देशभर में बीते कुछ दशकों के अंदर बागवानी फसलों यानी फल-सब्जियों की खेती पर किसानों का रूझान बढ़ने लगा है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक फसलों की खेती के अलावा किसान मुनाफेदार बागवानी फसलों में देशी दुर्लभ प्रजातियों के साथ-साथ विदेशी प्रजातियों की खेती की ओर अपना रूख कर रहे हैं। किसान बागवानी फसलों की खेती से जमकर पैसा कमा रहे हैं। भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत बागवानी करने पर किसानों को सब्सिडी भी दी जाती है। यही कारण है कि भारत जैसे देश में बागवानी फसलों का रकबा बढ़ता जा रहा है। इसी कड़ी में हरियाणा सरकार ने राज्य में बागवानी फसलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए राज्य में विदेशी और दुर्लभ किस्मों की खेती से किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए हरियाणा सरकार केंद्र सरकार की एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत किसानों को आर्थिक सहायता दे रही है। हरियाणा सरकार राज्य में किसानों को विदेशी और दुर्लभ किस्मों में खजूर की खेती के लिए 1.40 लाख रुपए तक का अनुदान दे रही है। सरकार का मानना हैं कि खजूर कम पानी वाली शुष्क वातावरण की प्रजाति है। राज्य में शुष्क वातावरण वाले जिलो में इसकी खेती कर किसान अच्छी पैदावार के साथ अच्छा मुनाफा कमा सकते है। बागवानी फसलों की खेती में खजूर अच्छी कमाई का एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि खजूर की खेती कैसे की जाती है, तो आइए ट्रैक्टरगुरु के इस लेख के माध्यम से इसकी खेती का तरीका एवं इसकी खेती पर मिलने वाले अनुदान तथा खेती पर अनुदान का लाभ उठाने के प्रोसेस के बारे में जानते है।
हरियाणा सरकार राज्य में कृषि और बागवानी क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए बागवानी फसलों की खेती पर किसानों को प्रोत्साहन दे रही है। इसके लिए सरकार ने राज्य में बागवानी फसलों की खेती पर किसानों को अनुदान देने की योजना बनाई है। सरकार अब खजूर की खेती के लिए अनुदान देगी। अनुदान का लाभ उठाने के लिए किसानों को “मेरी फसल मेरा ब्योरा” पोर्टल https://fasal.haryana.gov.in/ पर जाकर रजिस्ट्रेशन देना होगा। सरकार ने रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को अनिवार्य कर दिया है। यदि आपका रजिस्ट्रेशन इस पोर्टल पर नही है, तो आप अनुदान का लाभ नहीं उठा सकते है। इसके अलावा खजूर की खेती पर आर्थिक अनुदान योजना से संबंधित अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के नजदीकी उद्यान विभाग के कार्यलय या सहायक निदेशक से भी संपर्क कर सकते हैं।
हरियाणा उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों को बागवानी फसलों की खेती पर अनुदान देने की योजना बनाई गई है। हरियाणा सरकार ने इस योजना के तहत किसानों को बागवानी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने की कवायद शुरू कर दी गई है। एक ओर जहां ड्रैगन फ्रूट की खेती पर अनुदान की पहल की जा चुकी है, वहीं सरकार अब खजूर की खेती खजूर की खेती के लिए किसानों को अनुदान देगी। किसानों को खजूर की खेती के लिए प्रति प्रोत्साहित करने के लिए 1.40 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से अनुदान देने का निर्णय लिया है। योजना के तहत एक किसान अधिकतम दस एकड़ तक अनुदान का लाभ ले सकता है। सरकार का मानना है कि खजूर की बाजार में अच्छी मांग है। राज्य के कई हिस्सों में इसकी खेती के लिए मौसम व परिस्थियां भी अनुकूल है। परंपरागत खेती की बजाए किसान बागवानी क्षेत्र खजूर की खेती कर अच्छे उत्पादक बन सकते हैं। इसके लिए पौधे भी विभाग की ओर से उपलब्ध करवाए जाएंगे।
किसानों को परंपरागत खेती की बजाय बागवानी अपनाने पर सरकार विशेष रूप से ध्यान दे रही है। किसानों को आय का बेहतर विकल्प देने के लिए सरकार खेती के नए विकल्प को बढ़ावा दे रही है। सरकार राज्य के किसानों को खजूर की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। किसानों को इस अनुदान योजना का का लाभ मिल सके। इसके लिये राज्य सरकार ने रजिस्ट्रेशन की प्रोसेस को भी अनिवार्य कर दिया है। इसी मामले में मीडिया रिपोर्टस् द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार खजूर की खेती के लिए 1.40 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दे रही है। सरकार की यह योजना दक्षिण हरियाणा के किसानों के लिए उत्तम बताई जा रही है। सरकार का मानना है कि दक्षिण हरियाणा की जमीन खजूर की खेती के लिए सबसे उपयुक्त है। दी गई जानकारी के अनुसार सरकार का कहना है कि यहा के किसान खजूर के अलावा किन्नू, माल्टा, नींबू, बेर, अमरूद, अनार व खजूर इत्यादि लगाकर अपनी आय को दोगुना कर आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते हैं।
खजूर की खेती रेतीली मिट्टी और बंजर जमीन तथा पानी की किल्लत से जूझ रहे इलाकों इसकी खेती की संभावना बहुत ज्यादा होती है। ऐसे शुष्क और गर्म इलाकों में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। हरियाणा उद्यानिकी विभाग के अनुसार एक हेक्टेयर में 8 मीटर की दूरी रखते हुए करीब 156 खजूर के पौधे लगाए जा सकते हैं। खजूर के पौधों पर सब्सिडी के साथ ही विभाग ने खेती और पौधों के रखरखाव के लिए के लिए आर्थिक मदद भी दी जाती है। सिंचाई की ड्रिप प्रणाली अनिवार्य की गई। खजूर के पेड़ 4 से 5 वर्ष के बाद फल देना आरंभ कर देते है। पूर्ण रुप से तैयार होने बाद खजूर के एक पेड़ से करीब 70 से 100 किलो तक उपज प्राप्त हो जाती है। एक एकड़ पर इनका कुल उपज उत्पादन करीब 45-50 क्विंटल तक प्राप्त हो जाता हैं। बाजार में खजूर का भाव करीब 80-3000 रुपए किलोग्राम तक होता है। इस लिहाज से खजूर के एक हेक्टेयर खेती से किसान कम लागत पर काफी मोटी कमाई कर सकते है।
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