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डिजिटल क्रॉप सर्वे: पाँच जिलों के 831 गाँव का चयन किसानों को मिलेगा सरकार से इस योजना का लाभ

डिजिटल क्रॉप सर्वे: पाँच जिलों के 831 गाँव का चयन किसानों को मिलेगा सरकार से इस योजना का लाभ
पोस्ट -13 दिसम्बर 2023 शेयर पोस्ट

फसलों का डिजिटल सर्वे: सरकार ने केंद्र के साथ किया समझौता किसानों को मिलेगा इस योजना का लाभ

Digital Survey in Rabi season : देश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से कई तरह के प्रशंसनीय कार्य किए जा रहे हैं। कई राज्य सरकारें सुख-दुख की परिस्थितियों में अपने किसानों के साथ खड़ी है। यहां तक कि प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों और उनके परिजनों को राहत देने के लिए सरकारें अपने स्तर पर कई किसान कल्याण कार्य योजना भी चला रही है। इस बीच केंद्र एवं राज्य प्रायोजित योजनाओं का वास्तविक लाभ किसानों को समय पर मिल सके, इसके लिए राज्य सरकार द्वारा एक नई योजना की शुरूआत की गई है। इस योजना के माध्यम से राज्य के खेतों का डिजिटल सर्वे का कार्य शुरू किया गया है। बीते दिनों  शेखपुरा के आवेबाद शाहपुर गांव से खेत के डिजिटल सर्वे कार्य का शुभारंभ कर योजना की शुरूआत की गई। फिलहाल, पायलट प्रोजेक्ट के तहत रबी सीजन में पांच जिलों में फसलों का डिजिटल सर्वे होगा। इसमें शेखपुरा समेत नालंदा, मुंगेर, जहानाबाद और लखीसराय जिले शामिल है। आईए, जानते हैं सरकार के इस डिजिटल सर्वे से किसानों को क्या लाभ होगा?

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पांच जिलों के 831 गांव में डिजिटल सर्वे

राज्य के सभी खेतों का डिजिटल सर्वे करने के लिए बिहार सरकार ने राज्य में डिजिटल सर्वे योजना की शुरूआत की है। राज्य के शेखपुरा जिला के आवेबाद शाहपुर गांव से इस योजना की शुरूआत की गई। फिलहाल, इस योजना के पायलट प्रोजेक्ट के तहत राज्य के शेखपुरा के अतिरिक्त नालंदा, मुंगेर, लखीसराय और जहानाबाद जैसे पांच जिलों में रबी सीजन की फसलों का डिजिटल सर्वे होगा। पायलट प्रोजेक्ट के तहत रबी सीजन में डिजिटल सर्वे के लिए फिलहाल, इन 5 जिलों के 831 गांवों का चयन किया गया है। राज्य के शेष जिलों में खरीफ सीजन, 2024 में डिजिटल सर्वे का कार्य किया जाएगा। इसके पश्चात प्रत्येक सीजन में सभी फसलों के लिए सर्वे का काम किया जाएगा। कागज एवं डिजिटल नक्शा होने के कारण शेखपुरा के आवेबाद शाहपुर गांव का चयन किया गया है।

डिजिटल सर्वे का मुख्य उद्देश्य

राज्य के सभी खेतों का डिजिटल सर्वे करने का मुख्य उद्देश्य एक खास खेत अथवा खाता खसरा पर किस मौसम में कौनसी फसल बोई गई है कि जानकारी प्राप्त करना है। डिजिटल सर्वे के माध्यम से सरकार यह पता करना चाहती है कि राज्य के किस गांव में किस तरह की फसल का कितना उत्पादन होता है। सर्वे का फायदा यह होगा कि सरकार के पास राज्य में किसानों द्वारा बोई गई फसलों का सटीक आंकड़ा रहेगा। इससे किसानों को विपणन की सुविधा और आपातकालीन स्थिति में फसल बीमा संबंधित योजनाओं का वास्तविक लाभ समय पर मिल सकेगा।

सरकार ने केंद्र के साथ किया समझौता

राज्य के कृषि सचिव संजय कुमार अग्रवाल का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा एग्री स्टेक के तहत डिजिटल फसल सर्वे का कार्य करने के लिए बिहार सरकार के साथ समझौता किया गया है। इसके अंतर्गत बिहार के कृषि विभाग तथा राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के 15 पदाधिकारियों की एक टीम को नई दिल्ली में दो दिवसीय प्रशिक्षण दिलाकर इन्हें मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया गया। इसके पश्चात राज्य के दोनों विभागों के प्रशिक्षित पदाधिकारियों द्वारा बीते दिनों शेखपुरा जिला में डिजिटल क्रॉप सर्वे का काम पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया है।

किसान सलाहकार करेंगे क्रॉप सर्वे का कार्य

बिहार के पांच जिलों में चयनित 831 गांवों में डिजिटल क्रॉप सर्वे करने के लिए राज्य के राजस्व और कृषि विभाग की टीम लगी हुई है। दोनों विभागों के किसान सलाहकार क्रॉप सर्वे का काम करेंगे। पर्यवेक्षक (सुपरवाइज़र) उसे निर्देशांक (कोआर्डिनेट) करते हुए सत्यापित (वेरिफाइड) करेंगे। इसके बाद डाटा का मिलान किया जाएगा। तीनों मौसम में खेत में बोई गई फसल का छाया-चित्र (फोटो) भी लिया जाएगा। जिसके पश्चात वह पुन: से चेक किया जाएगा तब कहीं जाकर क्रॉप सर्वे का काम पूरा होगा। 

फसलों  पर कीटनाशक के छिड़काव में होगी आसानी

कृषि विभाग, बिहार सरकार की जानकारी के मुताबिक, राज्य के विभिन्न जिलों में तीनों सीजन के दौरान पारंपरिक फसलों के साथ कई महंगी किस्म फसलों की खेती भी किसानों द्वारा मुख्य रूप से की जाती है। जिनका उत्पादन राज्य के राजस्व के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था के लिए अहम होता है। लेकिन हर साल राज्य में विभिन्न प्रकार के खरपतवारों और कीटों के प्रकोप से किसानों द्वारा बोई गई फसलों को काफी नुक़सान होता है। जानकारी के अनुसार हर साल करीब 35 प्रतिशत फसल कीट, खरपतवार और जीवाणु के कारण खराब या बर्बाद हो जाती है। लेकिन अब राज्य सरकार द्वारा फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव करने का कार्य भी किया जाता है। सरकार कृषि ड्रोन की मदद से खेत में लगी फसल पर कीटनाशकों के छिड़काव करने पर किसानों को आर्थिक सहायता भी प्रदान करती है। ड्रोन के उपयोग से कीटनाशकों के छिड़काव से किसानों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। ड्रोन से छिड़काव करने से समय की बचत होती है। किसान ड्रोन के इस्तेमाल से कम समय एवं कम लागत में कीटनाशक का छिड़काव सरलता से कर सकते हैं। ऐसे में क्रॉप का डिजिटल सर्वे होने से फसलों पर कीटनाशक छिड़काव करने का काम पहले से और अधिक आसान हो जाएगा। इससे किसानों का पैसा, समय और श्रम तीनों की बचत होगी और उनकी आय बढ़ेगी।

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