इस बार गर्मी का मौसम पशुपालकों के लिए एक के बाद एक नई आफत लेकर आ रहा है। गर्मी में हरे चारे की कमी, पेयजल संकट, कई जगह सूखा व पशुओं के दुग्ध उत्पादन में कमी के बाद पशुपालकों पर एक और संकट के बादल दिख रहे हैं। अगर एजेंसी की यह रिपोर्ट सही रही तो देश के 742 शहरों में गाय-भैंस, भेड़-बकरियों में घातक बीमारियां फैल सकती है। इन बीमारियों का असर 125 शहरों में सबसे ज्यादा दिखाई दे सकता है। पशुपालकों को समय पर अपने दुधारू पशुओं का टीकाकरण कराना चाहिए, क्योंकि टीकाकरण ही इन घातक बीमारियों से पशुओं का जीवन बचा सकता है। इस एजेंसी की रिपोर्ट अब तक 90 फीसदी तक सटीक साबित हुई है। आइए, ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट से जानें कि दुधारू पशुओं में कौनसी बीमारियां फैल सकती है और इन बीमारियों से बचाव कैसे होगा। तो बने रहें हमारे साथ।
दुधारू पशुओं में हर साल कई तरह की बीमारियां फैलती है। कई बीमारियों का तो आसान उपचार उपलब्ध है लेकिन कई बीमारियों में पशुओं की मौत तक हो जाती है। हाल ही में राष्ट्रीय पशुरोग जानपदिक एवं सूचना विज्ञान संस्थान (National Institute of Veterinary Epidemiology and Disease Informatics-NIVEDI) ने पशुओं की ऐसी ही दो घातक बीमारियों के संबंध में अलर्ट जारी किया है। संस्थान के अनुसार जून में देश के 150 शहरों में दो घातक बीमारियां पशुओं में तेजी से फैल सकती है। वहीं देश के 742 शहरों में ये बीमारियां अपना असर दिखा सकती है।
निवेदी (NIVEDI) की ओर से जारी किए गए अलर्ट के अनुसार जून महीने के दौरान पशुओं में 15 तरह की बीमारियों का असर दिख सकता है लेकिन दो तरह की घातक बीमारियों का असर सबसे तेजी से फैलने की संभावना है। इनमें पीपीआर (Peste des petits ruminants) और एफएमडी (Foot-and-mouth disease) यानी खुरपका-मुंहपका का अटैक तेजी से पशुओं पर मुसीबत ला सकता है। इन बीमारियों का सबसे अधिक असर झारखंड, केरल और कर्नाटक राज्य में दिख सकता है।
पीपीआर मुख्य रूप से भेड़ और बकरियों में फैलता है। इस रोग की वजह से भेड़-बकरियों में बुखार, मुंह के छाले, दस्त और निमोनिया की शिकायत सामने आती है। यह रोग कुपोषण और परजीवियों से फैलता है। इससे इनके मुंह से अत्यधिक दुर्गंध आती है और होठों पर सूजन आनी शुरू हो जाती है। आखें और नाक चिपचिपे या पुटीय स्त्राव से ढंक जाते हैं। पशुओं को आंखे खोलने और सांस लेने में तकलीफ होती है। एक अध्ययन के अनुसार बकरी पालन क्षेत्र में पीपीआर से हर साल साढ़े 10 करोड़ रुपए का नुकसान होता है।
एफएमडी यानी खुरपका और मुंहपका गाय-भैंस व भेड़-बकरियों में फैलने वाली बीमारी है। इसमें पशु को तेज बुखार होता है। पशु के मुंह, मसूड़े, जीभ के ऊपर-नीचे, होठों के अंदर, खुरों के बीच की जगह पर छोटे-छोटे दाने उभर आते हैं, फिर धीरे-धीरे ये दाने आपस में मिलकर बड़ा छाला बनाते हैं। समय पाकर यह छाले फल जाते हैं और उनमें जख्म हो जाता है। इस रोग के फैलने पर पशु जुगाली करना बंद कर देता है। मुंह से लार गिरती है। पशु सुस्त पड़ जाते है। कुछ भी नहीं खाता-पीता है। दुधारू पशुओं में दूध का उत्पादन एकदम गिर जाता है। वे कमजोर होने लगते हैं।
संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड, कर्नाटक और केरल के प्रमुख शहर वैरी हाई रिस्क कैटेगरी में शामिल है। झारखंड के 20 शहरों में पीपीआर और 17 शहरों में एफएमडी का असर देखने को मिल सकता है। पीपीआर के मामले में जामताड़ा, पलामू, बोकारो, दुमका, गुमला, हाजारीबाग, कोडरमा, पाकुड़, कुंती, रामगढ़ और रांची आदि शहर वैरी हाई रिस्क कैटेगरी में शामिल है जबकि एफएमडी का असर बोकारो, दुमका, गुमला, हाजारीबाग, कोडरमा, पाकुड़, कुंती, रामगढ़ और रांची आदि शहर वैरी हाई रिस्क श्रेणी में आ रहे हैं। अगर कर्नाटक की बात करें तो इस राज्य के 12 शहरों में एफएमडी और 9 शहरों में पीपीआर का असर दिखने को मिल सकता है। इन शहरों में बैग्लूरू, चिकमंग्लूहर, हासन, मैसूर शामिल है। वहीं केरल के 14 शहरों में एफएमडी और 2 शहरों में पीपीआर रोग का अटैक देखने को मिल सकता है। इन शहरों में कन्नूर, कोल्लम, एरनाकुलम, कोटायम, वायनाड और कोटय्यम आदि शहर शामिल है।
निवेदी संस्थान की रिपोर्ट में पशुओं पर पीपीआर, एफएमडी, लंपी, एंथ्रेक्स, ब्लैक क्वार्टर बीमारी का अटैक होने का अलर्ट जारी किया गया है। इस संबंध में पशु चिकित्सा विशेषज्ञों कहना है कि टीकाकरण ही इन बीमारियों से बचाव का प्रभावी तरीका है। पशुपालकों को अपने पशुओं को सभी जरूरी टीके लगवाने चाहिए। इसके अलावा, गर्मी से बचाव के लिए तमाम उपाय करने चाहिए। साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें और पौष्टिक आहार खिलाएं।
Website - TractorGuru.in
Instagram - https://bit.ly/3wcqzqM
FaceBook - https://bit.ly/3KUyG0y