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पशुपालन व्यवसाय : इस नस्ल की गाय का करें पालन, 50 से 80 लीटर दूध देगी प्रतिदिन

पशुपालन व्यवसाय : इस नस्ल की गाय का करें पालन, 50 से 80 लीटर दूध देगी प्रतिदिन
पोस्ट -29 जून 2022 शेयर पोस्ट

अधिक दूध उत्पादन के लिए करें गिर नस्ल की गाय का पालन, जानें गाय की पूरी विशेषता 

पशुपालन को किसानों की अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी कहा जाता है। पशुपालन का कार्य  किसान अतिरिक्त इनकम के लिए करते हैं एवं इससे अच्छी खासी साइड इनकम अर्जित कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। प्राचीन काल से ही लोग पशुपालन का कार्य दूध, मांस, अंडा और ऊन के लिए करते आ रहे हैं। राष्ट्रीय पशुपालन और डेयरी विभाग ने पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए साल 2014-15 में पशुधन मिशन को शुरू किया था। जिसके माध्यम से किसानों को पशुपालन के लिए हर वो सुविधा मुहैया करवाई जाती है, जो पशुपालन के लिए जरूरी है। परिणाम स्वरूप आज के समय में पशुपालन इतना ज्यादा बढ़ गया है कि लोग अब पशुपालन कर स्वयं का अच्छा खासा व्यवसाय करने लग गए हैं। पशुपालन व्यवसाय में ग्रामीण इलाकों के किसान मुर्गी, भेड़, बकरी, सुअर, गाय और भैंस का पालन करते हैं। पशुपालन के क्षेत्र में गाय पालन के व्यवसाय से कमाई सदाबहार है, क्योंकि गाय से मिलने वाले सभी  उत्पादन जैसे दूध से लेकर गाय का गोबर एवं मूत्र बहुउपयोगी होते हैं। यदि आप भी पशुपालन में गाय का पालन करने की सोच रहे हैं, तो ट्रैक्टरगुरू की यह पोस्ट आपके लिए खास है। इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसी गाय की नस्ल के बारे में जानकारी देंगे, जो 50 से 80 लीटर तक दूध प्रतिदिन देती है। 

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गिर गाय की नस्ल

गाय पालन के लिए हम जिस गाय की नस्ल के बारे में बात कर रहे हैं। वह गिर गाय की नस्ल है, जो भारत में एक प्रसिद्ध दुग्ध पशु नस्ल है। यह गुजरात राज्य के गिर वन क्षेत्र और महाराष्ट्र तथा राजस्थान के कुछ जिलों में पायी जाती है। यह गाय अच्छी दुग्ध उत्पादकता के लिए जानी जाती है। गिर गाय रोजाना 50 से 80 लीटर तक दूध दे सकती है। इसके दूध को दुहने के लिए कम से कम 4 लोगों की जरूरत पड़ती है। इस गाय के दूध में सोने के तत्व पाए जाते हैं जिससे रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। वर्तमान समय में पशुपालन के लिए किसान इस नस्ल की गाय का पालन काफी ज्यादा कर रहे हैं। भारत के अलावा इस नस्ल की गाय का पालन इजराइल और ब्राजील में भी मुख्य रुप से किया जाता है।

गिर गाय की शारीरिक विशेषता 

गिर नस्ल की गाय की शारीरिक विशेषता की बात करें, तो इस नस्ल की गाय का शरीर रंग सफेद होता है, जिस पर गहरे चमकदार लाल या चॉकलेट भूरे रंग के धब्बे होते हैं। इसके कान लम्बे और थन बड़े होते हैं।  इसके अलावा इस नस्ल की गाय की सबसे अनूठी विशेषता इसकी उत्तल माथे है, जो इसे तेज धूप से बचाने मे सहायक होती है। आकार की बात करें, तो यह मध्यम से लेकर बड़े आकार में पायी जाती है। इसके शरीर का औसत वजन 385 किलोग्राम तथा ऊंचाई 130 सेंटीमीटर होती है। इस नस्ल के बैल की बात करें तो उसके शरीर का औसत वजन 545 किलोग्राम तथा ऊंचाई 135 सेंटीमीटर होती है। इनके शरीर की त्वचा बहुत ही ढीली और लचीली होती है। सींग पीछे की ओर मुड़े रहते हैं।

गिर गाय को ये तीन प्रकार का चारा खिलाए 

पशुपालन में अच्छा उत्पादन लेने के लिए पशुओं के खान-पान का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। पशुओं को प्रोटीन, विटामिन और खनिज पदार्थ युक्त संतुलित आहार ही खिलाना चाहिए। गिर गाय के लिए 3 प्रकार के चारे की जरूरत होती हैं। 1. सूखा पदार्थ या ड्राई रफेज, 2. हरा चारा या ग्रीन फोडर 3. दाना मिश्रण। गिर गाय को सूखा पदार्थ के लिए तूड़ा खिला सकते हैं और ग्रीन फोडर के लिए बरसीम और जई का इस्तेमाल कर सकते हैं एवं दाना मिश्रण के तौर पर जौ, ज्वार, मक्का, गेहूं, चोकर, समेत खड़ बिनोला खिला सकते हैं। इसे बरसीम, लोबिया, मक्का, बाजरा आदि चारे के रूप में खिला सकते हैं। इसके अलावा इसे सरसों बिनोला या सोयाबीन की खड़ खिला सकते हैं।

दुग्ध एवं दुुग्ध से बने उत्पादन से कमाई

गिर गाया वैसे तो अधिक दुग्ध उत्पादन के लिए जानी जाती है, लेकिन इसके पालन में ज्यादा दूध का उत्पादन लेने के लिए इसके खान-पान का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। अच्छे एवं ज्यादा दूध के उत्पादन के लिए इसे चारा या दाना उसी वक्त खिलाना सही माना जाता है, जिस वक्त दूध निकाला जाता है। लैक्टेशन पीरियड के दौरान दूध उत्पादन को चैक करने के लिए गाय को चारा या दाना खिलाकर देखना चाहिए कि दूध उत्पादन बढ़ रहा है या घट रहा है। यदि दूध बढ़ता है तो चारा या दाना की मात्रा को बढ़ा दें और यदि उत्पादन घटता है, तो चारा या दाना की मात्रा को घटा दें। इससे उत्पादन और लागत का अनुपात सही रहता है। गिर नस्ल की गाय के घी की बहुत मांग है यह ऊंची कीमतों पर बिकता है। दूध और घी का व्यवसाय देखें तो एक साल में 1 से डेढ़ लाख रूपये तक की कमाई की जा सकती है।

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