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सिंचाई की इस तकनीक पर मिलेगी सरकार से 90% की सब्सिडी, अभी करे आवेदन

सिंचाई की इस तकनीक पर मिलेगी सरकार से 90% की सब्सिडी, अभी करे आवेदन
पोस्ट -30 मई 2023 शेयर पोस्ट

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक पर 90 प्रतिशत तक सब्सिडी 

अगले महीने से देश के विभिन्न राज्यों में खरीफ फसलों की बुवाई शुरू हो जाएगी। खरीफ फसलों में धान, सोयाबीन, ज्वार, बाजरा, अरहर, कपास, जूट, मूंगफली, मूंग और उड़द सहित कई पारंपरिक फसलों की बुवाई किसानों द्वारा की जाएगी। इसके अलावा सब्जीवर्गीय और मसालावर्गीय फसलों की बुवाई भी खरीफ मौसम में किसानों द्वारा की जाएगी। ऐसे में बिहार सरकार ने खरीफ मौसम की बुवाई से पहले प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत ड्रिप सिंचाई तकनीक और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक पर सब्सिडी देने का फैसला लिया है। इस योजना के तहत राज्य के किसानों को ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक पर 90 प्रतिशत तक सब्सिडी उपलब्ध करवाई जाएगी। सरकार का कहना है कि इससे फसलों की सिंचाई में भूमिगत जल का दोहन कम होगा और कम पानी से अधिक से अधिक क्षेत्र में फसलों की सिंचाई हो सकेगी। जल की एक-एक बूंद का सही प्रयोग करके खेती से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। आईये, इस ट्रैक्टर गुरु पोस्ट की मदद से ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक पर बिहार सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी के बारे में विस्तार से जानते हैं? 

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पानी की बर्बादी को रोकना चाहती है बिहार सरकार 

भारत के प्रमुख कृषि सूबों में बिहार प्रमुख है। बिहार राज्य में लगभग 85 प्रतिशत आबादी खेती-किसानी से जुड़ी हुई है। यहां की आबादी धान, गेहूं, मक्का, चना और सरसों के साथ-साथ बड़े पैमाने पर बागवानी फसलों की भी खेती करती हैं। लेकिन, बिहार में सबसे अधिक क्षेत्र में पारंपरिक फसल में धान, गेहूं और सब्जियों की खेती की जाती है। यहां फसलों की सिंचाई अभी भी पारंपरिक तरीके से ही होती आ रही है, जिससे पानी की बहुत अधिक खपत होती है। मानसूनी बारिश में साल-दर-साल कमी और इस तरह की सिंचाई से बिहार में ग्राउंड वाटर लेवल बहुत ही तेजी नीचे जा रहा है। बिहार के कई इलाके तो सूखे की चपेट में आ चुके हैं। राज्य में इन्हीं सब समस्याओं को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार खेती-किसानी में सिंचाई तकनीक में बदलाव करने के लिए किसानों से अपील कर रही है। सरकार पानी की बर्बादी को रोकने एवं कम पानी में अधिक से अधिक भू-भाग की सिंचाई करने के लिए ड्रिप सिंचाई तकनीक और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक को बढ़ावा दे रही है। सरकार का मानना है कि इस तकनीक से सिंचाई करने पर पानी की बर्बादी कम होगी और फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सकेगा और इससे भूमिगत जल स्तर का दोहन भी कम होगा। 

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 90 प्रतिशत सब्सिडी

बिहार का उद्यानिक विभाग प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को ड्रिप सिंचाई तकनीक और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक पर 90 प्रतिशत तक सब्सिडी उपलब्ध करवा रहा है। सिंचाई की इन तकनीकों पर सब्सिडी का लाभ लेने के लिए इच्छुक किसान योजना के अंतर्गत बिहार उद्यानिकी विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा, अपने जिले के उद्यान विभाग से संपर्क कर सब्सिडी संबंधित जानकारी ले सकते हैं। इच्छुक किसान भाई ई-मित्र एवं ग्राहक सेवा केंद्र की मदद से सब्सिडी के लिए अपना पंजीयन करवा सकते हैं। 

फसलों की जड़ों को पर्याप्त मात्रा में मिलता है पानी 

बिहार सरकार का मानना है कि सिंचाई की यह नई तकनीक पानी की बर्बाद को रोकने के लिए बहुत ही शानदार तकनीक है। इस प्रकार की सिंचाई तकनीक से कम पानी की मात्रा में फसलों की पर्याप्त सिंचाई की जा सकती है। इस प्रकार की सिंचाई  तकनीक से फसलों की सिंचाई करने पर फसल की उपज भी बढ़ती है और सिंचाई पर होने वाले खर्च में भी कमी होती है। ड्रिप सिंचाई तकनीक और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक से फसलों की जड़ों को कम समय अंतराल में पर्याप्त पानी मिलता है। इस तकनीक से पानी की बर्बादी भी नहीं होती है और पारंपरिक सिंचाई तकनीक के मुकाबले इस तकनीक से फसलों की सिंचाई में 60 से 70 प्रतिशत तक कम पानी की खपत होती है। ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर तकनीक से फसलों की सिंचाई करने पर फसलों की उपज में 40 से 50 प्रतिशत तक वृद्धि होती है, जिससे किसानों का 20 से 30 प्रतिशत तक मुनाफा बढ़ता है। 

उर्वरक और अन्य पोषक तत्वों की होती है बचत

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार का कहना है कि इस सिंचाई तकनीक में पानी की एक-एक बूंद को काम में लाया जा सकता है। साधारण सिंचाई तकनीक के मुकाबले किसान ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर तकनीक से 3 गुना ज्यादा भू-भाग पर उतने ही पानी में फसलों की सिंचाई कर सकते हैं। इस तकनीक में छोटी व्यास वाली प्लास्टिक पाइप के माध्यम से फसलों की जड़ों को बूंद-बूंद के रूप में पानी दिया जाता है। साथ ही फसलों में उर्वरक और अन्य पोषक तत्वों को भी इस तकनीक के माध्यम से पानी के साथ प्रदान किया जाता है। इस तरह उर्वरक और अन्य सभी पोषक तत्व सीधे पानी के साथ फसलों की जड़ों तक पहुंच जाता है। इसमें अतिरिक्त उर्वरक और पोषक तत्व बेकार नहीं जाते, जिससे किसानों को 20 से 25 प्रतिशत तक उर्वरक और अन्य पोषक तत्वों में बचत मिलती है। बता दें कि इस प्रकार की सिंचाई तकनीक को सूक्ष्म सिंचाई तकनीक कहते हैं। इसके तहत ड्रिप सिंचाई तकनीक, रेनगन सिंचाई तकनीक और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक का प्रयोग होता है। 

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