किन्नू की खेती कैसे करें - किन्नू की खेती से कैसे कमाएं लाखों का मुनाफा

पोस्ट -26 दिसम्बर 2022 शेयर पोस्ट

किन्नू की खेती कैसे करें (Kinnu Cultivation) - जानें, प्रमुख राज्य और किन्नू की उन्नत किस्में

किन्नू एक ऐसी फल वाली फसल है जिसकी खेती भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में आसानी से की जा सकती है। किन्नू में विटामिन सी तथा विटामिन ए, बी की मात्रा अधिक पाई जाती है जिससे इसका सेवन करने वाले लोगों के स्वास्थ्य को काफी लाभ पहुंचाता है। इसका सेवन करने से शरीर में खून बढ़ता है और हड्डियां मजबूत होती है। पहले जहां पंजाब, हिमाचल प्रदेश आदि जैसे राज्यों में ही केवल किन्नू की खेती की जाती थी, वहीं अब अन्य राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश में भी इसकी जमकर खेती हो रही है। किन्नू की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। किसान भाईयों आज ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट के माध्यम से किन्नू की खेती से जुड़ी सभी जानकारियां आपके साथ साझा करेंगे।

किन्नू की खेती करने वाले प्रमुख राज्य

भारत में किन्नू की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर हैं। इन राज्यों में किन्नू का उत्पादन सफलतापूर्वक किया जा रहा है।

किन्नू की उन्नत किस्में

किन्नों : किन्नू की इस प्रजाति का नाम किन्नों है। इसके पौधों पर आने वाले फल सुनहरे संतरे रंग के होते है, जो स्वाद में हल्के खट्टे तथा इसमें मीठा रस होता है। इस क़िस्म का फल जनवरी से फरवरी के महीने में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता है।

लोकल : किन्नू की इस किस्म को पंजाब के छोटे क्षेत्रों में उगाया जाता है। इसके पेड़ में निकलने वाले फलों का आकार सामान्य और छोटा होता है। यह किस्म दिसंबर से जनवरी के महीने में तुड़ाई के लिये तैयार हो जाती है, इसका छिलका संतरी पीला रंग का होता है।

पाव किन्नौ : किन्नू की यह प्रजाति जनवरी के महीने में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके फलों में 6 से 8 तक बीज होते हैं। इस किस्म का प्रति पेड़ उत्पादन 45 किलोग्राम के आसपास का होता है।

डेज़ी : किन्नू की यह किस्म नवंबर के अंतिम सप्ताह तक तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके फलों में 10 से 15 बीज पाये जाते हैं। इस किस्म का औसत उत्पादन 57 किलोग्राम प्रति पेड़ होता है।

किन्नू की खेती करने के लिए उपयुक्त भूमि, जलवायु और तापमान 

किन्नू की खेती करने के लिए विभिन्न प्रकार की भूमि उपयुक्त मानी जाती है। किन्नू की खेती गहरी दोमट मिट्टी, चिकनी मिट्टी और तेजाबी मिट्टी में आसानी से कर सकते हैं। इसकी खेती करने के लिए खेत में उचित जल निकासी की व्यवस्था होना चाहिए और भूमि उपजाऊ होनी चाहिए। क्षारीय भूमि में इसकी फसल को नहीं उगाया जा सकता है। पौधों के अच्छे से विकास करने के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7.5 के बीच का होना चाहिए।किन्नू का पौधा उपोष्ण जलवायु वाला होता है, इसीलिए इसे अर्द्ध शुष्क जलवायु की जरूरत होती है। इसके पौधों को शुरुआत में 10 से 35 डिग्री तक का तापमान चाहिए होता है। ताकि पौधे का विकास सही तरीके से हो सके। इसका पौधा अधिकतम 40 डिग्री तथा न्यूनतम 10 डिग्री के तापमान पर अच्छे से विकास कर सकता है। इसे एक साल में औसतन 50 से 60 सेंटीमीटर पानी की आवश्यकता होती है।

किन्नू के खेती करने के लिए खेत कैसे तैयार करें

किन्नू की खेती के लिए भुरभुरी मिट्टी को सबसे अच्छा माना जाता है। इसके लिए सबसे पहले खेत की सफाई करके कल्टीवेटर की मदद से गहरी जुताई करनी चाहिए। इसके बाद खेत को कुछ दिन के लिए ऐसे ही खुला छोड़ देना चाहिए। इसके बाद खेत की एक बार फिर से जुताई करनी चाहिए। जुताई के बाद खेत में पानी भर कर छोड़ दिया जाता है। जब खेत का पानी सूख जाएं तब रोटावेटर की मदद से दो से तीन तिरछी जुताई करनी चाहिए। इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है, भुरभुरी मिट्टी में पाटा लगाकर खेत को समतल कर देना चाहिए। इसके बाद पौध रोपाई के लिए उचित दूरी पर गड्ढे तैयार करना चाहिए।

किन्नू के बीज की रोपाई का समय और तरीका 

किन्नू के बीज की रोपाई सीधा बीज के रूप में न करके पौधे के रूप में की जाती है। इसके लिए किन्नू के बीज को प्रजनन टी-बडिंग विधि के माध्यम से तैयार किया जाता है। नर्सरी में बीज को 2X1 मीटर आकार वाली बैंडो पर 15 सेटीमीटर की दूरी पर कतार में लगाए। जब किन्नू का पौधा 10 से 12 सेटीमीटर लम्बा हो जाये तो उसे निकाल कर खेत में उसकी रोपाई कर दें। खेत में केवल स्वस्थ पौधों को ही लगाएं। किन्नू के कमजोर और छोटे पौधों को खेत में न लगाए। पौधों को खेत में लगाने से पहले जड़ों की छंटाई अवश्य कर लें। खेत में पौधों को लगाने से पहले गड्ढे को तैयार कर लें।

गड्ढे तैयार करने के लिए लिए 60×60×60 सेटीमीटर वाले गड्ढे खोद लें, तथा एक गड्ढे से दूसरे गड्ढे के बीच 6×6 मीटर की दूरी रखें। इन गड्ढे में 10  किलोग्राम रूडी और 500 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट खाद को डालें। किन्नू के पौधों को तेज हवा से बचाने के लिए खेत के चारों ओर अमरुद, जामुन, शीशम, आम, शहतूत और आंवला के पौधों को लगाया जा सकता है। इसके पौधों की रोपाई का उपयुक्त समय जून से सितंबर माह के मध्य का है। एक हेक्टेयर के खेत में तकरीबन 200 से 220 पौधों को लगाया जा सकता है।

किन्नू के पौधों की सिंचाई कैसे करें

किन्नू के पौधों को लगाने के बाद शुरुआत में अधिक सिंचाई की जरूरत होती है। इसके लिए खेत में हल्की-हल्की सिंचाई कर नमी बनाये रखना आवश्यक होता हैं। जब पौधे 3 से 4 वर्ष पुराने हो जाएं तो हफ्ते में एक बार पानी देना जरूरी होता है, तथा उससे अधिक पुराने पौधों को मौसम और जलवायु के हिसाब से बारिश के मौसम में 2 से 3 हफ्तों में पानी देना आवश्यक होता है।

किन्नू की फसल में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें

किन्नू के पौधों को शुरुआत में खरपतवार से बचाना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए निरंतर पौधों की निराई – गुड़ाई करना आवश्यक होता हैं। इसकी पहली गुड़ाई पौधे की रोपाई के 25 से 30 दिन बाद की जाती है, तथा बाकी की गुड़ाई को खेत में खरपतवार दिखाई देने पर ही करना होता है। इसके अलावा पौधे में अंकुरण होने के बाद पैराकुएट 1.2 लीटर, गलाईफ़ोसेट या 1.6 लीटर की मात्रा को 200 लीटर पानी में अच्छे से मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में छिड़काव करें।

किन्नू के फलों की तुड़ाई कैसे करें और पैदावार

किन्नू के पौधों पर लगे फलों का रंग जब गहरा दिखाई देने लगे उस दौरान उनकी तुड़ाई कर लें। किन्नू की तुड़ाई जनवरी से फ़रवरी माह के मध्य करना सबसे उपयुक्त होता है। इसके फलों की तुड़ाई समय पर ही कर लेनी चाहिए ताकि फल अच्छी गुणवत्ता वाले प्राप्त हो सके। फलों की तुड़ाई करने के बाद उन्हें साफ पानी में डालकर अच्छे से धोकर साफ कर लें। इसके बाद उन्हें छांव में अच्छी तरह से सुखा लें। किन्नू का पूर्ण विकसित पौधा क़िस्म के आधार पर 80 से 160 किलोग्राम फलों का उत्पादन दे देता है। जिससे किसान भाइयों को अच्छी मात्रा में फल का उत्पादन प्राप्त हो सकता है और वह अच्छी कमाई भी कर लेते हैं।

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