Rabi Marketing Season 2024-25 : देश के अधिकांश राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से गेहूं की उपज की खरीद का काम जारी है, तो दूसरी ओर इस समय कई राज्यों में किसानों द्वारा गेहूं की कटाई और मड़ाई का काम किया जा रहा है। किसान समर्थन मूल्य पर अपनी गेहूं की उपज बेचने के लिए मंडियों में पहुंच रहे हैं। वहीं, राज्य सरकारों द्वारा बफर स्टॉक के लिए गेहूं खरीद केंद्रों की मदद से निर्धारित एमएसपी पर किसानों से गेहूं की खरीदी का दौरा जारी है। किसानों को उपज बेचने में किसी प्रकार की असुविधा न हो इसके लिए अधिकारियों और कर्मचारियों को विस्तृत दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
इसी कड़ी में लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने गेहूं खरीद केंद्रों की संख्या में दस प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। इसके साथ प्रदेश भर में क्रय एजेंसियों की कुल संख्या बढ़कर 6,400 से अधिक हो गई। मालूम हो कि खाद्य विभाग और अन्य क्रय एजेंसियों ने प्रदेशभर में कुल 6,500 क्रय केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है। सरकार ने यह कदम 2024-25 के रबी विपणन सीजन के लिए निर्धारित लक्ष्य 6 मिलियन टन (60 लाख टन) गेहूं की खरीद पूरा करने के लिए उठाया है। इससे बफर स्टॉक के लिए गेहूं खरीदी के लक्ष्य को पूरा करने के कार्य में तेजी आएगी। इस लक्षित गेहूं की खरीद के लिए राज्य के किसानों के खाते में लगभग 13650 करोड़ रुपए एमएसपी राशि का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा। क्योंकि केंद्र सरकार ने इस वर्ष गेहूं का समर्थन मूल्य 2275 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया है। आईए, इस पोस्ट की मदद से इस पूरी खबर के बारे में जानते हैं।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने गेहूं खरीद प्रगति की समीक्षा की। साथ ही उन्होंने अधिकारियों और कमर्चारियों को राज्य के खाद्य और नागरिक आपूर्ति पोर्टल पर किसानों का पंजीकरण बढ़ाने का निर्देश भी दिया। अधिकारियों से गांवों का दौरा करने और किसानों के साथ व्यक्तिगत संपर्क स्थापित कर उन्हें समर्थन मूल्य खरीद के लिए प्रोत्साहित करने को कहा। इसके लिए खाद्य विभाग के कॉल सेंटर सक्रिय कर दिए गए हैं। पोर्टल पर लगभग 2,85,000 किसान पहले से ही अपना पंजीकरण करा चुके हैं। खरीद को बढ़ावा देने के लिए 10 टन तक अनाज बेचने वाले किसानों को सत्यापन से छूट दी गई है। विभाग के मुताबिक, बटाईदार किसान भी इस वर्ष पंजीकरण कराकर अपने गेहूं की बिक्री समर्थन मूल्य पर कर सकते हैं। क्रय एजेंसियों पर गेहूं खरीद के दौरान किसानों को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए विभाग की ओर से पहले ही पूरी तैयारी सुनिश्चित कर ली गई है।
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में, विभिन्न कारणों से उत्तर प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद धीमी रही है, जिसमें रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतों में वृद्धि के बाद खुले बाजार की ऊंची कीमतें भी शामिल हैं। रबी विपणन सीजन 2023-24 के दौरान उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार ने सामूहिक रूप से केंद्रीय पूल में केवल 6 लाख 70 टन गेहूं का योगदान दिया, जिसके चलते केंद्र सरकार को उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार जैसे 'गैर-पारंपरिक' राज्यों से गेहूं की खरीद बढ़ाने के लिए योजना की घोषणा करनी पड़ी, जबकि केंद्रीय खाद्य मंत्रालय देशभर से 31 मीट्रिक टन गेहूं की समेकित खरीद का लक्ष्य बना रहा है।
बता दें कि यूपी में रबी विपणन वर्ष 2023-24 के लिए गेहूं की खरीद के लिए लगभग 1,64,538 किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर कराया था, जिसमें करीब एक तिहाई (54,684) किसानों ने 5894 उपार्जन केंद्रों पर 2.19 लाख मीट्रिक टन गेहूं एमएसपी पर बेचा था।
बता दें कि अक्टूबर 2023 से, केंद्र सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत खाद्यान्न के पूरक के लिए गेहूं खरीद स्तर को बढ़ाने के लिए 3 राज्यों के साथ काम कर रही है। गेहूं खरीद लक्ष्य में सुधार के लिए उठाए गए कदमों में खरीद विंडो को एक अप्रैल के बजाय मार्च तक आगे बढ़ाना शामिल है। राज्यों को 48 घंटों के भीतर लाभार्थी किसानों के बैंक खातों में एमएसपी का हस्तांतरण सुनिश्चित करना अनिवार्य किया गया है। केंद्र 3 राज्यों से इस विपणन सीजन में 7 गुना अधिक गेहूं खरीद करने की तैयारी में है। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने पिछले रबी विपणन सीजन में की गई गेहूं की खरीद लक्ष्य को पीछे छोड़ने के लिए इस बार यूपी, राजस्थान और बिहार में खरीद प्रक्रिया तेज कर दी । खाद्य एवं रसद विभाग उत्तर प्रदेश के अनुसार, प्रदेश में गेहूं की खरीद 15 जून तक चलेगी। खाद्य विभाग और अन्य क्रय एजेंसियों ने गेहूं के मूल्य भुगतान पीएफएमएस (PFMS) के माध्यम से सीधे किसानों के आधार लिंक खाते में 48 घंटे के अंदर करने की व्यवस्था तैयार की है।
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