Success Story : कृषि सेक्टर से बेहतर मुनाफा कमाने के लिए आज किसान ट्रेडिशनल (पारंपरिक) खेती के साथ-साथ पक्षियों के पालन में भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। किसान देसी-विदेशी नस्ल के मुर्गा- मुर्गी, बत्तख और बटेर (तीतर) का पालन कर इससे हजारों लाखों रुपए का मुनाफा भी कमा रहे हैं। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार भी आ रहा है। आज किसानों एवं आम लोगों द्वारा मुर्गी-मुर्गा, बत्तख एवं बटेर का पालन उनके अंडे और स्वादिष्ट एवं पौष्टिक मांस के लिए बड़े स्तर पर किया जा रहा है। वर्तमान समय में बाजारों में बढ़ती अंडे और मांस की डिमांड को देखते हुए अब देश के पढ़े-लिखे युवा भी इस बिजनेस में हाथ आजमा रहे हैं। नौकरी के साथ-साथ पोल्ट्री फार्मिंग बिजनेस से मोटा मुनाफा कमाने के लिए आज कई पढ़े-लिखे युवा विभिन्न नस्ल के पक्षियों का पालन करते नजर आ रहे हैं। इन्हीं में बिहार के गया जिले के रहने वाले कुमार गौतम भी शामिल है। कुमार गौतम पोल्ट्री फार्मिंग में कड़कनाथ मुर्गे और बटेर का पालन कर रहे हैं और इससे वह सालाना लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। आईए इस पोस्ट की मदद से कुमार गौतम की पूरी कहानी के बारे में जानते हैं।
एबीए से पोस्ट ग्रेजुएट है कुमार गौतम
एमबीए चायवाला के बाद सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग में आए कुमार गौतम बिहार के गया जिले के परैया बाजार के रहने वाले हैं। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से MBA की है। वर्तमान में कुमार गौतम महमदपुर गांव में स्थित महमदपुर मध्य विद्यालय में शिक्षक के पद पर पदस्थापित है। एमबीए से पोस्ट ग्रेजुएट हो चुके कुमार गौतम फिलहाल बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ वह अपने घर के पास कड़कनाथ मुर्गे-मुर्गी एवं बटेर का पालन कर रहे हैं। इससे वह लाखों रुपए का मुनाफा सालाना कमा रहे हैं।
एमबीए मुर्गावाला कुमार गौतम की दिनचर्या
गया के कुमार गौतम का जलवा इन दिनों देश में छाया हुआ है। खबरों में उनका ही क्रेज है। कड़कनाथ मुर्गी एवं बटेर का पालन से लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे कुमार गौतम का कहना है कि वे प्रतिदिन सुबह उठकर कड़कनाथ मुर्गा एवं बटेर को दाना देने के बाद गुरारू प्रखंड के सरकारी स्कूल महमदपुर मध्य विद्यालय में बच्चों को पढ़ाने के लिए जाते हैं। विद्यालय से आने के बाद वह अपना सारा समय कड़कनाथ मुर्गों एवं बटेर की देखभाल में बिताते हैं। कुमार गौतम यह दिनचर्या नियमित रूप से फॉलो करते हैं।
800 से 1800 रुपए प्रति बिकता है कड़कनाथ मुर्गा
कुमार गौतम बताते हैं कि कड़कनाथ मुर्गे को जब जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैगिंग मिला और जब भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) भी कड़कनाथ मुर्गे (Kadaknath Chicken) का पालन करने लगे तो लोगों के बीच इस मुर्गे के पालन का चलन बढ़ गया। कड़कनाथ मुर्गे बड़े चाव से खाए जाने लगे हैं। आज हम गांव में कड़कनाथ चिकन को 800 रुपए प्रति किलो की कीमत में बेच रहे हैं। गया में इस मुर्गे की कीमत 1 हजार रुपए किलोग्राम तक पहुंच गई है। वहीं, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे बड़े शहरों में कड़कनाथ मुर्गे की कीमत 1,800 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुकी हैं।
मध्य प्रदेश से मंगवाए गए कड़नाथ मुर्गे के चूजे
एमबीए पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षक कुमार गौतम आगे बताते हैं कि उन्होंने कड़कनाथ मुर्गे (Kadaknath Chicken) के चूजे मध्य प्रदेश से मंगवाए हैं। यह चूजे 35-40 दिनों में वयस्क मुर्गे हो जाता है। जिससे हम बाजार में अच्छे भाव में बेचते हैं। इसी तरह बटेर (तीतर) के अंडे के साथ-साथ बटेर भी तैयार कर बेचे जाते हैं। एक बटेर का चूजा (chick) 40 से 45 रुपए की कीमत पर मिलता है, जो 45 दिन में तैयार होता है। तैयार होने के बाद हम इसे भी बेच देते हैं। शिक्षक कुमार गौतम बताते है कि गया जिले का परैया प्रखंड साल 1995 में नक्सलियों के आतंक के साये में था। इनके डर से कई ग्रामीण गांव छोड़कर चले गये थे, जो बचे रह गए थे। वे भी खेती के अलावा कोई अन्य दूसरा कारोबार भी नहीं करते थे। हालांकि, वर्ष 1997 के पश्चात यहां के हालात में बदलाव आया है। यहां रहने वाले स्थानीय लोग खेती के अतिरिक्त अलग-अलग प्रकार के दूसरे व्यवसाय करने लगे। इससे उन्हें अच्छा लाभ भी मिल रहा है।
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