किसानों की आय को दोगुनी करने एवं खेती को तकनीक से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार कई प्रकार की योजनाओं का सुचारु संचालन कर रही है। इन योजनाओं के तहत लगभग सभी प्रकार के कृषि संसाधानों पर सब्सिडी दी जाती है। केंद्र सरकार की इन योजनाओं को राज्य सरकारें भी अपने राज्य में लागू कर किसानों की मदद कर रही है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी किसानों को तकनीक से जोड़ने के लिए एग्रीकल्चर ड्रोन योजना का संचालन कर रही है, जिसके अंतर्गत किसानों को एग्रीकल्चर ड्रोन खरीदने पर भारी सब्सिडी उपलब्ध करवा रही है। किसान ड्रोन योजना के तहत यूपी सरकार किसानों को खेत में कीटनाशक एवं पोषक तत्वों का छिड़काव करने के लिए एग्रीकल्चर ड्रोन की खरीदारी पर 40 प्रतिशत या अधिकतम 4 लाख रुपए तक की सब्सिडी प्रदान कर रही है। खास बात यह है कि इसके लिए सरकार ने रोड मैप तैयार कर लिया है। प्रदेश सरकार द्वारा 2025 तक किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से इस पर काम किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ड्रोन परियोजना के तहत अब तक कृषि विभाग उत्तर द्वारा 88 कृषि ड्रोन भी खरीदे जा चुके हैं। ट्रैक्टर गुरू के इस पोस्ट में आज हम आपको उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ड्रोन परियोजना से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी प्रदान करेंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा शुरुआती फेज में किसान ड्रोन योजना के माध्यम से कृषि समितियों और स्वयं सहायता समूह को कृषि ड्रोन दिया जाएगा। इसके अलावा, राज्य में किसान उत्पादक संगठन से जुड़े किसान भी इस योजना के तहत ड्रोन सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं। साथ ही एफपीसी से जुड़े किसान भी इसका लाभ उठा सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए यहां बता दें कि एफपीसी और एफपीओ दोनों अलग-अलग है। इनमें एफपीसी में न्यूनतम 10 किसानों का संगठन होता है। वहीं एफपीओ (किसान उत्पादन संगठन) में किसानों की न्यूनतम सदस्य संख्या 11 होती है। अगर आप भी किसान ड्रोन योजना के माध्यम से कृषि ड्रोन का लाभ लेना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको अपने नजदीकी एफपीओ या एफपीसी संगठन से जुड़ना होगा।
प्रदेश सरकार किसान समूहों और कृषि विज्ञान में डिग्री रखने वाले युवाओं को सब्सिडी पर ड्रोन देने के लिए प्राथमिकता दे रही है। यूपी कृषि विभाग के निदेशक जेपी चौधरी का कहना है कि किसान ड्रोन योजना के तहत ड्रोन पर किसान समूहों और समितियों को 40 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि किसानों को इस योजना के तहत 10 लाख रुपए तक के अच्छे से अच्छे कृषि ड्रोन खरीदने पर 40 प्रतिशत या अधिकतम 4 लाख रुपए की सब्सिडी दी जाएगी। चौधरी का कहा है कि सरकार के इस प्रयास से राज्य में खेती के अंदर ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ेगा। साथ ही युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो बीते दिनों में केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश को कुल 32 कृषि ड्रोन उपलब्ध करा दिए हैं, जिनमें से 4 कृषि विश्वविद्यालयों को, 10 कृषि विज्ञान केंद्रों और बाकी 18 आईसीएआरआई (इंडियन कौंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट) के संस्थानों को प्रदान किये जा चुके हैं। एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने इसके लिए करीब 5.60 करोड़ रुपए की धनराशि भी आवंटन की थी।
एग्रीकल्चर ड्रोन की मदद से पानी की भी बचत कर सकते हैं, क्योंकि पारंपरिक तरीके से एक एकड़ खेत में कीटनाशक दवा और पोषक तत्वों के छिड़काव में करीब 200 से 250 लीटर पानी खर्च होता है। वहीं, ड्रोन से एक एकड़ जमीन पर कीटनाशक दवा और पोषक तत्वों के छिड़काव में मात्रा 15 से 20 लीटर पानी ही खर्च होता है और पूरे खेत में अच्छे से छिड़काव भी हो जाता है। ड्रोन से छिड़काव करने की स्थिति में पानी की बहुत बचत होगी।
बड़े लेवल पर खेती करने वाले किसानों को फसलों पर कीटनाशक दवा और पोषक तत्वों की पारंपरिक तरीके से छिड़काव करने के लिए काफी मजदूरों की जरूरत पड़ती है। अगर इसके लिए 2 या तीन मजदूर लगाया जाए तो किसानों को लगभग 400 या 500 रूपए के हिसाब से 1200 या 1500 रुपए तक खर्च करना पड़ता है और इसमें समय भी अधिक लगता है। वहीं, किसान ड्रोन के उपयोग से इस काम को करते हैं, तो मात्र 350 से 400 रुपए के खर्च में एक एकड़ जमीन पर कुछ ही घंटों में फसलों पर छिड़काव किया जा सकता है। इस प्रकार ड्रोन के इस्तेमाल से किसानों के पैसों के साथ समय की भी बचत होगी। साथ ही खेती में लगने वाली लागत में भी कमी आएगी।
बड़े स्तर पर खेती करने वाले किसान भाई समय पर खेत में खड़ी पूरी फसलों पर खाद, कीटनाशक तथा अन्य पोषक तत्वों का छिड़काव करने में असमर्थ होते हैं। लेकिन अब किसान भाई अपने खेतों में खड़ी फसलों पर ड्रोन तकनीक की मदद से खाद व अन्य कीटनाशकों का छिड़काव बहुत ही कम समय में आसानी से कर सकते हैं। साथ ही खाद, कीटनाशक एवं अन्य खाद उर्वरक की भी बचत कर सकते हैं। ड्रोन के उपयोग से 5 से 10 मिनट में एक एकड़ खेत में कीटनाशक, दवा एवं अन्य पोषक तत्वों का छिड़काव किसान भाई स्वयं कर सकते हैं। साथ ही फसलों की देखरेख एवं स्थिति का जायजा भी ले सकते हैं, क्योंकि इन पर कैमरा लगा होता है। बता दें कि किसान खेती में खड़ी फसलों में अंदर तक नहीं जा सकते, जिसक कारण किसानों को खेत के बीच के हिस्सों में खड़ी फसलों की स्थिति का पता नही होता है। लेकिन अब ड्रोन की मदद से किसान ऐसी जगह भी देख सकते हैं वो भी बिना खेत में अंदर घुसे।
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