देश में तेजी से कमर्शियल फसलों का क्षेत्र विस्तार हो रहा हैं। ऐसे में केंद्र एवं राज्य सरकारें कमर्शियल फसलों के उत्पादन में वृद्धि के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अपने-अपने स्तर पर प्रसाय करते नजर आ रहे है। एक ओर जहां केंद्र सरकार रबी सीजन 2022-23 के लिए देश के किसानों को तमाम सहुलियत दे रही है, तो दूसरी ओर कई सरकारें भी अपने स्तर पर किसानों को सुविधाएं दे रही है। इसी क्रम में कर्नाटक सरकार ने भी अब अपने राज्य में किसानों के हित में एक बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार ने कमर्शियल फसलों में कीटों के हमलों के समाधान की दिशा में कई कदम उठाते हुए खास तैयारी की है। पत्रकारों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि राज्य सरकार कमर्शियल फसलों में कीटों के हमलों को फैलने से रोकने के लिए तैयार है और इस दिशा में कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि मलनाड क्षेत्र में सुपारी पर एक विशेष प्रकार के कीटों ने पर हमला किया है। इससे सुपारी को भारी नुकसान हुआ है। और किसानों को फसलों में काफी नुकसान भी झेलना पड़ रहा है। तो चलिए ट्रैक्टरगुरु के इस लेख के माध्यम से जानते है सरकार ने कीटों के हमालेां को फैलने से रोकने के लिए क्या तैयरी की है।
पत्रकारों से बता करते हुए, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि दूध और दही की कीमतों में बढ़ोतरी पर रोक लगाने के बाद अब राज्य सरकार ने कमर्शियल फसलों में कीटों के हमलों के प्रसार से निपटने के लिए खास तैयारी कर रही है। सरकार ने कीटनाशक छिड़काव के लिए 10 करोड़ रुपये का अनुदान राशि भी जारी किया है। सब्सिडी राशि जारी होने के बाद भी किसान खुश नहीं हैं। किसानों का कहना है कि सुपारी बर्बादी के मुकाबले में यह रकम बहुत ही छोटी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और संबंधित एजेंसियां इन कीटों के हमले के समाधान खोजने के लिए काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि एक बार जब कृषि वैज्ञानिक समस्या का मूल कारण निर्धारित कर लेंगे, तो सरकार कीटों के समाधान के लिए उपचार और अन्य चीजों के लिए आवश्यक कदम उठाएगी। उन्होंने कहा सुपारी में यह कीट ख्तरनाक दर से फैल रहा है और यह काफी चिंता का विषय है। सरकार इस चिंता के समाधान के लिए काफी गंभीरता से योजना बना रही है।
सुपारी फसलों पर कीटों के हमलों के संबंध में आगे जानकारी देते हुए कर्नाटक के सीमए ने कहा कि सुपारी फसलों पर हो रहे इस विशेष कीटों के हमले को सरकार ने बहुत ही गंभीरता से लिया है। कृषि वैज्ञानिक और कीट नियंत्रण संबंधित एजेंसियां इस कीट के निपटान का समाधान ढूंढ रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने इसकी गंभीरता को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक आपदाओं से हुई फसल क्षति के लिए किसानों को दी जा रही इनपुट सब्सिडी को दोगुना कर दिया है। किसानों को कुल 99 करोड़ रुपये पहले ही वितरित किए जा चुके हैं। सीएम बोम्मई ने आगे कहा कि जिला प्रशासन संयुक्त सर्वेक्षण पूरा कर रिपोर्ट प्रस्तुत कर देता है, तो सरकार इनपुट सब्सिडी का भुगतान करेगी। जबकि पिछली सरकारें ने इनपुट सब्सिडी वितरित करने में एक साल का समय लिया था। लेकिन, हमारी सरकार ने इसे वितरित करने में डेढ़ महीने से भी कम समय लिया। यानि डेढ महीने के अन्दर ही सरकार ने इनपुट सब्सिडी राशि वितरित कर दिया है।
जानकारी के लिए बता दें कि एक फ्लिप-फ्लॉप में, कर्नाटक दुग्ध महासंघ (केएमएफ) ने बीते दिनों एक आदेश जारी किया, जिसमें सीएम बसवराज बोम्मई के हस्तक्षेप के बाद दूध और दही की कीमतों में 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई, पंरतु शाम तक आदेश को रोक दिया गया। कर्नाटक दुग्ध महासंघ (केएमएफ) के आदेश पर केएमएफ अध्यक्ष बालचंद्र जारकीहोली ने हस्ताक्षर किए, जिसमें कहा गया कि कीमतों में 15 नवंबर से बढ़ोतरी की जाएगी। हालांकि, बोम्मई ने कहा कि बीस नवंबर को बैठक के बाद मूल्य संशोधन पर निर्णय लिया जाएगा। इस बैठक में सभी हितधारकों के साथ-साथ कर्नाटक दुग्ध महासंघ (केएमएफ) के वरिष्ठ अधिकारी एवं दुग्ध सहकारी समितियों के अध्यक्ष शामिल होंगे। वहीं, केएमएफ के अध्यक्ष बालचंद्र का कहना है कि दूध और दही की कीमतों में बढ़ोतरी से राज्य के डेयरी किसानों को मदद मिलेगी, जो बाढ़ और मवेशियों में गांठदार (लंपी वायरस) त्वचा रोग सहित विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं।
कर्नाटक दुग्ध महासंघ (केएमएफ) के अध्यक्ष का कहना हैं कि किसान पिछले 10 महीनों से 5 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी बीच का रास्ता है जिसे हमने अपनाया था। उन्होंने कहा दूध संघों के साथ चर्चा के बाद बोर्ड की बैठक में लिए गए इस निर्णय के आधार पर आदेश जारी किया गया था। लेकिन मुख्यमंत्री ने फोन कर कहा कि इस आदेश को 20 नवंबर तक के लिए टाल दिया जाए। मुख्यमंत्री के आदेश के तुरंत बाद दूध और दही के पैकेटों पर संशोधित दरों को छापने की प्रक्रिया को रोका गया था, जो मुख्यमंत्री की मंजूरी के बिना शुरू की गई थी। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा के बाद आदेश जारी किया गया था। गुजरात मॉडल का भी पालन किया जा रहा था जहां चुनाव की घोषणा से बहुत पहले कीमतों में बढ़ोतरी की गई थी ताकि कोई लिंक या बहस न हो। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में 26 लाख किसान हैं जो 15 यूनियनों के माध्यम से दूध की आपूर्ति करते हैं। कर्नाटक दुग्ध महासंघ (केएमएफ) प्रतिदिन औसतन 79 से 80 लाख लीटर की खरीद करता है। वर्तमान में खरीद घट कर 76 लाख लीटर प्रतिदिन रह गई है।
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