Fmd Vaccine : पशुओं को निःशुल्क लगाया जा रहा खुरपका और मुंहपका रोग का टीका

पोस्ट -29 अक्टूबर 2024 शेयर पोस्ट

Livestock : 11 नवंबर 2024 तक घर-घर जाकर पशुओं को नि:शुल्क लगाया जाएगा खुरपका-मुंहपका रोग नियंत्रण के लिए टीका

Hoof-and-mouth disease : पशुओं के पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। इन योजनाओं के तहत पशुपालकों को डेयरी संबंधित गतिविधियां जैसे गाय-भैंस की खरीद, उनके लिए शैड, खेली का निर्माण एवं दुग्ध, चारा, बांट के उपकरण आदि खरीदने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। इसके अलावा, दुधारू पशुओं में तेजी से फैलने वाले विभिन्न रोग संक्रमण से बचाव के लिए सरकार द्वारा “राष्ट्रीय रोग नियंत्रण” कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत पशुओं का नि:शुल्क टीकाकरण किया जाता है। इसी क्रम में बिहार पशुपालन विभाग ने राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत राज्य में खुरपका-मुंहपका (Foot-and-mouth disease, FMD या hoof-and-mouth disease) रोग के नियंत्रण हेतु एक विशेष टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है। जिसके अंतर्गत पशुओं को खुरपका-मुंहपका बीमारी से मुक्त कराने के लिए नि:शुल्क टीकाकरण किया जाएगा।

11 नवबंर 2024 तक जारी रहेगा नि:शुल्क टीकाकरण अभियान (Free vaccination campaign will continue till 11 November 2024)

दरअसल इन दिनों पशुओं में खुरपका-मुंहपका (Foot-and-mouth disease, FMD या hoof-and-mouth disease) रोग हो जाता है, जिससे पशुओं का मुंह और पैर के खुर पक जाते हैं। बीमारी के अधिक फैलने पर संक्रमित मवेशियों की मौत तक होती है। इसके कारण डेयरी पशुपालकों को मोटा नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में इस घातक संक्रमित बीमारी से पशुओं को बचाने के लिए पशुपालन विभाग, बिहार सरकार ने राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत खुरपका-मुंहपका टीकाकरण अभियान चलाया है। इस टीकाकरण अभियान के तहत पशु चिकित्सा विभाग के चिकित्सक राज्य के सभी जिलों के प्रत्येक गांव में घर-घर जाकर पशुओं का टीकाकरण  करेंगे। यह नि:शुल्क टीकाकरण अभियान 23 अक्टूबर से लेकर 11 नवंबर 2024 तक जारी रहेगा। इस अभियान के तहत पशुओं का निरंतर खुरपका-मुंहपका टीकाकरण किया जाएगा। 

खुरपका मुंहपका टीकाकरण अभियान से जुडे़ मुख्य तथ्य (Main facts related to foot and mouth vaccination campaign)

पशुपालन विभाग के अनुसार, खुरपका-मुंहपका टीकाकरण अभियान के तहत टीका कर्मियों द्वारा घर-घर जाकर गाय एवं भैंस एवं अन्य पालतु पशुओं का खुरपका-मुंहपका रोग से बचाव के लिए निःशुल्क टीकाकरण किया जाएगा। इस कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य के सभी जिलों में लगभग 226.43 लाख मवेशियों का निःशुल्क खुरपका-मुंहपका टीकाकरण किया जाएगा। इस अभियान के तहत किसी भी पशु का टीकाकरण नहीं होने अथवा टीकाकरण के दौरान राशि की मांग करने की शिकायत पशुपालन निदेशालय, बिहार, पटना के फोन नंबर 0612-2230942 पर कर सकते हैं। पशुपालन विभाग ने सभी पशुपालकों से अपील की गई है कि वे इस कार्यक्रम का भरपूर लाभ उठाए और अपने गाय और भैंस को खुरपका और मुंहपका रोग से बचाने के लिए टीकाकरण जरूर कराएं। निकटवर्ती पशु चिकित्सालय या संबंधित जिला पशुपालन कार्यालय अथवा पशु स्वास्थ्य उत्पादन संस्थान, बिहार, पटना फोन नंबर 0612-2226049 से इस टीकाकरण कार्यक्रम की विशेष जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

खुरपका-मुंहपका रोग और इसके लक्षण (Foot-and-mouth disease and its symptoms)

खुरपका-मुंहपका बेहद घातक संक्रामक रोग है, जो खुर वाले पशु जैसे गाय, भैंस, भेड़-बकरी, ऊंट, सुअर, घोड़ा हाथी में अत्यधिक तेजी से फैलता है। यह रोग ’एफएमडी वायरस’ (FMDV) नाम विषाणु से होता है। भारत में यह संक्रमण बीमारी ओ, ए, सी और एशिया-1 प्रकार के विषाणुओं से फैलती है। खुरपका- मुंहपका रोग एक प्रकार की संक्रमित बीमारी है, जो संक्रमित पशु के सीधे सम्पर्क में आने वाले पानी, घास, दाना, बर्तन, दूध निकलने वाले व्यक्ति के हाथों से एवं हवा से फैलता है। यह रोग पशुओं के जीभ, मुंह, खुरों के बीच की जगह को संक्रमित करता है, जिससे पशु की रोग प्रतिरोधक शक्ति का कमजोर हो जाती है। दुधारू पुशओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता कम हो जाती है तथा कई बार इस रोग से ग्रसित पशुओं की मौत तक हो जाती है, जिससे पशुपालकों को काफी आर्थिक हानि होती है।

पशुओं को रोग से  बचाने के उपाय (Measures to protect animals from diseases)

इस रोग के विषाणु घास, चारा तथा फर्श पर 3 से 4 महीनों तक जीवित रह सकते हैं। आसपास के क्षेत्र में रोग का प्रकोप, बाहरी वातावरण में अधिक नमी होना, पशुओं तथा लोगों का आवागमन से हो सकता है।  इस संक्रमण की रोकथाम के लिए पशुओं के आसपास के जगह की नियमित रूप से सफा-सफाई जरूर करें। संक्रमित पशुओं को अन्य स्वस्थ पशुओं से अलग रखें और नियमित स्वास्थ्य की जांच करें। पशुओं का साल में एक बार वैक्सीनेशन कराया जाना चाहिए। पशुओं में रोग के लक्षण दिखाई देने पर उन्हें सबसे पहले पशु चिकित्सक को दिखाएं और चिकित्सक के परामर्श पर उपयुक्त दवाएं और उपाय करें। संक्रमित पशु में संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पशुओं को डाइक्रिस्टीसीन या ऑक्सीटेट्रासाइक्लीन जैसे एंटीबॉयोटिक्स 5-7 दिन तक दिए जा सकते है। बता दें कि मवेशियों को खुरपका और मुंहपका रोग से बचाने के लिए केवल इसके रोग लक्षणों के आधार पर पशु का उपचार किया जाता है। इस रोग का कोई निश्चित उपचार नहीं है। अधिक जानकारी के लिए पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

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