फसल अवशेष प्रबंधन योजना : कृषि क्षेत्र में आधुनिक कृषि मशीनों के इस्तेमाल से जुताई, बुवाई, सिंचाई, कटाई, मड़ाई, भंडारण और फसल अवशेषों के प्रबंधन जैसे तमाम कृषि कार्य बेहद कम लागत और समय पर पूरा किया जा रहा है। इन कृषि मशीनों के आने से कृषि में लागत कम हुई और उत्पादन में वृद्धि भी देखने को मिल रहा है। आज यह कृषि यंत्र कृषि क्षेत्र के लिए काफी लाभकारी साबित हो रहे है। किसानों को ये आधुनिक कृषि यंत्र सस्ती दरों पर मिल सके इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें अपने स्तर पर सरकारी योजनाए चलाकर सब्सिडी भी उपलब्ध करवा रही है। सरकार के इन योजनाओं का लाभ उठाकर पिछले कुछ सालों में किसानों द्वारा कृषि यंत्रों को सब्सिडी पर खरीद के कृषि में खुब इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसके परिमाण स्वरूप कृषि में उत्पादन की लागत में कमी आयी है और फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर पराली जलाने जैसी घटनाओं में भी कमी आयी है। इसी क्रम में हरियाणा सरकार की ओर से फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को सब्सिडी पर 100 सुपर सीडर मशीन उपलब्ध करवाया जा रहा है। फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत हरियाणा के सोनीपत जिला के किसानों को सरकार एक बार फिर से 100 सुपर सीडर मशीन सब्सिडी पर उपलब्ध करवा रहा है। जिसके लिए जिला कृषि विभाग ने किसानों से फसल अवशेष योजना के तहत पिछले साल 31 अगस्त 2022 तक आवेदन मांगे थे। जिन किसानों ने योजना के तहत 31 अगस्त 2022 तक सरकार के पोर्टल पर सब्सिडी दरों पर सुपर सीडर मशीन खरीदने के लिए आवेदन दिए थे। उन किसानों को सब्सिडी दरों पर सुपर सीडर मशीन खरीदने का मौका जिला कृषि विभाग की ओर से दिया जा रहा है। आईए, ट्रैक्टरगुरु के इस लेख के माध्यम से इस खबर के बारे में विस्तार से जानते है
जानकारी के लिए बता दें कि जिला कृषि विभाग सोनीपत ने फसल अवशेष प्रबंधन योजना (Crop Residue Management Plan) के माध्यम से विभिन्न कृषि यंत्रों सहित सुपर सीडर मशीन पर सब्सिडी के लिए किसानों से आवेदन मांगे थे। जिसके तहत कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा सोनीपत जिला में किसानों को हरियाणा कृषि विभाग के आधिकारिक वेबसाइट पर 31 अगस्त 2022 तक आवेदन करने के लिए कहां गया था। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, हरियाणा सरकार (Government of Haryana) उपायुक्त ललित सिवाच का कहना है कि हरियाणा सरकार ने सोनीपत जिले के उन सभी किसानों को 100 सुपर सीडर मशीन सब्सिडी दरों पर देने का फैसला किया है। जिन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत सरकार के पोर्टल पर 31 अगस्त 2022 तक आवेदन किया था।
मीडिया रिपोर्ट के हवाले से हरियाणा सरकार (Government of Haryana) उपायुक्त ललित सिवाच ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन योजना (Crop Residue Management Plan) के तहत पिछले साल सोनीपत जिले से करीब 769 किसानों ने सीपर सीडर मशीन के लिए आवेदन दिया था। प्राप्त आवेदन पर उस समय जिला कृषि विभाग सोनीपत द्वारा 100 किसानों को सुपर सीडर मशीन दिए गए थे। ऐसे में अब एक बार फिर से जिला कृषि विभाग सोनीपत द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत पुराने आवेदनों में से ही 100 और किसानों को सुपर सीडर मशीन सब्सिडी दरों पर दिया जा रहा है। उन्होंने ने बताया कि पिछली बार लाभार्थी किसानों का चयन जिला स्तरीय कार्यकारी कमेटी ने ऑनलाइन ड्रॉ के माध्यम से वेटिंग लिस्ट के आधार पर किया था। पिछली बार की भांति ही इस बार भी लाभार्थी किसानों का चयन ऑनलाइन ड्रॉ के माध्यम से ही किया जाएगा।
अगर आप भी सोनीपत जिले के किसान है और पिछले साल फसल अवशेष प्रबंध योजना के तहत सुपर सीडर मशीन सब्सिडी दरों पर पाने के लिए हरियाणा कृषि विभाग के ऑफिशियल पोर्टल www.agriharyana.gov.in पर आवेदन दिया था, तो आप भी जिला कृषि विभाग सोनीपत में संपर्क कर सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल योजना के तहत लाभान्वित होने वाले कृषकों की लाभार्थी सूची सहायक कृषि अभियंता कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर लगा दी गई है। वहीं, अधिक जानकारी के लिए आप विभाग द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर- 7357606155 या 9053331298 पर भी कॉल कर संपर्क कर सकते हैं।
सुपर सीडर मशीन एक प्रकार की बुवाई मशीन है, लेकिन यह फसलों के बीजों की बुवाई के साथ-साथ फसल अवशेषों के प्रबंधन का कार्य भी करती है। सुपर सीडर मशीन की सहायत से किसान धान फसल की कटाई के पश्चात पराली प्रबंधन के साथ-साथ गेहूं की बुवाई भी आसानी से कर सकता है। यह फसल बुवाई मशीन धान की फसल की कटाई के बाद फसल अवशेषों को खेत में ही फैला देती है, जो कि खाद में परिवर्तित हो जाती है, जिससे फसल की उत्पादकता बढ़ती है। इन फसल अवशेषों के बीच गेहूं की बुवाई करने पर बीजों का अच्छा जमाव, अंकुरण और पौधों का विकास सही ढंग से होता है। किसानों को पराली जलाने की नौबत नहीं आती, जिससे पराली जलाने की घटना कम हो जाती है और पर्यावरण को भी लाभ होता है। सुपर सीडर मशीन से किसानों की खेती में मेहनत कम होती है और धान फसलों की कटाई के साथ ही गेहूं व सोयाबीन फसलों की बुवाई भी कम समय और लागत में आसानी से हो जाती है, जिससे किसानों का लागत और समय दोनों की ही बचत जाती है।
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