Bonus on paddy cultivation : देश के अधिकांश क्षेत्रों में खरीफ फसलों की बुवाई का काम लगभग पूरा हो चला है। अब किसानों द्वारा फसलों की देख-रेख का कार्य किया जाएगा। वहीं, कृषि विभाग द्वारा किसानों को फसलों में कीट-रोग प्रकोप नियंत्रण के लिए जरूरी सलाह भी दी जा रही है। इन सब के बीच तेलंगाना के पूर्ववर्ती करीमनगर जिले में मौजूदा वनकालम (खरीफ) सीजन में अच्छी किस्म के धान की खेती में बढ़ोतरी की संभावना है। सरकार ने अच्छी किस्मों की धान की खेती का रकबा बढ़ाने के लिए बढ़िया किस्म के धान पर 500 रुपए बोनस देने का फैसला किया है। इसके चलते सामान्य किस्म का धान बोने वाले किसान इस बार अच्छी किस्म के धान की बुवाई करने की योजना बना रहे हैं। बताया जा रहा है इस संबंध में राज्य सरकार ने हाल ही बजट में बोनस देने की घोषणा की है, जिसके बाद जो किसान पहले ही सामान्य किस्म के धान की नर्सरी तैयार कर चुके हैं, वे उसे नष्ट कर उसकी जगह अच्छी किस्मों के धान की बुवाई करने की तैयारी कर रहे हैं।
बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने अपने गारंटी कार्ड में धान पर 500 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देने की बात की थी। सत्ता में आने बाद पार्टी ने अपने वादे से आंशिक रूप से पीछे हटकर अब यह घोषणा की है कि वह केवल बढ़िया किस्म के धान पर बोनस देगी। राज्य सरकार के फैसले में स्पष्टता की कमी के कारण, वनकालम (खरीफ) सीजन की शुरूआत से किसान इस दुविधा में था कि धान के लिए 500 रुपए प्रति क्विंटल का बोनस सभी किस्मों पर मिलेगा या फिर बढ़िया किस्मों पर। बजट में हाल ही में की गई घोषणा के बाद, किसान केवल अति उत्तम किस्म की खेती करने की योजना बना रहे हैं। कहा जा रहा है कि अपने वादे से आंशिक रूप से पीछे हटकर कांग्रेस किसान विरोधी साबित हो रही है क्योंकि राज्य में 80 प्रतिशत सामान्य धान की खेती होती है।
तेलंगाना टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, किसान बोनस से लाभ की उम्मीद में बेहतर ग्रेड के धान के बीज की तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि किसानों के पास अगस्त के अंत तक बढ़िया किस्म के धान के बीज बोने का मौका है। सरकार ने 33 धान किस्मों को बेहतर किस्म के रूप में चिन्हित करते हुए आदेश भी जारी किए हैं। बढ़िया किस्म के धान के रूप में चिन्हित किस्मों में बीपीटी-5204, आरएनआर-15048, एचएमटी सोना और जय श्रीराम किस्म शामिल है। राज्य के पूर्ववर्ती करीमनगर जिले में हर वनकालम सीजन में 9.50 लाख एकड़ के क्षेत्र में धान की खेती की जाती है। लेकिन अनुमान है कि इस बार जिले में 9.65 लाख एकड़ में धान की बुवाई किसानों द्वारा की जाएगी। राज्य में 20 प्रतिशत बढ़िया किस्म के धान की खेती होती है। पिछले सीजन लगभग 87 हजार एकड़ क्षेत्र में बेहतर ग्रेड धान की खेती की लगाई गई थी। कृषि अधिकारियों का अनुमान है, कि इस सीजन यह 3 लाख एकड़ को पार कर जाएगी।
कृषि अधिकारियों के अनुसार, बाजार में अच्छी क्वालिटी के धान (चावल) की भारी मांग है, लेकिन किसान आमतौर पर विभिन्न मौसमी परेशानियों के कारण इसकी खेती में रुचि नहीं दिखाते हैं। अधिक कृषि इनपुट लागत, कम फसल उत्पादन और कीटों-रोगों के प्रकोप की अधिक संभावना की वजह से किसान बढ़िया किस्म के धान की खेती करने से कतराते हैं। साथ ही सामान्य किस्म की तुलना में इसे उच्च रखरखाव की आवश्यकता होती है। हालांकि, इस बार बोनस का लाभ लेने के लिए किसान बेहतर किस्म के धान की बुवाई रहे हैं। एक्सपर्ट की रिपोर्ट के अनुसार, एक एकड़ में सामान्य किस्म के धान की खेती करने के लिए अनुमानित कुल लागत लगभग 30 हजार रुपए आती है, जिसमें भूमि की जुताई, खरपतवार निकालना, कीटनाशकों का छिड़काव और मजदूरी शुल्क समेत अन्य खर्च भी शामिल है। वही, बेहतर किस्म के लिए किसानों को प्रति एकड़ 35 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, किसानों को दो से तीन बार अतिरिक्त कीटनाशकों का छिड़काव करना पड़ता है। क्योंकि बढ़िया किस्म के धान में आसानी से कीटों का प्रकोप हो सकता है, इसलिए किसानों को सामान्य किस्म की तुलना में बढ़िया किस्म के धान पर 5 हजार रुपए अतिरिक्त राशि खर्च करनी पड़ती है। सामान्य किस्म की खेती के लिए 3,000 रुपए से 3,500 रुपए तक के कीटनाशकों की आवश्यकता होती है। सामान्य किस्म के धान की खेती करने वाले एक एकड़ खेत में जहां 30 से 35 बोरी उपज होती है, वहीं बढ़िया किस्म के खेतों में केवल 30 बोरी फसल ही पैदा होगी।
तेलंगाना टुडे से बात करते हुए, मनकोंदूर मांडा के अन्नाराम के एक किसान एम श्रीनिवास रेड्डी ने कहा कि बेहतर किस्म की धान की खेती ज्यादा जोखिम भरी है। राज्य सरकार द्वारा घोषित 500 रुपये का बोनस पर्याप्त नहीं है, क्योंकि फसल आसानी से कीटों से संक्रमित हो जाएगी, इसके अलावा, पैदावार भी कम होगी। पिछले यासांगी सीजन में उन्होंने अपने 3 एकड़ खेत में बासमती किस्म का धान उगाया था। हालांकि, बेमौसम बरसात और कीटों के प्रकोप के कारण उत्पादन में गिरावट हुई, जिससे उन्हें कोई लाभ नहीं मिल सका।
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