Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana Haryana : प्राकृतिक आपदा से किसानों की फसलों को सुरक्षा प्रदान करने वाली प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खुद आपदा का शिकार हो गई है। जिस मकसद से इस योजना को संचालित किया जा रहा है, वह लगभग पूरा नहीं हो पा रहा है। केंद्रीय क्षेत्र की पीएम फसल बीमा योजना (PM Fasal Bima Yojana) में आजकल कोई कमियों के कारण किसानों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच हरियाणा के किसानों को पीएम फसल बीमा योजना ने बड़ा झटका दिया है। इस बार हरियाणा के करनाल समेत सात जिलों में किसान पीएम फसल बीमा योजना (PM Fasal Bima Yojana) का लाभ नहीं ले पाएंगे। क्लस्टर 2 में शामिल इन जिलों में फसल बीमा योजना को लेकर कोई भी बीमा कंपनी आगे नहीं आई है, जिसके कारण इन जिलों में इस बार पीएम फसल बीमा योजना लागू नहीं हो पा रही है। वर्ष 2021-22 में फसल खराब होने पर हिसार, भिवानी में 400 करोड़ से अधिक का मुआवजा देना पड़ा था, जिसके चलते बीमा कंपनियों ने क्लस्टर-2 में बीमा करने से मना कर दिया। बीते खरीफ सीजन 2023-24 में कोई बीमा कंपनी नहीं आई, जिसके चलते प्रदेश सरकार ने किसानों को आखिरी महीने में बीमा की वैकल्पिक सुविधा प्रदान की थी। इसमें ज्यादातर किसान आवेदन नहीं कर पाए थे। अब ऐसे में वर्ष 2024-25 में कोई कंपनी बीमा करने को तैयार नहीं है।
राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में राज्य में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) शुरू की थी। यह योजना प्रदेश में 3 क्लस्टर में लागू है, जिसके तहत किसानों को बीमा लाभ दिया जाता है। क्लस्टर 1 में पंचकूला, फरीदाबाद, कुरुक्षेत्र, कैथल, सिरसा, भिवानी और रेवाड़ी जिले शामिल हैं, जबकि हिसार, महेंद्रगढ, गुरूग्राम, करनाल, अंबाला, सोनीपत, जींद जिले को क्लस्टर 2 में बांटा गया है। क्लस्टर 3 तीन में यमुनानगर, पानीपत, पलवल, रोहतक, फतेहाबाद, झज्जर, मेवात और चरखी दादरी शामिल हैं। द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, खरीफ-2023 और रबी-2024 सीजन के दौरान क्लस्टर 2 में किसी बीमा कंपनी ने वहां फसलों का पीएमएफबीवाई के तहत बीमा नहीं किया था। किसानों को सीजन के दौरान खुद के भरोसे छोड़ दिया गया। पिछले वर्ष कपास की फसल खराब होने पर मुआवजा जारी करने की मांग को लेकर हिसार में किसान पिछले एक साल से आंदोलन कर रहे हैं, जबकि बीमा कंपनी ने क्लस्टर 2 में शामिल इन 7 जिलों में योजना लागू करने से इनकार कर दिया है।
बीते दिनों भी हरियाणा (Haryana News) में बारिश व ओलावृष्टि हुई, जिससे करनाल समेत कई जिलों में गेहूं और सरसों की 12 हजार एकड़ फसल प्रभावित हुई। कृषि विभाग की ओर से प्रभावित फसल का आकलन किया गया। हालांकि फसल बीमा योजना के तहत प्रभावित फसल का मुआवजा नहीं मिल पाएगा। लेकिन किसानों को घाटे से बचाने के लिए सरकार ने इसके स्थान पर फसल सुरक्षा योजना का लाभ दिया है। इस बार करनाल, अंबाला, सोनीपत, हिसार, जींद, महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम जिले में फसल बीमा योजना (Fasal Bima Scheme) लागू नहीं की गई है। इंश्योरेंस कंपनी ने घाटे से बचने के फसल बीमा योजना में फसलों का बीमा करने से इनकार कर दिया है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि किसान फसल का बीमा कराएं तो कैसे? मौसम बदलने के चलते किसानों को आपदा से जूझना पड़ता है।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डा. वजीर सिंह के मुताबिक, फसल बीमा योजना में अब तक करनाल के किसानों को कुल 84.23 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जा चुका है। बीते वर्ष करनाल (Karnal News) के कुल 79 किसानों को फसल नुकसान के लिए मुआवजे के रूप में 6 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया। फसल में नुकसान की भरपाई के लिए बीमा करने के लिए किसानों से फसल की लागत का डेढ़ प्रतिशत प्रीमियम लिया जाता है। चौगांवा के प्रगतिशील किसान मनजीत ने कहा कि निजी कंपनी के माध्यम से फसलों का बीमा कराया जा रहा है। निजी कंपनी पूरे गांव को इकाई मानती है। पूरे गांव में आपदा के कारण 70 प्रतिशत तक नुकसान होने के बाद फसल का मुआवजा दिया जाता है। कई किसानों को पूरी फसल बर्बाद हो जाती है। सरकार को खुद फसलों का बीमा करना चाहिए और पूरे गांव का आकलन न करके प्रत्येक किसान के नुकसान की भरपाई करनी चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार, हिसार में करीब 2 लाख से अधिक किसानों ने खरीफ सीजन में करीब 3.18 लाख एकड़ में कपास की बिजाई की है और मानसून की शुरूआत होते ही धान, बाजरा और ग्वार की फसल की बुवाई किसानों द्वारा की जाएगी। यदि इन फसलों को मौसमी गतिविधियों के कारण कोई नुकसान पहुचता है, तो उन्हें फसल बीमा योजना से उचित राहत मिलने की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि हिसार समेत इन 7 जिलों में पीएम फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) के लिए इस बार भी कोई इंश्योरेंस कंपनी आगे नहीं आई है। आदमपुर क्षेत्र के किरतान गांव के किसान का कहना है कि इस साल आठ एकड़ में कपास बोया है, लेकिन इस साल फिर से फसल के लिए बीमा कवर पाने में असमर्थ रहा हूं। बीमा कंपनी ने पिछले साल भी खरीफ की फसल के लिए कवर देने से इनकार कर दिया था, इसने किसानों द्वारा बीमा कवर के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम को वापस कर दिया।
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