मों के बीज उपलब्ध कराए जा रहे है, जिससे किसानों को खेती से अधिक पैदावार मिले सके। वहीं, कृषि वैज्ञानिकों द्वारा गेहूं की नई-नई उन्नत किस्में विकसित की जा रही है, ताकि गेहूं का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाकर किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सके। इसी कड़ी में भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा गेहूं की किस्म करण शिवानी DBW 327 विकसित की गई है। गेहूं की यह किस्म कई रोगों के लिए प्रतिरोधी है और इसकी पैदावार क्षमता अन्य किस्मों (Wheat Varieties) की तुलना में कहीं अधिक है। गेहूं की इस किस्म से किसानों को अधिकतम 87.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की रिकॉर्ड उत्पादन प्राप्त भी हुआ है। वहीं, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा गेहूं की बुवाई हेतु किसानों के लिए सलाह भी जारी की गई है। आइए गेहूं की किस्म करण शिवानी DBW 327 विशेषता और पैदावार क्षमता के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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गेहूं की इस किस्म को इन क्षेत्रों के लिए किया गया है अनुशंसित

गेहूं की किस्म करण शिवानी डब्ल्यू 327 को केंद्रीय किस्मों की विमोचन समिति द्वारा 2021 में खेती हेतु जारी किया गया। आईसीएआर- भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा विकसित करण शिवानी DBW 327 (Karan shnavi DBW 327) गेहूं की किस्म (Wheat variety) को भारत के उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों की सिंचित दशा में अगेती बुआई वाली खेती के लिए अनुशंसित किया गया है, जिसमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजन को छोड़कर) और पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू कश्मीर (जम्मू और कठुआ जिले), हिमाचल प्रदेश (ऊना जिला और पांवटा घाटी) और उत्तराखंड (तराई क्षेत्र) कुछ इलाकों को शामिल किया गया है।

करण शिवानी डीबीडब्ल्यू 327 किस्म की विशेषताएं

अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना गेहूं के अगेती उच्च उत्पादन क्षमता परीक्षणों में गेहूं की डीबीडब्ल्यू 327 (करण शिवानी) किस्म की औसत उपज 79.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पायी गई है जो की एच डी 2967 (HD-2967) 35 फीसदी एवं एच डी 3086 (HD-3086) से 11.7 फीसदी अधिक है। उत्पादन परीक्षणों के तहत करण शिवानी डीबीडब्ल्यू 327 गेहूं किस्म द्वारा 87.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की अधिकतम पैदावार क्षमता दर्ज की गई है। इस गेहूं क़िस्म की पूरे जोन में पैदावार की अच्छी स्थिरता पायी गई है और अधिक उर्वरकों और वृद्धि नियंत्रकों के प्रयोग हेतु अच्छे परिणाम दर्शायें है। गेहूं किस्म करण शिवानी डीबीडब्ल्यू 327 (Wheat Variety Karan Shivani DBW 327) की खेती कर अगले साल हेतु खुद का बीज उत्पादन तैयार कर सकते हैं।

प्रमुख रोगजनक प्रकारों के लिए प्रतिरोधक

गेहूं किस्म Karan Shivani DBW 327 पीला और भूरा रतुआ की सभी प्रमुख रोगजनक प्रकारों के लिए प्रतिरोधक पाई गई है। यह किस्म उच्च तापमान एवं सूखे के प्रति अवरोधी पाई गई है। इसके अलावा, डीबीडब्ल्यू 327 (करण शिवानी) में करनाल बंट रोग के प्रति इन्य किस्मों की तुलना में अत्यधिक रोगरोधिता पाई गई है। करण शिवानी DBW 327 के दानें में उच्च लौह मात्रा (39.4 पीपीएम), अच्छा जिंक की मात्रा (40.6 पीपीएम), चपाती स्कोर (7.67), अधिक गीला व सूखा ग्लूटन मात्रा (35.5 प्रतिशत और 11.3 %) और बिस्कुट फैलाव गुणांक 6.7 सेमी है। अच्छा ब्रेड स्कोर (6.56/10) होने के कारण करण शिवानी डीबीडब्ल्यू 327 किस्म (Variety Karan Shivani DBW 327) गेहूं के कई उत्पादों के लिए बहुत उपयुक्त है।

फसल पकने की अवधि

गेहूं की इस किस्म की फसल पकने की अवधि औसतन 155 दिनों की है, इसके 1000 दानों का वजन लगभग 37-48 ग्राम होता है। वहीं इसके पौधों की ऊँचाई लगभग 98 सेमी होती है। यह किस्म अधिकतम 87.7 क्विंटल हेक्टेयर तक की पैदावार दे सकती है। करण शिवानी डीबीडब्ल्यू 327 गेहूं किस्म उत्तर पश्चिमी भारत के मैदानी क्षेत्रों में गेहूं की इस किस्म की बुआई किसान नवंबर के तीसरा सप्ताह, यानी 25 नंबवर तक कर सकते हैं।  इस किस्म के लिए 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज का इस्तेमाल करें। पंक्तियों के बीच 20 सेमी की दूरी रखते हुए बीजों की बुआई करें। फसल को कंडुवा रोग से बचाने के लिए वीटावैक्स (कार्बोक्सिन 37.5 प्रतिशत थिरम 37.5 प्रतिशत) प्रति 2-3 किलोग्राम बीज से उपचारित करना चाहिए। गेहूं की करण शिवानी DBW 327 किस्म को सामान्यतः 5-6 सिंचाई की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई बीज बोने के 20-25 दिन के बाद व उपलब्ध नमी के आधार पर 25 से 35 दिनों के अंतराल में दूसरी एवं तीसरी सिंचाई करनी चाहिए।

गेहूं की बुआई हेतु किसानों के लिए जारी सलाह

गेहूं की बुआई को देखते हुए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU), हिसार द्वारा किसानों के लिए सलाह जारी की गई है। कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा बताया गया है कि गेहूं की अधिक पैदावार के लिए किसान उचित किस्म, वैज्ञानिक सस्य क्रियाएं व उचित खाद की मात्रा से कम खर्चे में अधिक उत्पादन प्राप्त सकते हैं। कृषि विश्वविद्यालय के अनुसार गेहूं की बुआई नवम्बर के पहले सप्ताह से नवम्बर के तीसरा सप्ताह तक यानि एक नवम्बर से 25 नवम्बर तक करें। बिजाई “बीज सह उर्वरक ड्रिल मशीन” से करें, गहराई लगभग 5 सेंटीमीटर एवं पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेंटीमीटर होनी चाहिए। गेहूं की अगेती एवं समय से बिजाई के लिए 40 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से बीज का प्रयोग करें। सीमित सिंचित दशा में अगेती बुआई वाली खेती के लिए गेहूं की किस्में जैसे- WH 1402, WH 1142, WH 1080, PBW 644, NIAW 3170, DBW 296, HI 1653, HD 3369 का प्रयोग करें। वहीं, सिंचित क्षेत्रों में अगेती बिजाई हेतु गेहूं की उन्नत किस्में  WH 1270,  DBW 187,  DBW 303,  DBW 327, DBW 371, DBW 372, PBW 872 इत्यादि की बुवाई करें। सिंचित एवं समय से बिजाई हेतु WH 1105, WH 1184, DBW 222, DBWH 221, HD 3086, PBW 826 एवं HD 3386 गेहूं की किस्मों की बिजाई करें।

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