आज के दौर में विकसित देशों की तरह भारत के किसान भी नई- नई तकनीकों का इस्तेमाल कर खेती कर रहे है। और खेती से अधिक से अधिक उत्पादन लेकर अपनी आर्थिक स्थिति भी अच्छी कर रहे है। ऐसे में नई तकनीकों में ड्रोन के इस्तेमाल ने खेती को काफी हद तक आसान बना दिया है। विकसित देशों के भांति भारत के किसान भी कृषि ड्रोन के इस्तेमाल से खेतों में लिक्विड फर्टिलाइजर के छिड़काव से लेकर फसल की निगरानी जैसे काम कर रहे है। सरकार भी कृषि की लागत को कम करने और फसलों को बड़े जोखिमों से बचाने के लिए आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही है। केंद्र एवं राज्य सरकारें कृषि के क्षेत्र में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं भी चला रही है। इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है। केंद्र सरकार ड्रोन खरीदने के लिए 40 से 100 प्रतिशत तक सब्सिडी भी दे रही है। इतना ही नहीं कृषि विश्वविद्यालयों से लेकर कृषि विज्ञान केंद्र और कई ट्रेनिंग सेंटर्स में ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है। ताकि आप सरकार की ड्रोन योजना के तहत ट्रेनिंग लेकर ड्रोन पायलट बनकर इसका इस्तेमाल कर सके। और बिना किसी स्वास्थ्य जोखिम उठाएं खेती कर सकते है। ऐसे में किसानों के पास केंद्र सरकार की कृषि ड्रोन सब्सिडी योजना के तहत ड्रोन खरीदने एवं इसके इस्तेमाल के लिए ट्रेेनिंग लेने का शानदार मौका है। बता दें कि भारत अपनी टेक्नोलॉजी का विस्तारिकरण कर रहा है, हाल ही के दिनों में 5जी सर्विसेस भी लॉंच कर दी गई है। ऐसे में हमारा कृषि क्षेत्र कैसे पीछे रह सकता है।
केंद्र सरकार अपनी कृषि ड्रोन योजना के माध्यम से खेती में ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देने का काम कर रही है। खास बात यह है कि सरकार इस योजना के तहत कृषि ड्रोन खरीदने पर बड़े पैमाने पर सब्सिडी और ट्रेनिंग भी दे रही हैं। इन दिनों कृषि विश्वविद्यालयों से लेकर कृषि विज्ञान केंद्र और कई ट्रेनिंग सेंटर्स में ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है, जिससे ड्रोन के फायदों को समझकर किसान इसका इस्तेमाल खेती में ज्यादा से ज्यादा कर पाए। हाल के दिनों में सरकार ने अपने नये कृषि बजट में मोबाइल और कंप्यूटर की तरह ही रोजमर्रा के कामों में ड्रोन के इस्तेमाल करने की हिदायत दी थी। इसके लिए कृषि और पंचायती राज विभाग से कृषि ड्रोन को मंजूरी मिल भी दे दी गई है। बताया जा रहा हैं कि, अब डायरेक्टर जनरल और सिविल एविएशन ने भी देश के 10 राज्यों में ड्रोन उड़ाने की पायलट ट्रेनिंग को मंजूरी दे दी हैं। इस काम के लिए जिन राज्यों में संस्थाओं को चुना है। इनमें उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ भी शामिल है। हरियाणा में गुरुग्राम और एक बहादुरगढ़, महाराष्ट्र के 4 संस्थानों को ड्रोन की ट्रेनिंग के लिए अप्रूव किया गया है। तेलंगाना के सिकंदराबाद और हैदराबाद, मध्य प्रदेश के ग्वालियर, गुजरात के अहमदाबाद, हिमाचल प्रदेश के शाहपुर, झारखंड के जमशेदपुर, तमिलनाडु के चेन्नई और कर्नाटक के बेंगलुरु में भी ड्रोन के ट्रेनिंग संस्था को मंजूरी दी गइ है।
आज के दौर में आधुनिक टेक्नोलॉजी ने आम जन से लेकर किसानों तक का काम बहुत आसान कर दिया है। आधुनिक में टेक्नोलॉजी जैसे स्मार्टफोन के माध्यम से आम जन संदेश, पैसे व कई अन्य रोजमर्रा के कार्य चंद सेकेंड में पूरे कर सकते हैं। उसी प्रकार कृषि क्षेत्र में कृषि ड्रोन के माध्यम से कृषि के तमाम कार्य भी बेहद कम समय और लागत में पूरे किए जा रहे है। इसी वजह से देश का हर किसान स्मार्ट तकनीकों में ड्रोन का इस्तेमाल करना चाहता है। इसके लिए किसान ड्रोन खरीदने से पहले अपने राज्य के अप्रूव्ड ड्रोन प्रशिक्षण केंद्र में जाकर ड्रोन के इस्तेमाल की ट्रेनिंग और जानकारी ले सकते हैं। इसके लिए आपको डायरेक्टर जनरल सिविल एविएशन की आधिकारिक वेबसाइट https://digitalsky.dgca.gov.in/home के माध्यम से सर्टिफिकेट कोर्स के लिए पंजीकरण करवाना होगा। इसके अलावा आप अधिक जानकारी पाने के लिए अपने नजदीकी कृषि कार्यालय में भी संपर्क कर सकते हैं। ड्रोन पायलट ट्रेनिंग पूरी होने बाद एक सर्टिफिकेट दिया जाता है, जिससे आप खुद के ड्रोन पायलट का बिजनेस भी शुरू कर सकते हैं। बता दें कि ड्रोन उड़ाने से पहले अपकों यह जानकारी देनी होगी कि ड्रोन को कितने समय के लिए और कितनी ऊंचाई पर किस क्षेत्र में उड़ाया जाएगा।
केंद्र सरकार की ओर से कृषि क्षेत्र में ड्रोन तकनीक के उपयोग के लिए कृषि ड्रोन योजना चलाई जा रही है। जिसके तहत ड्रोन खरीदने पर 40 से 100 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सीमांत किसान, पूर्वोत्तर राज्यों के किसान और महिला किसान ‘कृषि ड्रोन योजना’ के तहत पांच लाख रुपये तक का लाभ उठा सकते है। जबकि अन्य किसान ड्रोन पर 4 लाख रुपये या इसकी लागत का 40 प्रतिशत तक की सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं। वहीं, कृषि ड्रोन योजना के तहत कृषि ड्रोन खरीदने के लिए कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों, आईसीएआर संस्थानों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों को 100 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। इसके अलावा कृषि ड्रोन योजना के तहत किसान उत्पादक संगठन भी 75 प्रतिशत की सब्सिडी (अधिकतम 10 लाख रुपये) पर कृषि ड्रोन खरीद सकते है। खास बात यह है कि कई कृषि मेलों की प्रदर्शनियों में भी तरह-तरह के कृषि ड्रोन भी देखे जा रहे हैं।
Ans. खेती की लागत को कम करने और फसलों को बड़े जोखिमों से बचाने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से कृषि ड्रोन योजना की शुआत की गई। योजना के तहत कृषि ड्रोन की खरीद पर 50 प्रतिशत से लेकर 75 प्रतिशत और 100 प्रतिशत तक छूट दी जा रही है।
Ans. कृषि ड्रोन की सहायता से खेतों में लिक्विड फर्टिलाइजर के छिड़काव से लेकर फसल की निगरानी के काम में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें लगे कैमरे के माध्यम से फसल में किसी प्रकार की बीमारी या अन्य प्रकार की स्थिति को देख सकते है।
Ans. ड्रोन की मदद से बड़े एरिया में खड़ी फसलों पर रसायनों का छिड़काव कम समय में बिना कीटनाशकों के समपर्क में किया जा सकता है।साथ ही ड्रोन में लगे हाई रेजोल्यूशन कैमरों के जरिए फसलों स्थिति जानकर ड्रोन ऑटो सेंसर के माध्यम से एक निश्चित हाईट पर उड़ाकर एक एकड़ भूमि पर खड़ी फसलों पर करीब 10 मिनट में खाद, कीटनाशक और अन्य जरूरी पोषक तत्वों का छिड़काव कर सकता है।
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