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पराली प्रबंधन : किसानों को पराली बेचने पर होगा 5 से 6 हजार रुपए का फायदा

पराली प्रबंधन : किसानों को पराली बेचने पर होगा 5 से 6 हजार रुपए का फायदा
पोस्ट -08 अक्टूबर 2022 शेयर पोस्ट

पराली प्रबंधन से मोटी कमाई के लिए सरकार ने बनाई खास योजना

धान एवं अन्य कई फसलों की कटाई के बाद खेतों में भारी मात्रा में पराली निकलती है, इसे किसान खेतों में ही जला देते हैं। जलाने से भारी प्रदूषण फैलता है। पराली प्रदूषण पर नियंत्रण हो और किसान पराली का सही उपयोग कर इससे अच्छी कमाई कर सकें, इसे ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने कई प्राइवेट कंपनियों को पराली खरीदने का निर्देश दिया है। इसके अलावा पराली से जैविक खाद भी तैयार कर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं। यहां ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट में आपको पराली निस्तारण सहित इससे कमाई करने की महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही है। 

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पराली प्रबंधन के तहत सरकार देगी आर्थिक पैकेज 

पराली प्रबंधन के लिए हरियाणा सरकार काफी गंभीर नजर आ रही है। सरकार ने फसल अवशेष प्रबंधन स्कीम के तहत सीटू  और एक्स सीटू मैनेजमेंट के माध्यम से किसानों को प्रति एकड़ एक हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है। अगर आप हरियाणा प्रदेश के किसान हैं तो इस योजना का लाभ अवश्य लें। 

मेरी फसल, मेरा ब्यौरा पोर्टल पर कराएं रजिस्ट्रेशन 

हरियाणा सरकार की ओर से सी टू एवं एक्स सी टू मैनेजमेंट के अंतर्गत जो फसल अवशेष प्रबंधन स्कीम शुरू की गई है। इसमें पराली निस्तारण के लिए किसान मेरी फसल, मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। बता दें कि सी टू और एक्स सीटू  मैनेजमेंट के जरिए पराली का निस्तारण बहुत आसान है। इसके साथ ही किसानों को प्रति एकड़ पराली के बदले सरकार 1,000 रुपये प्रदान करेगी। एक आम किसान सरकार की योजना के तहत प्राइवेट कंपनियों को पराली बेच कर 5 से 6 हजार रुपये कमा सकता है। इसके अलावा किसानों को बेलर मशीनों के माध्यम से पराली की गांठें बनाना सिखाया जाएगा। इसे बेचने के  लिए बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा। वहीं धान के फानों को जमीन में कृषि मशीनों के सहारे दबाने की प्रक्रिया किसानों को समझाई जाएगी। ऐसा करने से जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ेगी। 

पराली से भूसा बना कर बेेचें 

बता दें कि धान की कटाई के बाद बची हुई पराली को जलाने के बजाय किसान इसका भूसा बना सकते हैं। कई प्रदेशों में भूसे की इतनी कमी आ जाती है कि पशुओं को सूखा चारा महंगे दामों पर खरीदना पड़ता है। ऐसे में आप पराली का भूसा बेच कर अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं। इसमें आपको ट्रैक्टर के साथ बस थ्रैसर मशीन ही तो जोडऩी है। बस भूसा तैयार है। पराली का भूसा 500 से 600 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक सकता है।

पराली से बनाएं जैविक खाद 

आप अपने खेत में निकली पराली का सदुपयोग इसका जैविक खाद तैयार करके कर सकते हैं। पराली से दो तरीके से जैविक खाद बनाई जा सकती है। इसकी पहली प्रक्रिया है गोबर में केंचुए छोडऩे के बाद उसे ढंकने के लिए पराली इस्तेमाल करें। वहीं पराली को गला कर इससे जैविक खाद बना लें। यह महंगे दामों पर बेची जा सकती है। इससे किसानों की आय बढ़ेगी। 

पराली बिजनेस से लाखों कमा कर दिखाई नई राह

कहते हैं यदि दिल में कुछ करने का जज्बा हो तो कोई काम असंभव नहीं है। ऐसा ही एक काम कर दिखाया हरियाणा के कैथल जिले के फराज माजरा गांव निवासी किसान के एक बेटे ने। बता दें कि वीरेंद्र यादव पढ़ाई करने विदेश गया था। वहां से जब वापस लौटा तो वीरेंद्र ने खेती पर ध्यान देना शुरू किया लेकिन फसल के अवशेष के निस्तारण की समस्या आने लगी। वीरेंद्र के अनुसार उन्हे आष्ट्रेलिया की नागरिकता भी मिल गई थी लेकिन विदेश रास नहीं आया। अब वे एनर्जी प्लांट्से और पेपर मिल के जरिए हर साल लाखों की पराली बेच कर खूब बिजनेस कर रहे हैं। दूसरे किसानों के खेतों से भी वे पराली खरीद कर बेचने का काम करते हैं। वीरेंद्र की इस छोटी से कहानी से आप भी पराली बेच कर अपनी कमाई बढ़ाएं। 

एक ही सीजन में कमाए 50 लाख रुपये

हरियाणा के वीरेंद्र यादव आगे बताते हैं कि उन्होंने 3 हजार एकडक़ से 60 हजार क्विंटल पराली के गड्ढे बनाए हैं। इससे 135 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से 50 हजार क्विंटल पराली एग्रो एनर्जी प्लांट में बेची है। वहीं 10 हजार क्विंटल पराली पिहोवा के सैंसन पेपर मिल को बेची है। इससे इस सीजन में उनको 94 लाख 50 हजार रुपये की कमाई हुई। सारा खर्चा निकाल कर करीब 50 लाख रुपये की बचत हुई। 

50 प्रतिशत छूट पर खरीदा स्ट्रा बेलर 

वीरेंद्र यादव के अनुसार उन्होंने पराली के आयताकार गड्ढे बनाने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग से 50 प्रतिशत अनुदान पर स्ट्रा बेलर उपकरण खरीदा है। इससे पराली निस्तारण में आसानी रहती है।  उसके पास चार स्ट्रा बेलर सहित कई करोड़ के आधुनिक उपकरण हैं। 

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