प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2023 : खेती-किसानी में फसलों की सिंचाई के बेहतर संसाधान किसानों को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से साल 2015 में केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का शुभारंभ किया गया था। देशभर में किसानों को इस योजना के माध्यम से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है, जिससे कि कम पानी में फसलों की बेहतर सिंचाई कर बढ़िया पैदावार प्राप्त की जा सके। इसके लिए किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकल सिंचाई जैसे सूक्ष्म यंत्र अनुदानित दरों प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। इसमें देश की सभी राज्य सरकारें भी अपने-अपने स्तर पर योगदान कर किसानों को लाभ देती है। किसानों को सूक्ष्म सिंचाई संयंत्र पर 55 प्रतिशत से लेकर 90 प्रतिशत तक सब्सिडी की सुविधा दी जाती है, ताकि हर खेत को सिंचाई के लिए उचित पानी मिल सके। फसलों की सिंचाई में जल की एक-एक बूंद का सही उपयोग कर कम पानी से अधिक उत्पादन प्राप्त हो, इसके लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का 15 दिसंबर 2021 में अगले 5 सालों तक के लिए विस्तार करते हुए 2026 तक योजना के क्रियान्वयन को मंजूरी दे दी थी। अब इस योजना के तहत देश में हर खेत को सिंचाई के लिए 2026 तक पानी मिलता रहेगा। बता दें कि इस योजना के माध्यम से देश के सभी खेतों तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना हुए विस्तार और आने वाले सालों में इस योजना के तहत किसानों के लिए किन-किन कार्यों का क्रियान्वन किया जाएगा। ट्रैक्टर गुरू के इस लेख के माध्यम से योजना का अपडेट जानने की कोशिश करते हैं।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल समिति ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का विस्तार करते हुए 2026 तक योजना को संचालित करने की मंजूरी दी थी। इसके लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल समिति ने 93,068 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया था, जिसके तहत 2021 से लेकर 2026 तक प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएकेएसवाई) का क्रियान्वयन किया जाएगा।
मंत्रिमंडल समिति ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए इसके प्रमुख घटकों को 2026 तक जारी रखने की मंजूरी दी थी। इस योजना के सभी प्रमुख घटक जैसे त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीबी), हर खेत को पानी (एचकेकेपी), प्रति बूंद अधिक फसल (प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना) और पनधारा विकास 2021-26 तक संचालित रहेगी। इनके तहत ही देश के सभी राज्य के जिलों स्थित हर खेत तक सिंचाई के लिए पानी को पहुंचाने का काम किया जाएगा।
पीएमकेएसवाई एक प्रमुख योजना है, जिसके तहत पुराने या सूखे जल श्रोतों को पुनर्जीवित करने, नए कुओं का निर्माण करने, जल संचयन के लिए जागरूकता पैदा करने जैसे कई उल्लेखित विशेष गतिविधियों के लिए देश की राज्य सरकारों को केंद्रीय सहायता दी जाती है। इनमें जल संसाधन विभाग, नदी विकास और गंगा संरक्षण के प्रमुख घटक शामिल है। त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम और हर खेत को पानी के 4 उप-घटक हैं। इसमें कमान क्षेत्र विकास (सीएडी), सतह लघु सिंचाई (एसएमआई), जलस्रोतों का उद्धार, सुधार और बहाली (आरआरआर) और भूजल विकास शामिल है। इसके अलावा, भूमि-जल विकास वाले क्षत्रों को भूमि संसाधन विकास के तहत पीएमकेएसवाई योजना का सफल क्रियान्वयन किया जा रहा है।
त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी), केंद्र सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है। इसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई परियोजनाओं को वित्तीय मदद देना है। किसान को ड्रिप और स्प्रिंकल सिंचाई के लिए पूरी तरह से जागरूक करना है। त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) के तहत 2026 तक कुल अतिरिक्त सिंचाई क्षमता को 13.88 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाना है। पीएमकेएसवाई योजना के तहत चल रही 60 सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने पर ध्यान देना है, जिसमें जनजातीय इलाकों और जल्दी सूखे का सामना करने वाले क्षेत्रों को चिन्हित कर परियोजनाओं को शामिल करने के मानदंडों में सरल किया गया है। इन क्षेत्रों में ड्रिप और स्प्रिंकल सिंचाई के लिए नलकूल बनवाने पर जोर दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के निर्धारित प्राथमिक लक्ष्यों के तहत रेणुकाजी बांध परियोजना (हिमाचल प्रदेश) एवं लखवार बहुउद्देश्यीय परियोजना (उत्तराखंड) के लिए मंत्रिमंडल द्वारा 90 प्रतिशत केंद्रीय वित्तपोषण का प्रावधान किया गया है। इन दोनों राष्ट्रीय परियोजनाओं की मदद से यमुना बेसिन में जल भंडारण किया जाएगा। इससे यमुना बेसिन के ऊपरी क्षेत्रों के 6 राज्यों को लाभ पहुंचेगा। इसके अलावा दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान राज्य की भी जलापूर्ति की जा सकेगी। साथ ही यमुना के उद्धार की दिशा में भी प्रगति आएगी।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के घटकों के तहत जल संरक्षण और प्रबंधन संबंधित गतिविधियों को प्रोत्साहित करना भी शामिल है। हर खेत को पानी (एचकेकेपी) के तहत सभी जिलों में खेतों तक पहुंचकर खेती योग्य भूमि का विस्तार करना है। इस कार्यक्रम के तहत लघु सिंचाई व जल स्रोतों के उद्धार-सुधार-बहाली कर अतिरिक्त 4.5 लाख हेक्टेयर रकबे को सिंचाई के दायरे के अंदर लाना है। इसके अलावा वॉटरशेड विकास कार्यक्रम के तहत वर्षा जल द्वारा सिंचित इलाकों का विकास किया जाएगा। इसके लिए मिट्टी व जल संरक्षण, भूजल की पुनः भरपाई, मिट्टी बहने को रोकना एवं जल संरक्षण और प्रबंधन संबंधी विस्तार गतिविधियों को प्रोत्साहित करना शामिल है।
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