फसल नुकसान मुआवजा : सरकार की ओर से किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। गुलाबी सुंडी के प्रकोप से कपास की फसल में हुए नुकसान की जानकारी देने के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला जाएगा। प्रभावित कपास के किसान मुआवजे के लिए नुकसान का ब्यौरा दर्ज कर सकेंगे। इससे किसानों को फसल नुकसान की भरपाई में सरकार को काफी मदद मिलेगी। दरअसल, हरियाणा के सात जिलों में पिंक बॉलवर्म (गुलाबी सुंडी) लग जाने के कारण कपास की खेती को काफी नुकसान हुआ है। इन जिलों में कपास की खेती में हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए हरियाणा के कृषि मंत्री जय प्रकाश दलाल ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उन्होंने कृषि एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोलने के निर्देश दिए हैं, जिससे किसान गुलाबी सुंडी के प्रकोप से कपास की फसल में हुए नुकसान की जानकारी दर्ज कर सकें। साथ ही सरकार जल्द से जल्द से कपास खेती में हुए नुकसान का सत्यापन कर मुआवजा की राशि प्रभावित किसानों के खाते में भेज सकें। आईए इस पोस्ट की मदद से संबंधित विषय के बारे में जानते हैं।
ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल को 1 अक्टूबर से खोलने के निर्देश
हरियाणा के कृषि मंत्री जय प्रकाश दलाल ने कृषि एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोलने के दिशा निर्देश दिए हैं। राज्य में ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल को 1 अक्टूबर से खोला जाएगा। इस पर कपास के किसान अपनी कपास की खेती में हुए नुकसान का ब्यौरा दर्ज करा सकेंगे। कृषि मंत्री चंडीगढ़ में कृषि और राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ कपास फसल में हुए नुकसान के संबंध में एक समीक्षा बैठक कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कृषि एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला जाए, ताकि किसान फसल में हुए नुकसान का ब्यौरा दर्ज करा सकें। साथ ही, उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि कपास फसल में हुए नुकसान का आंकलन कर रिपोर्ट सरकार को जल्द से जल्द प्रस्तुत करें। जिससे राजस्व विभाग द्वारा फसल में हुए नुकसान पर किसानों को मुआवजा दिया जा सके। बता दें कि ब्यौरा दर्ज किए बिना किसी भी किसान को फसल में हुए नुकसान पर मुआवजा न देने का प्रावधान है। इसलिए जिन कपास के किसानों को गुलाबी सुंडी से फसल में नुकसान हुआ है वे सभी ध्यान से इस पोर्टल पर ब्यौरा दर्ज करा दें। ताकि नुकसान का वेरिफिकेशन कर मुआवजा राशि खाते में भेजी जा सके।
मुआवजे की तय रकम
उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को कपास में गुलाबी सुंडी के प्रकोप से हुए नुकसान की भरपाई के लिए प्रत्येक गांव में कपास फसल के लिए फसल कटाई प्रयोगों को दोगुना करते हुए 4 से 8 करने के भी निर्देश दिए ताकि नुकसान का सटीक आंकलन किया जा सके। साथ ही उन्होंने फसल कटाई की वीडियोग्राफी करने के निर्देश भी दिए। जिससे कपास फसल में हुए नुकसान पर वित्तीय सहायता प्रदान की जा सके। उन्होंने कहा हरियाणा में मुआवजे की रकम फसल में हुए नुकसान की सीमा पर तय की है। अगर नुकसान की सीमा 25 से 50 प्रतिशत है, तो नुकसान के लिए 7 हजार रुपए प्रति एकड़ और 50 से 75 प्रतिशत नुकसान के लिए 9 हजार रुपए प्रति एकड़ तथा 75 प्रतिशत या इससे अधिक फसल नुकसान होने पर नुकसान के लिए 12500 रुपए प्रति एकड़ मुआवजा मिलेगा।
किसानों को हरियाणा फसल सुरक्षा योजना की सुविधा
समीक्षा बैठक में कृषि मंत्री ने कहा कि हरियाणा में कपास की खेती में गुलाबी सुंडी के प्रकोप से किसानों को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए हरियाणा सरकार ने फसल बीमा योजना की शुरूआत की है। कपास फसल में हुए नुकसान की भरपाई में यह योजना मदद करेगी। हरियाणा के हिसार, जींद, अंबाला, गुरुग्राम, करनाल, महेंद्रगढ़ और सोनीपत सहित कुल 7 जिलों में खरीफ सीजन में गुलाबी सुंडी (पिंक बॉलवर्म) के कारण कपास की खेती में काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया राज्य के कलस्टर-2 के अधीन इन सात जिलों में जिन कपास के किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल बीमा नहीं हुआ उनके लिए हरियाणा फसल सुरक्षा योजना (एचएफएसवाई) को शुरू किया गया है। यह योजना कपास के किसानों को आर्थिक मुश्किल से बाहर लाने के लिए शुरू की गई है। इसके तहत किसानों को 30 सितंबर तक मेरी फसल, मेरा ब्यौरा पोर्टल (एमएफएमबी) पर अपनी कपास की फसल का पंजीकरण करने के लिए फसल शुल्क का भुगतान करने के लिए कहा गया है। इसके बाद राज्य सरकार की ओर से किसानों को फसल कटाई प्रयोग के आधार पर नुकसान की सीमा के आधार पर तय मुआवजा की दरों से मुआवजा दिया जाएगा।
मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल (एमएफएमबी) भी खोलने के निर्देश
बैठक में मेरी फसल, मेरा ब्यौरा पोर्टल को भी तुरंत प्रभाव से खोलने के का निर्णय लिया गया है। इस पोर्टल के माध्यम से किसान अपनी फसल का ब्यौरा पंजीकृत करके अपनी फसल को सुरक्षित कर सकते हैं। इस पोर्टल पर अगर किसानों ने अभी तक फसल का ब्यौरा नहीं दिया है, तो उन्हें नुकसान के लिए मुआवजा नहीं मिलेगा। इसलिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल के साथ ही मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल को भी 3 दिन तक तुरंत प्रभाव से खोलने का निर्णय लिया गया है। जिले के जिन किसानों ने अभी तक अपनी फसलों का ब्यौरा इस पोर्टल पर दर्ज नहीं किया है, वे किसान अपनी फसल का ब्यौरा पंजीकृत करवाकर फसल उत्पाद को सुगमता से बेच सकते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि इस पोर्टल पर हरियाणा में किसानों द्वारा बोई गई फसल और उत्पादन को एमएसपी पर बेचने के लिए ब्यौरा देना होता है। इसके लिए किसानों को इस पोर्टल पर पंजीकृत करवाकर फसल का ब्यौरा दर्ज करना होता है। ऐसे नहीं करने पर किसानों को फसल नुकसान के लिए मुआवजा नहीं दिया जाता है।
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