Subsidy on paddy Farming : देश के पूर्वी-दक्षिणी राज्यों में धान की बुवाई का काम पूरा किया जा चुका है, जबकि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और झारखंड समेत उत्तर-मध्य भारत के अन्य राज्यों में भी खरीफ की मुख्य फसल धान की बुवाई किसानों द्वारा पूरी की जा चुकी है। इस बीच हरियाणा के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। हरियाणा की मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (Chief Minister Nayab Singh Saini) सरकार ने धान किसानों के लिए बड़ा ऐलान करते हुए धान की खेती पर 4 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से मदद (अनुदान) देने की घोषणा की है। हालांकि, यह अनुदान लाभ सभी किसानों को नहीं दिया जाएगा। इसके लिए केवल वही किसान पात्र होंगे, जिन्होंने खेती के तौर-तरीके में बदलाव करते हुए धान की सीधी बिजाई (DSR) तकनीक से धान की बुवाई की है। इस अनुदान के लाभ के लिए पात्र किसान को डीएसआर स्कीम के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। उसके बाद कृषि विकास अधिकारी, बागवानी विकास अधिकारी, पटवारी, नंबरदार या संबंधित किसान कमेटी द्वारा फिजिकल वेरिफिकेशन किया जाएगा। इसके बाद डीएसआर तकनीक सत्यापित किसानों के खाते में 4 हजार रुपए की मदद राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से ट्रांसफर की जाएगी।
राज्य के कृषि विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि जिन किसानों ने धान की सीधी बिजाई की थी, लेकिन किन्हीं कारणों से अपना रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाए थे, उनके लिए हरियाणा सरकार ने ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल दोबारा खोलने का फैसला लिया है। ऐसे में जिन किसानों ने धान की सीधी बिजाई की है , लेकिन वे किसी कारणवंश अपना पंजीकरण नहीं करवा पाए थे वे अब “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। यह पोर्टल 18 अगस्त 2024 तक खुला रहेगा। विभाग द्वारा इस पोर्टल को 11 अगस्त 2024 से खोला गया है।
प्रवक्ता ने बताया कि जिन किसानों ने धान की सीधी बिजाई कर रखी है, वो मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कर दें। पोर्टल पर पंजीयन के दौरान किसान को बताना होगा कि उन्होंने कितने रकबे में धान की बुवाई डीएसआर तकनीक से की है। उन्होंने बताया कि रजिस्ट्रेशन के बाद सरकार द्वारा किसानों का वेरिफिकेशन करवाया जाएगा, जिसके बाद सत्यापित किसानों को डीएसआर स्कीम का लाभ दिया जाएगा। धान की खेती में सीधी बुवाई विधि अपनाने वाले किसान के बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से चार हजार प्रति एकड़ की सब्सिडी राशि दी जाएगी। उन्होंने बताया कि डीएसआर योजना के तहत धान की खेती करने वाले किसानों के पास आर्थिक लाभ पाने का यह आखिरी मौका है। इसलिए पात्र किसान अंतिम तिथि से पहले अपना रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर जरूर करवा लें।
विभाग का दावा है कि डीएसआर तकनीक से धान की खेती करने पर किसानों का पैसा, पानी और समय सबकी बचत होती है। इस विधि से धान की खेती करने में लगभग 20 प्रतिशत पानी की बचत होती है। वहीं, भू-जल बचाने के लिए राज्य सरकार “मेरा पानी मेरी विरासत” नाम से योजना भी चला रही है, जिसमें उन किसानों को 7 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से आर्थिक मदद दी जा रही है जो धान की खेती छोड़कर कम पानी की खपत वाली अन्य फसलें लगा रहे हैं। कृषि विभाग के अनुसार, धान की सीधी बिजाई (DSR) विधि से धान की बुवाई पर किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने 120.80 करोड़ रुपए आवंटित भी किए हैं। इस राशि को राज्य के लक्षित जिलों में किसानों को धान की खेती के लिए अनुदान देने के लिए खर्च किया जाएगा।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा सरकार ने इस साल लगभग 3.02 लाख एकड़ में डीएसआर विधि से धान की बुवाई करने का लक्ष्य रखा है, जबकि पिछले साल यह लक्ष्य 2.25 लाख एकड़ क्षेत्र का था। इनमें अंबाला, यमुनानगर, करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, पानीपत, जींद, सोनीपत, फतेहाबाद, सिरसा, रोहतक और हिसार जिला शामिल हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राज्य कृषि विभाग ने इस वर्ष सिरसा जिले में 85 हजार एकड़, करनाल में 30 हजार एकड़, फतेहाबाद और हिसार में 25 हजार एकड़, कुरुक्षेत्र में 22 हजार एकड़, जींद और सोनीपत को 20-20 हजार एकड़, कैथल में 18 हजार एकड़, पानीपत, रोहतक और यमुनानगर को क्रमश: 15-15 हजार एकड़ में डीएसआर तकनीक से धान की सीधी बुवाई का लक्ष्य रखा गया। वहीं, अंबाला जिले में डीएसआर योजना के तहत 120 हजार एकड़ क्षेत्र में सीधी बुवाई तकनीक से धान की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
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