मौसम में दिनों दिन तेजी से हो रहे बदलाव के कारण पिछले कुछ सालों से किसानों को खेती में बाढ़, सूखा, पाला, बेमौसम बारिश के साथ ओलावृष्टि से नुकसान उठाना पड़ रहा है। देश के ज्यादातर हिस्सों में अब यह समस्या हर साल देखी जा रही है। मौसम में बदलाव के कारण हर साल किसानों की हजारों एकड़ में तैयार खड़ी फसल को बर्बाद हो रही है, जिससे किसानों को काफी नुकसान होता है। फसलों में होने वाले इस नुकसान से किसानों को बचाने के लिए राज्य सरकारें अपने राज्य में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का चला रही है। केंद्र सरकार द्वारा संचालित इस योजना का लाभ समय पर अधिक से अधिक किसानों को मिले इसके लिए योजना में कई सुधार किए जा रहे हैं। हाल ही केंद्र सरकार ने इस योजना को और भी लाभकारी एवं सुविधाजनक बनाने के लिए “डिजीक्लेम” की शुरुआत की है। बता दें कि बीते दिनों केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री, नरेन्द्र सिंह तोमर ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत नई दिल्ली के कृषि भवन में राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल के डिजिटल दावा निपटारा मॉड्यूल डिजीक्लेम का शुभारंभ किया। साथ ही राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड व हरियाणा राज्यों के लिए कुल 1260 करोड़ रुपए मुआवजे के तौर पर जारी किए हैं। इस राशि में फसल कटाई प्रयोगों के जरिए पैदावर के आधार पर आकलन कर जारी किया गया है। आईये, इस पोस्ट के माध्यम से इस पूरी खबर के बारे में जानते हैं।
केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री, नरेन्द्र सिंह तोमर ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत फसल बीमा पोर्टल के जरिय राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड व हरियाणा राज्यों के लिए कुल 1260 करोड़ रुपए मुआवजे के तौर पर एक बटन के क्लिक वितरण किए हैं। इन 6 राज्यों में पिछले साल प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों को फसल के नुकसान का सामना करना पड़ा था। अब केंद्र सरकार ने इन किसानों को राहत देते हुए बीमा दावों का वितरण किया है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत बीमित किसानों को अब तक 1.32 लाख करोड़ रुपए की बीमा दावा राशि का वितरण केंद्र द्वारा किया जा चुका है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए अपना खजाना खोलते हुए फसल बीमा योजना के जरिए 462 करोड़ रुपये बीमा दावों का के लिए राशि जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस जारी राशि से प्रदेश के 9 लाख 3 हजार 336 किसानों को मुआवजा दिया जाएगा, जिन्हें पिछले साल खरीफ सीजन फसल में बारिश के कारण नुकसान हुआ था। रिपोर्ट्स की मुताबिक, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि मध्यावधि में आंशिक मुआवजे के रूप में 2.18 लाख किसानों को बीमा कंपनियों द्वारा 134.25 करोड़ रुपये की बीमा दावों की राशि का भुगतान पहले ही किया जा चुका है। इस प्रकार खरीफ 2022 सीजन की कुल 597.05 करोड़ रुपये की राशि प्रदेश के किसानों को मुआवजे के रूप में दी जा चुकी है। बीमा राशि का भुगतान सीधे डीबीटी के माध्यम से किया जा चुका है।
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री ने कहा कि प्राकृतिक आपदा की स्थिति में किसानों को फसल में हुए नुकसान की सूचना 72 घंटे के अंदर संबंधित बीमा कंपनी या कृषि विभाग कार्यालय में दी जाए। सूचना मिलने के बाद बैंक और संबंधित बीमा कंपनियों द्वारा जल्द से जल्द फसल में नुकसान का वेरिफिकेशन कर मुआवजा राशि सीधे बैंक खाते में भेज दी जाएगी। इसके अलावा, बुवाई 60 प्रतिशत तक कम होने पर ग्राम पंचायत में मुआवजा देने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि इससे अधिक से अधिक किसानों को लाभ मिलेगा और (पीएमएफबीवाई) योजना में विश्वसनीयता बढ़ेगी। बीमा कंपनी को निर्धारित समय में प्रीमियम उपलब्ध कराया जाए ताकि किसान योजना के लाभ से वंचित न रहें। साथ में यह भी सुनिश्चित किया जाए कि किसानों को फसल कटाई के 1 महीने के भीतर फसल बीमा पोर्टल के माध्यम से मुआवजा राशि का भुगतान कर सीधे किसानों को कर दिया जाए।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय डिजीक्लेम मॉड्यूल लाया है। इससे बीमा दावा भुगतान की प्रक्रिया स्वचालित हो जाएगी। क्योंकि राज्यों द्वारा पोर्टल पर उपज डेटा जारी किया जाता है। इसकी शुरुआत के साथ बीमा दावों का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जाएगा। यह सीधे क्लेम रिवर्सल रेशियो को प्रभावित करेगा, जो डिजीक्लेम के साथ नीचे जाने की उम्मीद है। इस डिजिटल प्रगति की एक और खास विशेषता यह है कि किसान वास्तविक समय में अपने मोबाइल फोन पर बीमा दावा निपटान प्रक्रिया को ट्रैक कर योजना का लाभ उठाने में सक्षम होंगे। मंत्री ने बताया कि वर्तमान प्रणाली में, विभिन्न कारकों के कारण बीमित किसानों के दावों में देरी होने के कई उदाहरण सामने आए हैं। वैध फसल हानि दावों की दावा वितरण प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए, मंत्रालय द्वारा डिजीक्लेम मॉड्यूल की शुरूआत की गई है।
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