Goat Farming : ग्रामीण परिवेश में बकरी पालन कम मेहनत के साथ एक मोटी कमाई वाला बिजनेस बनता जा रहा है। देश में बकरा/बकरी और उसके आर्थिक लाभ वाले उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ी है, जिसके कारण अनेक प्रगतिशील किसान और शिक्षित युवा तेजी से बकरी पालन को अपना रहे हैं। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश की आदिवासी महिला किसान सुलोचना ने भी लोन लेकर बकरी पालन शुरू किया। इससे वे अच्छी-खासी कमाई कर रही हैं। हालांकि, शुरूआत में सुलोचना बकरी पालन से पर्याप्त आमदनी नहीं ले पा रही थी। क्योंकि समस्या ये थी कि बकरी पालन में उनकी बकरियों की मृत्यु दर अधिक थी। लेकिन वैज्ञानिकों से प्रशिक्षण मिलने के बाद मानों उनकी किस्मत बदल गई। ट्रेनिंग के बाद न केवल बकरियों की मौत कम हुई, बल्कि बकरी पालन से सुलोचना की कमाई भी बढ़ गई है। सुलोचना एक बकरी पर करीब तीन हजार से पैंतीस सौ रुपए की कमाई कर रही है। इससे न केवल परिवार का पूरा खर्च निकाल रही हैं, बल्कि अच्छी खासी बचत भी कर रही है। आइए, जानते हैं सुलोचना के सफल बकरी पालन की कहानी।
प्रशिक्षण से मिली सफलता (Success Achieved Through Training) प्रगतिशील महिला किसान सुलोचना, देवगढ़ जिले के केंदुछपल गांव की एक युवा आदिवासी महिला उद्यमी हैं। वे शुरूआत से ही स्थानीय नस्ल के दो बकरे और दो बकरियां पाल रहीं थी। बकरी पालन में अपना अधिकतम समय देने के बावजूद भी वे बकरे-बकरियों से पर्याप्त इनकम नहीं ले पा रहीं थी। बकरी पालन में मुख्य समस्याएं उत्पादन की अधिक लागत और बकरियों की ज्यादा मृत्यु दर थी। इसके बाद वे केंदुछपल गांव में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम (Training Program) के दौरान कृषि विज्ञान केंद्र, देवगढ़ के संपर्क में आईं और वैज्ञानिकों के साथ चर्चा करते हुए अपनी समस्या के बारे में बताया। बकरी पालन में सुलोचना की रुचि को देखने के बाद केंद्र के वैज्ञानिकों ने उनके फार्म का दौरा किया और स्वास्थ्य प्रबंधन पर तकनीकी दिशा-निर्देश देते हुए उन्हें उन्नत नस्ल की बकरियों को पालने की सलाह दी।
कृषि विज्ञान केंद्र तथा स्थानीय पशु चिकित्सक के तकनीकी मार्गदर्शन (Guidance) में उन्होंने वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन करना शुरू किया। इसके लिए सुलोचना ने स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एसजीएसवाई) के माध्यम से बैंक से 2 लाख 50 हजार रुपए का बकरी पालन लोन लिया और सिरोही और ब्लैक बंगाल जैसी उन्नत नस्ल की बकरियों का पालन शुरू किया। सुलोचना के लिए इन हाइब्रिड नस्ल की बकरियों के पालन के रिजल्ट बहुत ही खुश करने वाले रहे। इन नस्ल के बकरे-बकरी रोगों के प्रति कम संवेदनशील होते हैं और इनका मांस भी स्वादिष्ट होता है। इन हाइब्रिड नस्ल के बकरे और बकरियों का वजन छह महीने में 25 किलोग्राम तक हो जाते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र, देवगढ़ की एक रिपोर्ट के अनुसार, अब सुलोचना बधिया किया हुआ प्रति बकरा 6 हजार रुपए की दर पर और गैर बधिया किया हुआ प्रति बकरा 2,500 रुपए की दर पर बेचती हैं। वे बकरियों को 3,500 रुपए प्रति बकरी की दर पर बेचती हैं। इससे उनकी नेट वार्षिक इनकम अब 50 हजार रुपए हो गई है। वहीं, बकरियों को पालने की लागत केवल 10 हजार रुपए है।
रिपोर्ट के मुताबिक, आदिवासी महिला उद्यमी सुलोचना अब जिले की लोकप्रिय बकरी पालक बन गई हैं। अब वे क्षेत्र के छोटे और परंपरागत बकरी पालक किसानों के साथ संपर्क साधकर उन्हें मजबूत बना रही हैं, जिससे नस्ल में सुधार किया जा सके और बकरे-बकरियों और उनके उत्पादों की संगठित बिक्री की जा सके। इनकी सफलता से उनके गांव की अन्य भूमिहीन महिलाओं को प्रेरणा मिली है। बकरी पालन में सुलोचना के प्रयास को देखते हुए स्थानीय किसानों ने भी बकरियों का पालन शुरू किया और सफलता पाई। इस तरह बकरी पालन देवगढ़ जिले की भूमिहीन गरीब परिवार की बेहतर आमदनी का साधन बन गया है।
रोजगार और कमाई के अवसर के कारण केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्यों की सरकारें भी बकरी पालन के लिए कम ब्याज दर पर लोन एवं बकरियों के देखरेख के लिए लोगों को प्रशिक्षण की सुविधा भी दे रही है। यहां आपको 25 लाख रुपए तक के लोन के साथ-साथ लोन पर 30 प्रतिशत से लेकर 90 प्रतिशत के बीच में सब्सिडी भी मिल जाएगी। यह सब निर्भर करेगा कि आप किस संस्था से और किस योग्यता के साथ लोन ले रहे हैं। अगर आप बकरी पालन शुरू करना चाहते हैं और इसके लिए किसी लोन की तलाश में है तो आप केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG) की खास योजनाओं में बकरी पालन के लिए प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) प्राप्त कर लाइव स्टॉक मिशन के तहत बकरी पालन फार्म के लिए इकाई के आधार पर सब्सिडी वाला लोन प्राप्त कर सकते हैं।
वर्तमान में नेशनल लाइव स्टॉक मिशन, बिहार बकरी पालन योजना, उत्तर प्रदेश बकरी पालन योजना, मुद्रा लोन योजना, नाबार्ड पशुपालन योजना से कोई भी इच्छुक व्यक्ति बैंकों से भी पशुपालन के लिए लोन ले सकता है। भारतीय स्टेट बैंक, केनरा बैंक और आईडीबीआई बैंक जैसी वित्तीय संस्थाएं आवेदक की योग्यता तथा पृष्ठभूमि के अनुसार 50 लाख रुपए तक का लोन बकरी पालन के लिए दे देती हैं। ये बैंक न केवल कम ब्याज दरों के साथ ऋण सुविधा प्रदान करती हैं, बल्कि ऋण के पुनर्भुगतान के लिए एक लचीली समय अवधि भी दी जाती है।
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