Super Seeder/Happy Seeder Machine : देशभर के अधिकांश क्षेत्रों में गेहूं की फसल की कटाई का काम चल रहा है। इसके बाद किसान अपने खेतों में जून-जुलाई में खरीफ फसलों की बुवाई शुरू करेंगे। वहीं, कई किसानों द्वारा अपने खाली खेतों से अतिरिक्त कमाई के लिए ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द दाल फसलों की बुवाई की जाती हैं। हालांकि, अधिकतर किसानों द्वारा गेहूं की कटाई के बाद ग्रीष्मकालीन फसलों की खेती के लिए खेतों को तैयार करने के लिए खेत में ही नरवाई (फसल अवशेष) को जला देते है, जिससे भूमि की उर्वराशक्ति कम होती है और खेत बंजर होते है। वहीं, अधिकांश किसान फसल के अवशेषों को जलाते नहीं है, बल्कि सुपर सीडर या हैप्पी सीडर (जीरो टिलेज/सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल मशीन) मशीन से मूंग की बुवाई करते हैं। ऐसे करने से नरवाई खेत में ही मिल जाती है और जैविक खाद बन जाती है। इससे जहां भूमि की उर्वराशक्ति बढ़ाती है। वहीं मूंग व उड़द का उत्पादन भी बढ़ जाता है तथा दलहनी फसलों की खेती से जमीन में नाइट्रोजन की मात्रा भी बढ़ जाती है, जिससे अगली फसल का उत्पादन भी बढ़ाता है। इन सब के बीच कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों को सलाह दी जा रही है कि किसान गेहूं फसल अवशेषों को मिट्टी में दवा कर उससे खेत में ही खाद बना सकते हैं और हैप्पी सीडर और सुपर सीडर मशीन की मदद से ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई कर सकते हैं। इससे मूंग की खेती करने में किसानों को कई फायदे मिलेंगे।
कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों से गेहूं की कटाई के बाद शेष नरवाई को खेतों में नहीं जलाने का आग्रह किया जा रहा है। साथ ही सलाह दी जा रही है कि शेष बचे फसल अवशेषों को मिट्टी में दवा कर उसकी खाद तैयार कर सकते हैं। किसान गेहूं की नरवाई को खेतों में नहीं जलाए, इसके लिए राज्य शासन द्वारा पहले से ही गेहूं की नरवाई जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि नरवाई को जलाने से खेत की उर्वरक क्षमता में कमी आती है। अधिकारियों एवं कृषि वैज्ञानिकों द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में भ्रमण कर किसान को नरवाई न जलाने की सलाह और समझाइश लगातार की जा रही है। किसान अपने खेत की नरवाई जलाने के स्थान पर रोटावेटर चलाकर मिट्टी में मिलाए। नरवाई मिट्टी में मिला देने से खाद का काम करती है, जिससे खेत में फसलों को नुकसान भी नहीं होगा और फसल की पैदावार भी बढ़ेगी।
गेहूं की कटाई के बाद किसान को खेत में नरवाई जलाने से रोकने के लिए मध्यप्रदेश के कृषि विभाग के अधिकारियों और कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसान भाइयों को नरवाई न जलाने और अतिरिक्त कमाई तथा भूमि की उर्वराशक्ति को बढ़ाने के लिए अपने खेतों में ग्रीष्मकालीन खेती में मूंग एवं उड़द की बुवाई करने की सलाह दी जा रही है। गर्मी के मौसम में ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती में लागत कम करने के लिए किसान सुपर सीडर या हैप्पी सीडर मशीन की मदद से इसकी बुवाई कर सकते हैं। कृषि विभाग द्वारा इसके लिए नरवाई जलाए बिना सुपर सीडर मशीन से सीधे मूंग की बोनी के लिए प्रदर्शन का आयोजन किया जा रहा है। मध्यप्रदेश के जबलपुर के पाटन अनुभाग के अन्तर्गत ग्राम मुर्रई में किसान सौरभ पटेल के खेत में सुपर सीडर मशीन (super seeder machine) द्वारा गेहूं की नरवाई जलाए बिना गेहूं की कटाई के बाद मूंग की बुवाई भी की गई। इस मौके पर परियोजना संचालक आत्मा डॉ. एस के निगम, अनुविभागीय अधिकारी पाटन डॉ. इन्द्रिरा त्रिपाठी, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्रीकांत यादव, कृषि विस्तार अधिकारी जे.पी. त्रिपाठी एवं स्थानीय किसान मौजूद रहे।
किसान सौरभ पटेल के अनुसार, सुपर सीडर मशीन (Super Seeder Machine) से फसल अवशेषों के प्रबंधन के साथ-साथ फसल की बुआई का काम आसानी से हो जाता है। सुपर सीडर मशीन गेहूं की कटाई के बाद नरवाई को टुकडों में काटकर खेत की मिट्टी में दबा या फैला देती है और बीजों की बोनी भी कर देती है। मिट्टी में दबी पराली गलकर खाद में तब्दील हो जाती है, जिससे मिट्टी की उर्वरक शक्ति बढ़ती है फसल की उत्पादकता भी बढ़ती है। पराली से बनी यह खाद भूमि में पानी सोखने की ताकत को बढ़ाती है । सुपर सीडर मशीन से बुवाई करने पर बीज की मात्रा कम लगती है तथा अंकुरण 90-100 प्रतिशत रहता है और इससे नरवाई की समस्या का समाधान भी आसानी से संभव हो जाता है।
परियोजना संचालक आत्मा डॉ. एस के निगम के मुताबिक, सुपर सीडर मशीन (Super Seeder Machine) एक मल्टी टास्किंग मशीन है, जो बीजों की बोनी, जुताई, मल्चिंग और खाद फैलाने का काम एक साथ करती है। सुपर सीडर मशीन के इस्तेमाल से नरवाई प्रबंधन बेहद आसान हो जाती है तथा खेती में किसानों के समय और पैसा दोनों की बचत होती है। सुपर सीडर मशीन की मदद से पराली प्रबंधन के साथ-साथ फसल की बुआई का काम आसानी से हो जाता है। सुपर सीडर को ट्रैक्टर के साथ जोड़कर चलाया जाता है। अनुविभागीय अधिकारी डॉ. इंदिरा त्रिपाठी ने कहा कि पाटन अनुभाग में किसानों के पास लगभग 6 सुपर सीडर और लगभग 30 हैप्पी सीडर मशीन उपलब्ध हैं। क्षेत्र के स्थानीय किसान इन मशीनों को किराए पर लेकर उपयोग कर रहे हैं। जायद सीजन में सुपर सीडर और हैप्पी सीडर मशीन के उपयोग से लगभग 2 हजार एकड़ में ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई बिना नरवाई जलाये की जा चुकी है।
वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्रीकांत यादव के अनुसार सुपर सीडर मशीन की कीमत 2 लाख 50 हजार रुपए से 3 लाख रुपए और हैप्पी सीडर मशीन की कीमत 1 लाख 50 हजार से 2 लाख रुपए है। कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा मशीनों को खरीद करने पर 40 से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है।
मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले के पनागर विकासखंड के ग्राम खिरियकलां में हैप्पी सीडर या जीरो टिल सीड ड्रिल मशीन और सुपर सीडर मशीन से खेतों में मूंग की बुवाई बिना खेतों की जुताई और नरवाई जलाये उन खेतों में कर रहे है, जहां कंबाइन हार्वेस्टर से गेहूं की कटाई के बाद फसल अवशेष मौजूद है। उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विभाग रवि आम्रवंशी के अनुसार, खेती की लागत कम करने और कम समय में अतिरिक्त फसल के लिए जिले के किसानों गेहूं कटाई उपरान्त खेतों में बचे फसल अवशेष को जालाये बिना हैप्पी सीड ड्रिल की मशीन से बुवाई कर रहे है। इससे मूंग उत्पादन की लागत में कमी आएगी और वायु प्रदूषण नहीं होगा, साथ ही भूमि की जैव विविधता बनी रहती है। उप संचालक ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से वातावरण प्रदूषित होता है। खेतों की उर्वराशक्ति कम होती है तथा नरवाई जलाने से धुंआ वायुमंडल में फैलता है, जिससे आम जनता में श्वास की बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है। इन सभी समस्याओं से निपटने का सबसे अच्छा विकल्प “जीरो टिल सीड ड्रिल” (हैप्पी सीडर) या सीपर सीडर मशीन से बीजों की बुवाई करना है।
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