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किसानो को शहतूत की खेती के इन तरीको से मिलेगा लाभ, होगी लाखों की कमाई

किसानो को शहतूत की खेती के इन तरीको से मिलेगा लाभ, होगी लाखों की कमाई
पोस्ट -15 जून 2023 शेयर पोस्ट

जानें, कैसे करें शहतूत की खेती, क्या है इसके फायदे, बेहतर किस्में, अन्य लाभ

भारत के अनेक क्षेत्रों में शहतूत की खेती की जाती है। इसे अंग्रेजी में Mulberry cultivation जाता है। शहतूत की खेती करना काफी मुनाफे का सौदा है। इसके फलों की डिमांड मार्केट में जबर्दस्त रहती है। वहीं इससे रेशम के कीट पाले जा सकते हैं जो नेचुरल रेशम उत्पादन करते हैं। इसके अलावा शहतूत की खेती का एक और सबसे बड़ा फायदा किसानों को मिलता है। इसके पेड़ विकसित होने पर इनकी महंगी लकड़ियां बेचकर किसान इनसे अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। जो किसान शहतूत की खेती करना चाहते हैं उनके लिए इन दिनों जून से जुलाई तक इसके पौधे रोपने का बेहतर समय है। इसके बाद नवंबर से दिसंबर के बीच शहतूत के पौधे लगाए जा सकते हैं। शहतूत की सफल खेती के लिए जमीन कैसे तैयार करें, कैसी जलवायु हो, कौन-कौन सी उन्नत किस्में हैं?  इन सबके बारे में किसानों को जानकारी होना बहुत जरूरी है। ट्रैक्टर गुरू की इस पोस्ट में किसान भाइयों को शहतूत की उन्नत खेती के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी के साथ ही शहतूत के फलों का औषधीय उपयोग और अन्य  फायदे बताए जाएंगे। इसे अवश्य पढ़ें और शेयर करें।

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शहतूत की खेती के लिए जरूरी हैं ये बातें

अगर आप परंपरागत फसलों से अलग हटकर कुछ नया करना चाहत हैं तो शहतूत की खेती करें लेकिन इसकी शुरूआत करने से पहले कुछ जरूरी बातों पर गौर करना आवश्यक है-:

  • इसकी खेती करने के लिए दोमट मिट्टी या बलुई मिट्‌टी उपयुक्त रहती है। इसका पीएच 6.5 से 7.0 के मध्य होना चाहिए।
  • इसके पौधों को वृद्धि के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे उपयुक्त रहता है।
  • इसके पौधों की रोपाई का सही समय जून से जुलाई और नवंबर से दिसंबर के बीच का होता है।
  • खेत को पहले समतल करें और गहरी जुताई करें।
  • पौधों की रोपाई के करीब 15 दिनों बाद 300 x 120 सेंटीमीटर के साइज की क्यारियां बना लें।
  • इन क्यारियों के बीच सिंचाई के लिए 15 से 30 सेंटीमीटर की नालियां बनाएं।
  • अब 8-8 cm के अंतराल पर शहतूत की कलमों को मिट्‌टी में दबा दें। इन कलमों को तिरछा लगाएं।
  • शहतूत की कलमों में 1 सप्ताह बाद सिंचाई करें।

एक एकड़ में 5,000 पौधे लगाएं

शहतूत की खेती के लिए आप एक एकड़ जमीन में 5,000 तक पौधे रोप सकते हैं। पौधों के बीच 3x5 या 6x4 मीटर की दूरी होनी चाहिए। शहतूत के पौधे को विकसित होने में करीब एक साल का समय लगता है। तीसरे साल से शहतूत के पेड़ आपको एक एकड़ जमीन पर 8 से 10 हजार किलोग्राम प्रति वर्ष शहतूत की पत्ती का उत्पादन देंगे।  इन पर 800 से 900 डी.एल.एल्स का कीटपालन हो सकता है। इससे 300 kg कोया उत्पादन होगा।

शहतूत की बेहतर किस्में  

शहतूत की कई बेहतर किस्में हैं। इनमें के-2 और एम-5 ज्यादा लोकप्रिय हैं। ये किस्में चिकनी सतह और जल्दी बढ़ने वाली हैं। इनके अलावा एस-36 नामक किस्म भी अच्छी मानी जाती है। इसका तना धुंधले गुलाबी रंग का होता है। यह किस्म 38 से 45 टन प्रति हेक्टेयर उपज दे सकती है।

जानें, शहतूत की खेती से अन्य लाभ क्या हैं?  

शहतूत की खेती वैसे से रेशम के कीट पालन के लिए की जाती है लेकिन इसके और भी कई लाभ हैं जो इस प्रकार हैं-:

  • शहतूत के फलों से टिटनेस, रक्तचाप आदि के लिए औषधियां बनाई जाती हैं।
  • इसका सेवन मानव स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। शहतूत में 8 से 9 प्रतिशत शुगर एवं 1 प्रतिशत अम्ल होता है। यह रक्त साफ करने में मददगार है।
  • इसके पेड़ की लकड़ियों से खेल का सामान, फर्नीचर, खिड़कियां, दरवाजे आदि का निर्माण होता है।
  • इसकी पत्तियों से पशु चारा बनाया जाता है जो भेड़-बकरियों के लिए लाभदायक है।

कब करें फसल तुड़ाई ?

शहतूत की खेती करने वाले किसान भाइयों को चाहिए कि जब उनके शहतूत के पेड़ फल देने लगें तो फलों को पकने पर ही तोड़ें। इसके लिए पहचान यह है कि फलों का रंग गहरा लाल या जामुनी हो जाता है। इन फलों की तुड़ाई सुबह के समय हाथों से ही करें। इसके बाद इन्हे विक्रय के लिए सीधे मंडी भिजवा सकते हैं। ताजा फलों के दाम ज्यादा मिलते हैं।

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