किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए कई बार दो या तीन फसलों की संयुक्त खेती करते हैं। इससे कई लाभ होते हैं। किसानों के फसल का उत्पादन भी बढ़ता है, वहीं दूसरी ओर खेतों की उपजाऊ क्षमता में भी सुधार होता है। बिहार के बेगूसराय के किसानों ने ऐसा ही कमाल किया है। जिसमें रबी और खरीफ सीजन में गेहूं और धान के साथ तिल की खेती कर काफी अच्छा मुनाफा कमाया है। साथ ही अपनी फसल की सुरक्षा भी की है। बेगूसराय के इस किसान की सफलता से प्रभावित होकर आसपास के जिलों और बेगूसराय के ही बहुत सारे किसान भी धान और गेहूं के साथ तिल की संयुक्त खेती का प्लान बना रहे हैं। बता दें कि तिल की फसल को नील गाय खाना पसंद नहीं करती। इससे पहले नील गाय की वजह से किसानों को बहुत नुकसान हुआ था। जिससे बचने के लिए किसानों ने अपनी फसल के साथ तिल की खेती भी शुरू कर दी। तिल बेचकर हुई अच्छी कमाई की वजह से कृषि वैज्ञानिक भी अब तिल को दोहरी फसल प्रणाली का हिस्सा मान रहे हैं।
ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट में हम धान के साथ तिल की खेती के तरीके, लाभ, कमाई और पैदावार के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
फसल सुरक्षा के लिए अगर तिल की खेती करना चाहते हैं तो यह बेहद कारगर है। बहुत सारे जानवर तिल की फसल को खाना पसंद नहीं करते हैं। इसलिए फसलों की बर्बादी भी नहीं होती। बेगूसराय के तिल की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि तिल की खेती करने से पानी की भी बचत होती है। किसान उन जमीनों पर भी तिल की खेती कर सकते हैं जहां पानी की कमी है। कम पानी वाले इलाकों में तिल की खेती कर अच्छी कमाई की जा सकती है। तिल एक गर्म फसल है। इसका उपयोग कई तरह से धार्मिक अनुष्ठानों, खाद्य पदार्थ के रूप में भी किया जाता है। नेचर के अनुसार तिल को पाचक के तौर पर भी माना जाता है। बेगूसराय जिला स्थित कांवर झील के किनारे बहुत सारी परती जमीनें हैं। किसान इस पर भी खेती कर सकते हैं।
ऐसे इलाके में जहां टेंपरेचर ज्यादा होता है, वहां भी तिल को बड़े स्तर पर उगाया जाता है। बेगूसराय जिले का टेंपरेचर तिल की खेती के लिए काफी अनुकूल है। 25 से 35 डिग्री तक का तापमान तिल की खेती के लिए काफी उपयुक्त है। वहीं इसका तापमान 40 डिग्री तक भी चला जाता है।
तिल की खेती के लिए उपयुक्त भूमि की बात करें तो यह अनुपजाऊ भूमि पर भी की जाती है। बलुई या रेतीली और दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त होती है।
तिल की कुछ उन्नत प्रजातियों में टा-78, शेखर, प्रगति, तरूण आदि शामिल हैं। वहीं अगर पैदावार की बात करें तो सामान्यतः 90 दिन के अंदर तिल की फसल तैयार हो जाती है। 3 से 4 क्विंटल प्रति बीघा इस फसल की उपज प्राप्त होती है।
तिल की खेती से होने वाली कमाई की बात करें तो यह कई चीजों पर निर्भर करती है। जैसे मिट्टी की उत्पादकता, कृषि कौशल और जलवायु आदि। सामान्यतः एक बीघे में 3 क्विंटल तिल की उपज हो जाती है। किसान इसे मार्केट में 110 से 122 रूपए प्रति किलो तक बेच सकते हैं। इस तरह सालाना 3 लाख रुपए की कमाई, सिर्फ एक बीघे से की जा सकती है। अगर 3 बीघे में तिल की खेती करें तो 9 लाख रुपए की आमदनी होगी। लागत और श्रम के रूप में 4 लाख रुपए कम भी कर दिया जाए तो 5 लाख रुपए सालाना शुद्ध मुनाफा कमाया जा सकता है।
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