देश-दुनिया में खाने के शौकीन लोगों द्वारा सुगंधित बासमती चावल को जबरदस्त तरीके से पसंद किया जा रहा है। खुशबूदार बासमती चावल की बढ़ती मांग और ऊंची कीमत ने बासमती उत्पादक किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध बना दिया है। प्रीमियम बासमती चावल की मांग साल-दर-साल आधार पर 25 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। अगर आप धान किसान है और खरीफ सीजन में धान की खेती करना चाहते हैं तो आपको खुशबूदार धान की खेती के लिए बारे में विचार करना चाहिए। ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट में आपको खरीफ सीजन के लिए टॉप 5 खुशबूदार बासमती धान की किस्मों के बारे में बता रहे हैं तो बने रहें हमारे साथ।
भारत में खरीफ सीजन के दौरान बासमती चावल की खेती उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, आंधप्रदेश, तमिलनाडू और झारखंड में बड़े पैमाने पर की जाती है। इसके अलावा सुगंधित बासमती चावल की खेती जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड जैसे ठंडे प्रदेशों में भी की जाती है। सुगंधित बासमती चावल की टॉप 5 किस्में इस प्रकार है :
कस्तूरी बासमती चावल अपने पौष्टिक गुणों के कारण एक लोकप्रिय किस्म है। इस बासमती चावल का दाना छोटा होता है और अपने मीठे और सुगंधित स्वाद के कारण इसकी मांग व कीमत बाजार में हमेशा ज्यादा रहती है। इसमें किसी भी अन्य चावल की तुलना में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है और इसमें घुलनशील फाइबर और कार्बोहाइड्रेट होते हैं। बाजार में कस्तूरी बासमती चावल की कीमत 50 से 90 रुपए किलो तक होती है। इसकी खेती पूरे भारत में कहीं भी की जा सकती है। यह किस्म 115 से 125 दिन में पककर तैयार हो जाती है। ब्लाइट रोग प्रतिरोधी इस किस्म की उपज क्षमता 30 से 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
इस किस्म का चावल अपनी अनूठी सुगंध के लिए जाना जाता है। बासमती चावल की यह सुगंधित किस्म अधिक पैदावार के कारण किसानों के बीच लोकप्रिय है। धान की यह बौनी किस्म 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है। धान पूसा सुगंधा 3 की पैदावार प्रति हेक्टेयर 40 से 47 क्विंटल होती है। इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और जम्मू व कश्मीर में की जाती है।
धान उत्पादक सभी प्रमुख राज्यों में धान की सुगंधित किस्म पूसा बासमती 1121 की बुवाई की जा सकती है। सिंचाई की अच्छी व्यवस्था उपलब्ध होने पर यह किस्म बेहतर परिणाम देती है। पूसा बासमती 1121 किस्म से प्रति हेक्टेयर 40 से 45 क्विंटल तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है। यह धान की अगेती किस्म है जो 140 से 145 दिनों में तैयार हो जाती है। इस किस्म के दाने लंबे, पतले और स्वादिष्ट होते हैं।
यह बासमती चावल की बेहतरीन किस्मों में से एक किस्म मानी गई। कृषि विशेषज्ञ इसकी खेती की सलाह किसानों को देते हैं। यह एक लंबी अवधि में पकने वाली धान बासमती की किस्म है। बीज की बुवाई से लेकर फसल की पैदावार तक 140 से 155 दिन का समय लगता है। तरावड़ी बासमती चावल का लंबाई 7.1 मिमी तक होती है। इसके चावल पतले और सुगंधित होते हैं। तरावड़ी बासमती से किसान प्रति एकड़ 10 क्विंटल तक पैदावार हासिल कर सकते हैं।
बासमती चावल की 370 किस्म की वजह से भारत बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है। खुश्बूदार चावल की इस किस्म के दाने की लंबाई 6-7 मिलीमीटर एवं चौड़ाई 1.7 मिलीमीटर होती है। 140-145 दिन की पकाव अवधि वाली यह किस्म 25-30 क्विंटल पैदावार देती है।
खरीफ सीजन में धान की खेती का सीजन 15 मई से शुरू हो जाएगा जो 15 जुलाई तक जारी रहेगा। इस दौरान किसान धान की सीधी बिजाई करेंगे या धान की नर्सरी लगाएंगे। किसान अपने प्रदेश व क्षेत्र की जलवायु के अनुसार उन्नत किस्म के बीजों का चयन कर धान की बुवाई कर सकते हैं। किसानों को धान की बुवाई से पहले स्थानीय कृषि विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
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