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सक्सेस स्टोरी : किसान ने डेढ़ बीघा जमीन में बैंगन की खेती से कमाए 4 लाख रुपए

सक्सेस स्टोरी : किसान ने डेढ़ बीघा जमीन में बैंगन की खेती से कमाए 4 लाख रुपए
पोस्ट -21 अगस्त 2023 शेयर पोस्ट

बैंगन की खेती से किसान बना लखपति, मात्र डेढ़ बीघा जमीन से चार लाख रुपए की कमाई

किसान सरकुंडे का कहना है उनके पास 5 एकड़ खेत है। जिस पर वे पहले पारंपरिक फसलों की खेती करते थे, जिससे उन्हें कोई खास इनकम नहीं होती थी। लेकिन उन्हें मात्र डेढ़ बीघा जमीन पर बैंगन की खेती से करीब 3 से 4 लाख रुपए की इनकम हुई है। अब आप सोच रहे होंगे कि डेढ़ बीघा खेत में बैंगन की खेती करके कोई किसान इतनी इनकम कैसे कर सकता है, तो आईए इसके बारे में किसान निरंजन सरकुंडे से जानते हैं।

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Brinjal Crop Cultivation : किसान ट्रेडिशनल (पारंपरिक) फसलों की खेती की बजाए सब्जी की खेती करने में दिलचस्पी ले रहे हैं। हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में किसान न सिर्फ सब्जियों की खेती की ओर रुख कर रहे हैं, बल्कि सब्जियों की खेती से बढ़िया कमाई भी कर रहे हैं। सब्जियों की खेती करने से किसानों की इनकम भी बढ़ गई है और उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आया है। वहीं, राज्य सरकारें सब्जियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक से बढ़कर एक बागवानी स्कीम लेकर आई है। जिनके माध्यम से किसानों को  फल-सब्जी की खेती आधुनिक तकनीकों से करने पर प्रोत्साहन भी दिया जाता है।

हालांकि, पहले पारंपरिक फसलों की खेती करने पर किसानों को लागत के मुकाबले उतना अधिक मुनाफा नहीं होता था। साथ ही पारंपरिक फसलों के उत्पादन में उन्हें लागत और मेहनत भी अधिक करनी पड़ती थी। कई बार तो भारी बारिश, बाढ़ या प्रतिकूल मौसम और सुखाड़ पड़ने से फसल बर्बाद हो जाती थी। लेकिन अब आधुनिक तकनीकों से बागवानी क्षेत्र में किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है। सब्जियों की खेती करने से किसानों को रोज मोटी इनकम भी हो रही है।

आज के वक्त में कई राज्यों के किसान पारंपरिक फसलों की खेती को छोड़कर सब्जी फसलों की सफल खेती कर रहे हैं। सब्जी फसलों की खेती ने कई किसानों की किस्मत को चमका दिया है। ऐसे में हम महाराष्ट्र के नांदेड़ के रहने वाले एक ऐसे ही किसान के बारे में बता रहे हैं, जिनको सब्जी की खेती ने लखपति बना दिया है। आज नांदेड़ के किसान सब्जियों की खेती से लाखों रुपए की इनकम कर अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर रहे हैं। दरअसल, किसान निरंजन सरकुंडे नांदेड़ जिला स्थित जांभाला गांव के रहने वाले हैं। ये एक छोटे किसान हैं। इनके पास बहुत ही कम खेती योग्य जमीन है। उन्होंने डेढ़ बीघा के छोटे खेत में बैंगन की खेती करके पिछले तीन साल में 3 से 4 लाख रुपए की कमाई की है। आईए, इस किसान की पूरी कहानी को जानें।

बैंगन की खेती कर कमाए 4 लाख रुपए

नांदेड़ जिला स्थित जांभाला गांव के रहने वाले किसान निरंजन सरकुंडे बताते हैं कि उनके पास पांच एकड़ खेती योग्य जमीन है। जिसमें पहले वे पारंपरिक फसलों की खेती करते थे। लेकिन उन्हें पारंपरिक खेती से कोई खास मुनाफा भी नहीं मिलता था। यहां तक कई बार तो बदलते मौसम के कारण उनकी फसलें भी बर्बाद हो जाती थी, जिससे उन्हें काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ जाता था। बदलते परिवेश और फसलों की कीमतों में गिरावट होने की वजह से पड़ोसी गांव ठाकरवाड़ी के किसानों ने पारंपरिक खेती को छोड़कर सब्जी फसलों की खेती की ओर रुख किया। सब्जियों की खेती करने से किसानों की आमदनी बढ़ गई। जिसको देखते हुए निरंजन सरकुंडे ने भी पारंपरिक खेती के साथ-साथ सब्जियों की खेती करनी शुरू कर दी। उन्होंने डेढ़ बीघा खेत में बैंगन की रोपाई कर डाली, जिससे उन्हें रोज अच्छी कमाई मिल रही है। अभी तक वे बैंगन बेचकर 3 से 4 लाख रुपए की कमाई कर चुके हैं।

किसान निरंजन सरकुंडे ऐसे करते हैं बैंगन की खेती

किसान सरकुंडे अब पूरे गांव के लिए मिसाल बन गए हैं। उन्हें देखकर गांव के अन्य किसानों ने भी पारंपरिक खेती के साथ अब सब्जियों की खेती करना शुरू कर दिया है। निरंजन बताते हैं कि इस डेढ़ बीघा खेत में वे पिछले तीन साल से बैंगन की खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हेंं अभी तक तीन लाख रुपए का मुनाफा हो चुका है। हालांकि, डेढ़ बीघा खेत में बैंगन की खेती करने पर महज 30 हजार रुपये का खर्च आया है। निरंजन सरकुंडे ने डेढ़ बीघे जमीन में बैंगन रोपाई की, जिसमें उन्होंने बैंगन के बीज क्यारियों में लगाए। उन्होंने क्यारियों की दूरी दो बाई दो रखते हुए बैंगन लगाया था। क्योंकि गांव में पानी की कमी है। बैंगन की सिंचाई के लिए उन्होंने खेत में ड्रिप सिंचाई तकनीक को अपनाया। इससे उन्हें कम पानी में उचित पैदावार मिली।

स्थानीय बाजारों में बेची जाती है सब्जियां

छोटी जोत के किसान निरंजन सरकुंडे का कहना है कि उनके द्वारा उपजाए गए बैंगन को उमरखेड़ और भोकर के स्थानीय बाजारों में बेचा जाता है। उन्होंने कहा, वे अपने खेत की सब्जियों को बाहर नहीं बेचते हैं। फिलहाल स्थानीय बाजार में टमाटर, भिंडी, बैंगन जैसी सब्जियों की अच्छी कीमत पर बिक्री होती है। उन्होंने कहा कि बैंगन की उपज से उन्हें रोज अच्छी कमाई हो रही है। जिससे उनकी आमदनी बढ़ गई  है और बैंगन की खेती सस्ती होने से उन्हें खेती लागत में भी बचत होती है। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधर रही है। उन्होंने कहा कि अब उनके गांव के किसान भी  सब्जी की खेती की खेती में रूचि दिखा रहे हैं। क्योंकि सब्जी की खेती पारंपरिक खेती की तुलना में सस्ती होती है और इनमें मौसम की वजह से कोई खास नुकसान भी नहीं होता है।

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