Basmati paddy cultivation : खरीफ सीजन 2024 में 1031 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में फसलों की बुआई की गई है। इस वर्ष धान समेत अन्य खरीफ फसलों के रकबे में वृद्धि दर्ज की गई है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की जानकारी के अनुसार, पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 349.49 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष 369.05 लाख हेक्टेयर में धान बोया गया है, जबकि 120.18 लाख हेक्टेयर में दलहन, 181.11 लाख हेक्टेयर में श्रीअन्न/ मोटे अनाज, 186.77 लाख हेक्टेयर में तिलहन की खेती की गई। इस बीच पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने कहा कि राज्य सरकार के फसल विविधीकरण अभियान (Crop Diversification Campaign) से चालू खरीफ सत्र के लिए बासमती धान (Basmati paddy) की खेती (Farming) का रकबा 12.58 प्रतिशत बढ़ाने में मदद मिली है।
कृषि मंत्री ने कहा कि लंबे दाने वाले सुगंधित चावल की खेती बढ़कर 6.71 लाख हेक्टेयर तक हो गई है, जो पिछले खरीफ वर्ष में 5.96 लाख हेक्टेयर थी। मंत्री ने कहा कि राज्य ने बासमती की निर्यात गुणवत्ता को विश्व स्तरीय मानक तक बढ़ाने के लिए इस सुगंधित फसल में 10 कीटनाशकों (विशिष्ट एग्रा केमिकल्स) के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार द्वारा यह प्रतिबंध चावल के असली स्वाद और गुणवत्ता को बनाए रखने और उत्पादकों के हितों की सुरक्षा के मद्देनजर लगाया है।
बासमती चावल की खेती के जिलेवार आंकड़े देते हुए राज्य के कृषि मंत्री खुड्डियां ने कहा कि अमृतसर इस सुगंधित चावल के लिए 1.46 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के साथ अग्रणी है। अमृतसर के बाद मुक्तसर में 1.10 लाख हेक्टेयर, फाजिल्का में 84.9 हजार हेक्टेयर, तरनतारन में 72.5 हजार हेक्टेयर और संगरूर में 49.8 हजार हेक्टेयर में बासमती धान बोया गया है। मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने कहा, पिछले वर्ष की तुलना में धान की सीधी बुवाई (DSR) के तहत क्षेत्र में 46.5 फीसदी की हुई। उन्होंने एक बयान में कहा कि जल-बचत वाली इस डीआरएस पद्धति से खेती का रकबा पिछले वर्ष की अवधि के दौरान 1.72 लाख एकड़ की तुलना में इस वर्ष बढ़कर 2.52 लाख एकड़ से अधिक हो गया है।
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने केंद्र सरकार से बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को 950 डॉलर से घटाकर 750 डॉलर प्रति टन करने का आग्रह किया है, जिससे उत्पादक किसानों के लिए बेहतर कीमत सुनिश्चित हो सके और साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस किस्म की प्रतिस्पर्धात्मकता भी बढ़े। शिअद अध्यक्ष बादल ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध के साथ ही उबले चावल के निर्यात पर लगाए गए 20 प्रतिशत शुल्क को वापस लेने की मांग भी की। उन्होंने बताया कि प्रतिबंध से जहां देश बहुमूल्य विदेशी मुद्रा खो रहा है, वहीं इससे किसानों की भी आर्थिक हानि हो रही है। किसानों के कल्याण के लिए हमें वर्तमान प्रतिबंधों को हटाकर बासमती के साथ-साथ गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति देनी चाहिए।
शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने यहां एक बयान में कहा कि हालांकि इस वर्ष बंपर फसल की उम्मीद है, लेकिन यदि सरकार ने इस चावल की किस्म के लिए एमईपी की समीक्षा नहीं की तो बासमती किसानों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा, किसानों की आय दोगुनी करने की सरकार की मंशा को पूरा करने के लिए यह आवश्यक है। निर्यातक इस वर्ष किसानों से बासमती चावल खरीदने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि गत दो वर्षों से प्रतिबंधात्मक निर्यात नीतियों के कारण उनके गोदाम भरे हुए हैं। साथ ही “उद्योगपति मौजूदा एमईपी पर निर्यात नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि पाकिस्तान 750 डॉलर प्रति टन एमईपी पर उत्पाद निर्यात कर रहा है। इससे अंतरराष्ट्रीय बासमती बाजार पर भी असर पड़ा है और अनिश्चितता पैदा हुई है।” बादल ने कहा न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) की समीक्षा से बासमति निर्यात को बढ़ावा मिलेगा, देश में कीमतों में भी बढ़ोतरी होगी। इससे पंजाब और हरियाणा सहित उत्तरी क्षेत्र के किसानों को लाभ मिलेगा।
यूरोपियन यूनियन द्वारा बासमती चावल में अधिकतम कीटनाशक रसायन अवशेष स्तर एमआरएल 0.01 पीपीएम निर्धारित किया है। लेकिन चावल के दानों में सक्षम अधिकारियों द्वारा निर्धारित अधिकतम कीटनाशी अवशिष्ट स्तर (एमआरएल) से अधिक स्तर पर पाया जा रहा है, जिसके कारण पंजाब कृषि विभाग ने 10 कीटनाशकों के उपयोग और बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है।
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