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छुट्टा पशु करेंगे बिजली बनाने का काम, किसानों की होगी लाखों की कमाई

छुट्टा पशु करेंगे बिजली बनाने का काम, किसानों की होगी लाखों की कमाई
पोस्ट -29 अगस्त 2023 शेयर पोस्ट

बैलों से बिजली बनाने के लिए नंदी रथ का निर्माण, पहियों से पैदा होगी 1500 आरपीएम 

उत्तर प्रदेश पुलिस से इस्तीफा दे चुके डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह (Shailendra Singh) ने बैलों से बिजली बनाने के लिए नंदी रथ का निर्माण किया है। ये नंदी रथ कार्बन उत्सर्जन को कम करके क्षेत्र में किसानों की बड़ी मदद करेगा। साथ ही किसानों की फसल उत्पादन में भी मदद करेगा। सेवानिवृत्त पुलिस ऑफिसर शैलेंद्र सिंह द्वारा निर्माण किए गए नंदी रथ में लगे हुए गियर बॉक्स को ग्लोबल पेटेंट भी मिल चुका है।  

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अब छुट्टा पशु खेती में करेंगे मदद, नंदी रथ में लगे गियर बॉक्स तकनीक को मिला ग्लोबल पेटेंट 

Nandi Rath :  उत्तर प्रदेश देश के सबसे बड़े कृषि उत्पादक राज्यों में से एक है। यहां के अधिकांश इलाकों में निवास करने वाले लोगों का मुख्य पेशा खेती-किसानी ही है। राज्य के कई इलाकों में किसान पारंपरिक खेती में गेहूं, धान और मक्का जैसी अनाज फसलों का उत्पादन मुख्य रूप से करते हैं। लेकिन यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों और जंगलों में भटकते छुट्टा पशुओं से किसानों को खेती में काफी परेशानी उठानी पड़ती है। लेकिन अब छुट्टा पशुओं (आवारा पुशओं) की बढ़ती समस्या से किसानों को निजात मिलने जा रहा है। निराश्रित गौवंश अब किसानों की फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे, बल्कि फसल उत्पादन में उनकी मदद करते नजर आएंगे। दरअसल, उत्तर प्रदेश पुलिस में डिप्टी एसपी रह चुके शैलेंद्र सिंह ने बैलों की मदद से बिजली बनाने का काम शुरू किया है। इसके लिए उन्होंने नंदी रथ का निर्माण किया है। खास बात यह है कि उनके द्वारा बनाए गए इस नंदी रथ में लगे हुए गियर बॉक्स को अब ग्लोबल पेटेंट मिल चुका है। नंदी रथ (Nandi Rath) के बैलों से न सिर्फ बिजली बनाने का काम शुरू किया है बल्कि इसके माध्यम से पैदा की गई बिजली का उपयोग खेतों की सिंचाई, चारे की कटाई और आटा चक्की चलाने में किसान कर सकते हैं। इस नंदी रथ के माध्यम से अब न सिर्फ किसान बिजली पैदा कर सकते हैं, बल्कि इसके जरिए कार्बन क्रेडिट से भी कमा सकते हैं। आईये इस पूरी खबर के बारे में विस्तार से जानें।

कार्बन क्रेडिट के क्षेत्र में सक्रिय विदेशी कंपनियां भारत की ओर करने लगी रुख

उत्तर प्रदेश में निराश्रित गाैवंश (छुट्टा पशुओं) की बढ़ती संख्या किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या है। लेकिन यूपी पुलिस से इस्तीफा दे चुके पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने किसानों की इस समस्या का समाधान करने के लिए नंदी रथ का निर्माण किया है। इस रथ में बैलों की मदद से बिजली का उत्पादन कर इसका उपयोग खेतों की सिंचाई में किया जा सकता है। नंदी रथ में लगे हुए गियर बॉक्स को 31 मार्च 2023 को ग्लोबल पेटेंट मिल चुका हैं। गियर बॉक्स को ग्लोबल पेटेंट मिलते ही कार्बन क्रेडिट के क्षेत्र में काम करने वाली विदेशी कंपनियां भारत की ओर रूख करने लगी है। दरअसल, भारत आने वाले वक्त में कार्बन क्रेडिट का सबसे बड़ा बाजार बनने की दिशा में काम कर रहा है। ऐसे में नंदी रथ के इजाद ने कार्बन क्रेडिट के क्षेत्र में सक्रिय विदेशी कंपनियों को भारत का रुख करने पर मजबूर कर दिया है। ऐसी ही एक कंपनी ने पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह से संपर्क भी किया है। 

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नंदी रथ के माध्यम से हर साल डेढ़ से दो लाख रुपए की कमाई

नंदी रथ के निर्माण से फसलों को अब छुट्टा पशुओं से नुकसान भी नहीं होगा। साथ ही निराश्रित गौवंश किसानों की आय बढ़ाने का माध्यम भी बनेगा। नंदी रथ से किसान बिजली ही पैदा नहीं करेगा बल्कि इससे उत्पादित बिजली से खेतों की सिंचाई, चारे की कटाई और आटा चक्की भी चल सकेगी। वहीं, इन कामों के माध्यम से उत्पन्न होने वाले कार्बन क्रेडिट के जरिए से किसानों की अच्छी कमाई भी होगी। पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह का कहना है कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने के क्षेत्र में नंदी रथ एक बड़ा जरिया बनेगा। नदी रथ के माध्यम से किसान कार्बन क्रेडिट के माध्यम से डेढ़ से दो लाख रुपए तक की कमाई प्रत्येक साल कर सकता है।

नंदी रथ से इस तरह पैदा होगी बिजली

पूर्व यूपी पुलिस ऑफिसर डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, उन्होंने बैलों से बिजली बनाने की शुरूआत की है। वहीं, नंदी रथ का एक नया मॉडल विकसित किया जा रहा है। इस नए मॉडल में लगे गियर बॉक्स के माध्यम से 1500 आरपीएम और टॉर्क पैदा किया जाएगा। जिससे एक बैल के माध्यम से लगभग दस किलो वाट की बिजली का उत्पादन होगा। इससे पहले माडल से नंदी रथ पर एक बैल के माध्यम से मात्र 5 किलो वाट की बिजली ही उत्पन्न होती थी। क्योंकि इसमें लगे गियर बॉक्स से 500 आरपीएम पावर जनरेट होती थी। नंदी रथ नए मॉडल में वाटर व्हील लगी होगी जिस पर पानी की धार गिरते ही टरबाइन चलने लगेगी। जिससे बिजली पैदा करने के साथ-साथ किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए पानी भी मिल सकेगा। बैलों के लिए इस नंदी रथ को चलाना बहुत आसान होगा। वहीं, इस नंदी रथ के माध्यम से किसान एक यूनिट बिजली केवल एक रुपए खर्च पर पैदा करते हैं जोकि उनके लिए सबसे कम खर्च है। 

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिखाई दिलचस्पी

उत्तर प्रदेश सरकार सड़कों और ग्रामीण क्षेत्रों पर भटकते निराश्रित गोवंश (छुट्टा पशुओं) की सुरक्षा और उनसे किसानों की फसलों की देखभाल के लिए कई प्लान बना रही है। प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निराश्रित गोवंश को पूर्व से संचालित गो सरंक्षण केंद्रों तक पहुंचाने, उनके लिए हरे चारे की व्यवस्था सुनिश्चित करने और समय-समय पर स्वास्थ्य प्रशिक्षण के लिए निर्देशित किया गया है। ऐसे में पूर्व पुलिस ऑफिसर शैलेंद्र सिंह द्वारा निर्माण किया गया नंदी रथ खूब चर्चा में है। इसके लाभ को देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी नंदी रथ को लेकर खासी दिलचस्पी दिखाई है। वहीं, शैलेंद्र सिंह ने बताया कि नंदी रथ का 1500 आरपीएम का नया मॉडल सितंबर माह के अंत तक तैयार हो जाएगा। 

पर्यावरण बचाने का माध्यम बनेगा नंदी रथ

पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह द्वारा बनाए गए नंदी रंथ की चर्चा भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में हो रही है। कार्बन क्रेडिट की क्षेत्र में काम करने वाली विदेशी कंपनियां नंदी रथ में दिलचस्पी दिखा रही है। क्योंकि कार्बन उत्सर्जन को कम करने में नंदी रथ एक बड़ा माध्यम बनेगा। उन्होंने बताया कि बैलों के माध्यम से किसान 1 रुपए प्रति यूनिट की लागत पर बिजली का उत्पादन कर सकेगा। वहीं, कार्बन क्रेडिट के नंदी रथ पूरी तरह से पर्यावरण अनुकूल है। जिससे कार्बन के उत्सर्जन में भी भारी कमी आएगी। किसान का सबसे महत्वपूर्ण काम देश के नागरिकों का पेट भरने के लिए अनाज पैदा करना है। परंतु अब किसानों के ऊपर पर्यावरण को बचाने जैसी बड़ी जिम्मेदारी भी आ गई है। क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग के लिए खेती की प्रचलित विधियां भी जिम्मेदार है। ऐसे में किसानों को इस तरीके से तैयार किया जा रहा है जिससे कि कृषि क्षेत्र में ऐसे तकनीक और विधि का उपयोग करके ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम कर इससे उत्पान होने वाले कार्बन क्रेडिट से कमाई भी कर सके। नंदी रथ के माध्यम से किसान हर महीने करीब 15-20 हजार रुपए तक की कमाई कर सकता है। इसके माध्यम से गांव से युवाओं का पलायन भी रोका जा सकेगा। 

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