पराली जलाने की घटनाओं से उत्पन्न होने वाली प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पराली को बायोफ्यूल में परिवर्तित करने का फैसला लिया है। इससे खेतों में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं को जड़ से खत्म कम किया जा सकेगा। साथ ही किसानों की आय बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
Biofuel: सरकार ने बनाया बड़ा प्लान, ’पराली’ किसानों की बढ़ाएगी आय और प्रदूषण में आएगी कमी
Stubble Management UP Government: खरीफ मौसम की प्रमुख फसल धान की कटाई में अभी काफी वक्त है। ऐसे में कई राज्यों की सरकारें पराली के उचित प्रबंधन के लिए पहले से तैयारियां शुरू कर चुकी है। पराली निस्तारण के लिए सरकार किसानों को पराली मैनेजमेंट के काम आने वाली मशीनों पर भारी सब्सिडी और अन्य कई सुविधाएं मुहैया करवाती है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। जिसके माध्यम से सरकार राज्य में पराली जलाने जैसी गंभीर घटनाओं में कमी लाने एवं किसानों की आय में वृद्धि करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। दरअसल, यूपी सरकार पराली से होने वाले प्रदूषण से निपटने और पराली मैनेजमेंट के लिए एक बड़ा प्लान बना रही है। इस प्लान के माध्यम से पराली को किसानों की आय का जरिया बनाकर पराली जलाने की घटनाएं कम करना चाहती है। उत्तर प्रदेश सरकार ने पराली को ईंधन में बदलने के प्लांट लगाने के लिए किसानों और कंपनियों को आर्थिक मदद करने के लिए वर्ष 2022 में ही जैव ऊर्जा नीति से इसका प्लान तैयार कर लिया था। कुछ दिन पहले हुई उत्तर प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में इसका फैसला लिया गया है। भविष्य में इससे किसानों को लाभ होगा। प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में कमी होगी, जिससे पर्यावरण प्रदूषण बढ़ने जैसी गंभीर परिस्थितियां उत्पन्न नहीं होगी । वहीं, पराली किसानों की आय बढ़ाने का एक अहम जरिया भी बनेगा।
बायोफ्यूल निर्माण में उपयोग होगी पराली
हाल ही में हुई प्रदेश कैबिनेट की बैठक में यूपी सरकार ने बायो फ्यूल निर्माण के लिए पराली का उपयोग करने का फैसला लिया है। सरकार इसके लिए किसानों से पराली खरीदेगी। जिससे किसानों की आय में इजाफा होगा और पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं से सरकार और किसानों दोनों को छुटकारा मिलेगा। सरकार की योजना के तहत उन सभी लोगों और कंपनियों को वन-टाइम आर्थिक मदद देगी जो पराली को पावर प्लंट के लिए ईंधन में परिवर्तित करने के प्लांट स्थापित करेंगे। सरकार के निर्देश के अनुसार थर्मल पावर प्लांट और इंडस्ट्री को पावर प्लांट में 5-10 प्रतिशत तक बायोमास को मुख्य ईंधन के साथ जलाने के लिए पराली की नियमित सप्लाई की जा सकेगी। जिससे पराली किसानों की आय का जरिया बन सकता है। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब और हरियाणा में करीब 2.7 करोड़ टन पराली का उत्पादन होता है। इसमें से करीब 64 लाख टन पराली का सही ढंग से मैनेजमेंट नहीं किया जाता है। इनमें से अधिकांश पराली के निपटारे के लिए किसानों द्वारा उन्हें खेतों में ही जला दिया जाता है। जिससे पर्यावरण प्रदूषण का लेवल काफी बढ़ जाता है और लोगों के साथ-साथ पर्यावरण को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। पराली जलाने की वजह से किसानों को आर्थिक लाभ भी नहीं मिलता है, बल्कि पर्यावरण प्रदूषण की वजह से पैदा होने वाली मौसमी अनिश्चितताओं के कारण उन्हें खेती में भी आर्थिक हानि उठानी पड़ती है।
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किसानों को मिलेगा आय का नया जरिया
योजना के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले से ही निर्देश दिए हैं कि पराली से बायोडीजल में बदलने के प्लांट हर जिले में स्थापित करेंगे। इन प्लांट के अलावा स्थानीय स्तर पर पराली कलेक्शन, लोडिंग, अनलोडिंग और ट्रांसपोर्टेशन का काम भी किया जाएगा। जिससे स्थानीय क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। हालांकि पराली को पावर प्लांट में ईंधन के रूप में इस्तेमाल किए जाने से पहले बायोडीजल में प्रसंस्कृत करने के लिए प्रोसेस किए जाने की आवश्यकता होती है। हाल में कैबिनेट की बैठक में सरकार ने बायोडीजल के उत्पादन और बिक्री की दिशा निर्देश निर्धारित किए हैं। इसके अनुसार पराली से बायोडीजल के उत्पादन करने की अनुमति उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग (यूपी नेडा) द्वारा मिलेगी। स्थानीय स्तर पर संबंधित जिले के जिलाधिकारी बिक्री के लिए लाइसेंस देंगे। इससे पहले केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने हाई स्पीड डीजल के साथ बायोडीजल के मिश्रण संबधी निर्देश भी जारी किए हैं। जिससे पराली से उत्पादित बायोडीजल की बिक्री के लिए एक बड़ा बाजार उपलब्ध होगा
गोरखपुर के धुरियापार में लग रहा है सीएनजी सीबी कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट
पिछले साल 2022 में तैयार हो चुकी जैव ऊर्जा नीति के तहत उत्तर प्रदेश सरकार बायोफ्यूल को बढ़ावा दे रही है। इस नीति में उल्लेख तथ्यों के मुताबिक सरकार कृषि अपशिष्ट आधारित बायो सीएनजी, कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) इकाइयों को कई तरह के प्रोत्साहन देगी। इसके लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि सरकार इस तरह की इकाइयां हर जिले में स्थापित करेगी। फिलहाल, 160 करोड़ रूपए की लागत से इंडियन ऑयल गोरखपुर के दक्षिणांचल स्थित धुरियापार में इस तरह का एक प्लांट लगा रहा है। जिसमें शीघ्र ही गेहूं-धान फसल की पराली के साथ, धान की भूसी, गन्ने की पत्तियों और गोबर का उपयोग किया जाएगा। सीएनजी और सीबी कंप्रेस्ड बायोगैस के उत्पादन के बाद जो कंपोस्ट खाद उपलब्ध होगी, वह किसानों को सस्ते दामों पर उपलब्ध कराई जाएगी। प्रत्येक उत्पादन का एक तय मूल्य होगा। इस तरह फसलों के अपशिष्ट के भी दाम किसानों को मिलेंगे। इस तरह की इकाइयां लगाने के कई आवेदन सरकार के पास भी लंबित पड़े हैं। जिन्हें कैबिनेट की मंजूरी से अब हरी झंडी मिलने की उम्मीद है।
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सरकार की इस योजना से किसानों को क्या लाभ होगा?
उत्तर प्रदेश सरकार की इस योजना से सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि किसानों को अब अपने खेतों में पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। किसान इस पराली को ईंधन में बदलने वाले प्लांट को बेचकर इससे पैसा कमा पाएंगे। वहीं, पराली को ईंधन में प्रसंस्कृत करने वाले वाली इकाइयों की संख्या बढ़ने से ज्यादा से ज्यादा किसान की पहुंच इन इकाइयों तक होगी। इससे इकाइयों को जरूरी की मात्रा में पराली उपलब्ध होगी और इसके बदले किसानों को पैसा मिलने से आर्थिक लाभ भी होगा। वहीं, अधिक से अधिक संख्या में किसान अपने खेतों से पराली को इन प्लांट्स तक पहुंचाएंगे। जिससे पराली के बेहतर प्रबंधन से इन्हें जलाने की घटनाओं पर लगाम लगेगा जिससे प्रदूषण में कमी आएगी। वहीं 10 प्रतिशत हिस्सा पराली और बायोमास करने से थर्मल पावर प्लांट की लागत में भी कमी आएगी। इसके अलावा किसान पराली के निपटान के लिए इससे कंपोस्ट खाद भी तैयार कर सकते हैं।
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