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किसान ऋण राहत आयोग : किसानों को बड़ी राहत, अब बैंक जबरन नहीं वसूल सकेगा कर्ज

किसान ऋण राहत आयोग : किसानों को बड़ी राहत, अब बैंक जबरन नहीं वसूल सकेगा कर्ज
पोस्ट -31 जुलाई 2023 शेयर पोस्ट

कर्जदार किसानों की जमीन अब नहीं होगी नीलाम, सरकार ने बनाई ये खास योजना 

राजस्थान सरकार द्वारा किसानों को राहत पहुंचाने के लिए एक बड़ी योजना बनाई गई है। सरकार राज्य में किसान ऋण राहत आयोग बिल (Farmers Debt Relief Commission) लाने ला रही है। इस विधेयक के पारित होने के बाद किसान ऋण राहत आयोग के गठन का रास्ता साफ हो जाएगा। आयोग के गठन के बाद बैंक या कोई भी वित्तीय संस्थान किसी भी कारण से फसल बर्बाद होने की स्थिति में किसानों के ऊपर कर्ज वसूली के लिए दबाव नहीं बना सकेंगे। 

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किसान ऋण राहत आयोग : किसानों से जबरन कर्ज वसूलने वाले बैंकों पर होगी कार्रवाई

Farmers Debt Relief Commission Rajasthan : राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। जिसको लेकर पक्ष-विपक्ष द्वारा राज्य में जनसभाओं का आयोजन किया जा रहा है। सत्ता में आने के लिए विभिन्न पार्टियों द्वारा मौजूदा राजस्थान सरकार पर भ्रष्टाचार और किसानों से कर्ज में धोखाधड़ी करने और बैंकों द्वारा उनकी जमीन को नीलाम किए जाने का आरोप लगाया जा रहा है। इन आरोपों के बीच सत्ता में मौजूदा कांग्रेस सरकार द्वारा प्रदेश के लाखों किसानों को बड़ी राहत देने की योजना बनाई है। राजस्थान सरकार (Government Of Rajasthan ) किसान ऋण राहत विधेयक बिल लेकर आ रही है, जो किसानों को कर्ज में राहत प्रदान करने में मदद करेगा। 

राज्य की गहलोत सरकार इस विधेयक बिल को विधानसभा में 2 अगस्त यानी बुधवार को पेश करने जा रही है। इस बिल के पारित होते ही किसान ऋण राहत आयोग (Farmers Debt Relief Commission) के गठन का रास्ता साफ हो जाएगा। बता दें कि प्रदेश सरकार ने इस बिल को पारित करवाने की पूरी तैयारी कर ली है। आईये जानें आयोग के गठन के बाद किसानों को क्या लाभ होगा?

बैंक या कोई भी वित्तीय संस्थान ऋण वसूली के लिए नहीं बना सकेंगे दबाव

भारतीय जनता पार्टी द्वारा लगाए जा रहे आरोपों का खंडन करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राजस्थान सरकार विधानसभा में 2 अगस्त को ऋण राहत आयोग (Debt Relief Commission)  बिल पेश करने वाली है। यह विधेयक बिल किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं  होगा। इस बिल के पारित होने के बाद किसान ऋण राहत आयोग का गठन किया जाएगा। आयोग के गठन के बाद बैंक या कोई भी वित्तीय संस्थान किसी भी कारण से फसल बर्बाद होने की स्थिति में ऋण (Loan) वसूली के लिए दबाव नहीं बना सकेंगे। फसल खराब होने की स्थिति में किसान कर्ज (ऋण) माफी की मांग करते हुए को इस आयोग में आवेदन कर सकेंगे। ऋण राहत आयोग किसानों (Farmers) का ऋण माफ करने या फिर उनकी सहायता करने का निर्णय ले सकती है। बता दें कि फसल खराब होने की स्थिति में बैंकों द्वारा जमीन को जब्त या नीलाम करने और कर्ज वसूली के दौरान रिकवरी एजेंट्स द्वारा बदसलूकी का डर किसानों को लगा रहता है। किसानों को इसी में राहत देने के लिए इस आयोग का गठन किया जा रहा है। 

राजस्थान किसान ऋण राहत आयोग में अध्यक्ष सहित होंगे 5 सदस्य

राजस्थान किसान ऋण राहत आयोग में अध्यक्ष, राज्य अध्यक्ष सहित कुल 5 सदस्य होंगे। आयोग में अध्यक्ष हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज होंगे। वहीं, रिटायर्ड आईएएस, जिला और सेशन कोर्ट से सेवानिवृत्त जज, बैंकिंग सेक्टर में काम कर चुके अधिकारी और एग्रीकल्चर एक्सपर्ट को आयोग में सदस्य बनाया जाएगा, जो किसानों के कर्ज संबंधित मामले को देखेंगे। राहत आयोग का कार्यकाल 3 साल का होगा, जबकि आयोग में शामिल अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल भी 3 साल का ही होगा। सरकार चाहे तो अपने स्तर पर ऋण राहत आयोग की कार्यकाल की अवधि को बढ़ा सकती है और किसी भी सदस्य को हटा सकेगी।

कोर्ट की तरह होंगी आयोग की शक्तियां

किसान ऋण राहत आयोग बिल की तैयारी में लगे एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, ऋण राहत आयोग के पास कोर्ट की तरह शक्तियां होंगी। अगर राज्य के किसी भी क्षेत्र में किसी कारण फसल खराब हो जाती है और फसल खराब होने की स्थिति में किसान बैंक या अन्य किसी फाइनेंशियल संस्था का कृषि लोन चुकाने की स्थिति में नहीं होता है। ऐसी स्थिति में आयोग के पास उस क्षेत्र और किसान को संकटग्रस्त घोषित करने और राहत देने की शक्तियां होंगी। 
 
किसान को संकटग्रस्त घोषित कर उसे राहत देने का अधिकार

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यदि किसान कर्ज नहीं चुका पाने की हालत में आवेदन करता है या आयोग जांच पड़ताल कर खुद समझता है कि किसान की हालत वाकई खराब है तो वह उसे संकटग्रस्त किसान घोषित कर सकता है। 

संकटग्रस्त किसान का मतलब क्या है?

अगर काेई किसान फसल खराबे की वजह से अपने कृषि कर्ज को चुकाने में सक्षम नहीं है, तो ऐसी स्थिति में वह संकटग्रस्त या परेशान किसान कहलाएगा। ऐसी हालत से परेशान किसान से बैंक या अन्य किसी वित्तीय संस्थान के रिकवरी एजेंट्स जबरदस्ती कर्ज वसूली या कर्ज लौटाने का दबाव नहीं बना सकेगा।

उन्होंने कहा कि यह आयोग किसानों के साथ-साथ बैंक या संस्था के प्रतिनिधियों को भी सुनवाई का मौका देगा। किसान और क्षेत्र को संकटग्रस्त घोषित करने के बाद समझौते के तहत बैंकों से लिए गए कर्ज की अदायगी की प्रक्रिया भी निर्धारित करने का अधिकार किसान ऋण राहत आयोग को होगा। आयोग ऋण को री-शेड्यूल करने और ब्याज कम करने जैसे फैसले भी ले सकेगा। आयोग किसानों को दिए जाने वाले ऋण के संबंध में प्रक्रिया तय करने और सरल बनाने के लिए सलाह भी दे सकेगा। 

परेशान किसानों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए राहत आयोग अपनी रिपोर्ट में सरकार से किसानों का ऋण माफ करने की सिफारिश भी कर सकेगा। आयोग द्वारा लिए गए फैसले को सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती। आयोग किसी भी अधिकारी या व्यक्ति को तलब कर सकेगा। 

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