भारत कृषि प्रधान देश रहा है और यहां वर्ष में सामान्यत: दो बार फसलों की बुआई की जाती है। फसलों की बुआई के सीजन को मुख्यत: दो नामों से जाना जाता है। इनमें पहला रबी और दूसरा खरीफ। खरीफ सीजन जून से जुलाई के बीच का होता है जिसमें इस सीजन की फसलों की बिजाई और रोपाई की जाती है। खरीफ फसलों की कटाई सितंबर के अंत या अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े तक की जाती है। जहां सिंचाई के संसाधनों की कमी है वहां खरीफ फसलों की बुआई मानसून की बारिश शुरू होने के बाद की जाती है। किसान भाइयों को खरीफ की फसलों की जानकारी से अपडेट रहना चाहिए।
बाजरा, मक्का, धान, सोयाबीन, ज्वार, मूंगफली, गन्ना, उड़द, तुअर, मूंग, तिल्ली, कुल्थी, जूट, सन, मटर एवं कपास आदि। इन फसलों में बाजरा, मक्का, धान, ज्वार, मूंगफली, मूंग, उड़द, एवं मटर ये खाद्यान्न फसलें हैं। इनके अलावा कपास, जूट, सोयाबीन, गन्ना, कुल्थी आदि व्यापारिक फसलों में आती हैं।
भारत के उत्तर और पूर्वी इलाकों में धान, बाजरा, मक्का की ज्यादा खेती होती है। राजस्थान में खरीफ फसलों में किसान सबसे ज्यादा बाजरा बोते हैं। बाजरा 60 दिनों में पकने वाली फसल है। इसके तने की कुट्टी पशुओं का प्रिय आहार है जिसे कड़बी कहा जाता है। आजकल उन्नत किस्मों के बीज किसान भाइयों द्वारा उपयोग में लेना चाहिए ताकि पैदावार अच्छी हो। बाजरे की फसल में सिंचाई की बहुत कम आवश्यकता होती है। इसका पौधा बारिश के मौसम में नमी को सोख लेता है। खरीफ की अन्य प्रमुख फसलों में मक्का और धान हैं। इनमें मक्का की नेचर बाजरे जैसी ही होती है यानि इसे कम पानी वाले इलाकों में भी आसानी से उगाया जा सकता है। मक्का और बाजरे के पौधों से पशुओं के लिए हरा एवं सूखा चारा तैयार होता है।