भारत सरकार कृषि उत्पादकता और खेती से होने वाली आय में वृद्धि के लिए नई-नई तकनीक के इस्तेमाल पर विशेष जोर दे रही है। नई तकनीक से खेती करने के लिए कई प्रकार की योजनाओं से किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। वर्तमान समय में कृषि क्षेत्र में कई नई तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे खेती करना काफी आसान हो गया है। खेती की इन नई-नई तकनीकों में से हम एक ऐसी तकनीक के बारे में बात कर रहे हैं, जो आधुनिक खेती का एक बेहतरीन उदाहरण है। यह आधुनिक तकनीक ड्रोन है, जो किसानों को काफी आकर्षिक कर रही है। खेती में ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल पर केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी भी दी जाती है। इसमें राज्य सरकारों द्वारा भी अपने-अपने स्तर पर योगदान दिया जाता है। अब उत्तर प्रदेश सरकार भी राज्य में ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल में अपना योगदान देने के लिए तैयारी कर रही है। क्योंकि केंद्र सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश राज्य में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए ड्रोन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह ड्रोन राज्य के युवाओं को सब्सिडी पर दिए जाएंगे। तो आइए ट्रैक्टरगुरू के इस लेख के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा यूपी को दिए जाने वाले ड्रोन एवं इन पर उपलब्ध ड्रोन सब्सिडी के बारे में जानते हैं।
दरअसल उत्तर प्रदेश राज्य में खेती बड़े पैमाने पर होती है। उत्तर प्रदेश में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश को कुल 32 ड्रोन उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है। बहुत जल्द उत्तर प्रदेश सरकार को केंद्र की ओर से कृषि कार्य के लिए ड्रोन दिए जाएंगे। प्रदेश की योगी सरकार के कई प्रयासों के बाद उत्तर प्रदेश को यह ड्रोन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। केंद्र सरकार की तरफ से 32 ड्रोन दिए जाएंगे। जिनमें से 4 कृषि विश्वविद्यालयों को, 10 कृषि विज्ञान केंद्रों और बाकी 18 आईसीएआरआई (इंडियन कौंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट) के संस्थानों को प्रदान किए जाएंगे। सरकारी सूचना के अनुसार बताया जा रहा है कि इन्हें खरीदने के लिए केंद्र सरकार की ओर से 5 करोड़ 60 लाख रुपए की धनराशि प्रदान की जा रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार खेतीबाड़ी में ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल को प्रोत्साहन देने पर गंभीरता से विचार कर रही है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्रदेश के किसान भी शीघ्र ही खेतीबाड़ी में ड्रोन तकनीक का प्रयोग कर सकेंगे। केंद्र सरकार भी प्रदेश में किसानों के बीच ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रही है। इसके अलावा ड्रोन के इस्तेमाल को आसान बनाने के लिए शिक्षित युवाओं को ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, ताकि वो आसानी से इसका संचालन कर सके।
किसान समूहों और कृषि विज्ञान में डिग्री रखने वाले युवाओं को सब्सिडी के आधार पर ड्रोन दिए जाएंगे। ड्रोन पर किसान समूहों को 40 फीसदी सब्सिडी दिए जाएंगे। कृषि विज्ञान में डिग्री रखने वाले युवाओं को ड्रोन खरीदने पर 50 फीसदी सब्सिडी मिलेगी। यानी 10 लाख रुपए के ड्रोन पर केवल 5 लाख रुपए ही खर्च करने होेंगे। इससे राज्य में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा साथ ही रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। सरकार द्वारा ड्रोन तकनीक पर सब्सिडी उपलब्ध करने मुख्य उद्देश्य है कि किसानों को कृषि संबंधित परेशानियां को दूर कर उनकी आय में वृद्धि करना है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कृषि में ड्रोन का इस्तेमाल से इस क्षेत्र में एक नई क्रांति आएगी। क्योंकि इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके जरिए समय की बचत होगी, साथ ही साथ कीटनाशक, दवा और उर्वरक की भी बचत होगी। ड्रोन के इस्तेमाल से एक एकड़ खेत में कीटनाशकों, वाटर सॉल्यूबल (पानी में घुलनशील) उर्वरकों एवं पोषक तत्वों का सिर्फ 7 से 10 मिनट के समय में छिड़काव कर सकते हैं।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, खेती में कीटनाशकों, वाटर सॉल्युबल (पानी में घुलनशील) उर्वरकों एवं पोषक तत्वों का इस्तेमाल घोलकर करने पर ज्यादा असरदार होता है। अगर यह छिड़काव ऊपर से किया जाए तो और ज्यादा असरदार होता है। इसके साथ ही सभी जगहों पर कीटनाशक और खाद का छिड़काव एक सामान्य मात्रा में होता है। इसके जरिए किसान प्रभावित जगह पर अच्छे से निर्धारित मात्रा में छिड़काव कर सकते हैं और उन्हें खेत के अंदर जाने की जरुरत नहीं होती है। इसलिए वो कीटनाशकों के संपर्क में आने से भी बचे रहते हैं। हर तरीके के पानी में घुलनशील खाद एवं पोषक तत्व भी अलग-अलग अनुपात में एक-एक किलो के पैकेट में उपलब्ध है। विशेषज्ञों के अनुसार परंपरागत रूप से खेतों में जिस खाद का किसान छिड़काव करते हैं, उसका 15 से 40 फीसदी ही फसल को प्राप्त होता है। जबकि पानी के साथ छिड़के जाने वाले उर्वरक का करीब 90 फीसद तक फसल को प्राप्त होता है। इससे फसल की बढ़वार बेहतर होती है। उपज भी अच्छी होती है। श्रम, समय और लागत में कमी के बावजूद अच्छी उपज से किसानों की आय बढ़ जाती है।
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