Farm Relief Package : केंद्र सरकार द्वारा “प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना” (पीएमएफबीवाई) चलाई जा रही है। इस योजना के तहत राज्यों में आपदाओं से क्षतिग्रस्त फसलों के नुकसान की भरपाई हेतु किसानों को मुआवजा के तौर पर सहायता राशि दी जाती है। इसके अलावा, राज्य सरकारों द्वारा अपने स्तर पर राजस्व जारी कर प्रभावित किसानों को राहत (relief) प्रदान की जाती है। इस कड़ी में गुजरात सरकार ने इस साल अगस्त में राज्य के कई हिस्सों में हुई भारी बारिश के कारण नुकसान का सामना करने वाले किसानों के लिए 1,419 करोड़ रुपए के राहत पैकेज (Relief Package) की घोषणा की है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) से 1,097.31 करोड़ रुपए और राज्य सरकार बजट से 322.33 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाएगा। सरकार के इस ऐलान से राज्य के सात लाख से अधिक किसानों को राहत मिलेगी। राज्य में अगस्त और सितंबर में हुई भारी बारिश से प्रभावित किसानों को प्रति हेक्टेयर 3500 रुपए से लेकर 22 हजार रुपए की सहायता प्रदान की जाएगी।
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल (Chief Minister Bhupendra Patel) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में किसान हित को लेकर निर्णय लिया गया है। इसमें राज्य में हाल ही में हुई अतिवृष्टि के बाद राज्य सरकार ने कृषि राहत पैकेज की घोषणा (Govt May Announce Agricultural Relief Package) की है। इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रवक्ता मंत्री ऋषिकेश पटेल ने बताया कि अगस्त-2024 के दौरान गुजरात के पंचमहल, सुरेंद्रनगर, नवसारी, देवभूमि द्वारका, खेड़ा, आनंद, भरूच, वड़ोदरा, मोरबी, जामनगर, कच्छ, तापी, दाहोद, डांग, अहमदाबाद, राजकोट, जूनागढ़, सूरत, पाटन और छोटा उदयपुर के 136 तालुकों के कुल 6812 गांवों में बारिश से भारी क्षति हुई है। इन तहसीलों में नुकसान-मूल्यांकन सर्वेक्षण के बाद राज्य सरकर द्वारा कृषि राहत पैकेज का ऐलान किया है। इससे प्रभावित किसानों की कृषि और बागवानी फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए सहायता दी जाएगी।
गुजरात में इस मानसून सीजन के दौरान कई जगहों पर भारी बारिश हुई। खासकर अगस्त माह में भारी बारिश से कई जिलों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई। भारी बारिश के कारण कई जगहों पर खेतों में पानी भर गया। राज्य के 20 जिले प्रभावित हुए, जिससे किसानों की कृषि और बागवानी फसलों को नुकसान हुआ। प्रभावित जिलों में टीमों का गठन कर सर्वे कराया गया और रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी गई, ताकि सरकार की ओर से किसानों को राहत देने के लिए पैकेज का ऐलान किया जा सके। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर सात लाख से अधिक प्रभावित किसानों को सहायता देने का फैसला राज्य सरकार की ओर से किया गया है।
प्रवक्ता मंत्री ने बताया कि प्रभावित किसानों को एसडीआरएफ-राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि के मानदंडों के अनुसार फसल नुकसान के लिए सहायता दी जाएगी। साथ ही राज्य निधि से राज्य बजट के तहत क्षति की गंभीरता पर विचार करते हुए अतिरिक्त 322.33 करोड़ रुपए की टॉप अप सहायता दी जाएगी। खरीफ 2024-25 सीजन में लगाई गई खरीफ असिंचित कृषि फसलों में 33 प्रतिशत या अधिक की क्षति पर एसडीआरएफ मापदंड के अनुसार 8,500 रुपए और राज्य के बजट के तहत 2,500 रुपए मिलाकर कुल 11 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की सहायता अधिकतम 2 हेक्टेयर के लिए दी जाएगी।
एसडीआरएफ मानदंडों के मुताबिक, वर्षा आधारित या सिंचित फसलों के 33 फीसदी या इससे अधिक नुकसान पर 17,000 रुपए और राज्य के बजट के तहत 5,000 रुपए मिलाकर कुल 22 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की सहायता 2 हेक्टेयर की अधिकतम सीमा के लिए दी जाएगी।
एसडीआरएफ मानदंडों के अनुसार, बारहमासी बागवानी फसलों में 33 प्रतिशत या उससे अधिक नुकसान होने की स्थिति में 22,500 रुपए प्रति हेक्टेयर की सहायता, अधिकतम 2 हेक्टेयर तक के लिए दी जाएगी। इसके अलावा, ऐसे मामलों में जहां भूमि जोत के आधार पर निर्धारित मानदंडों के अनुसार देय राशि 3,500 रुपए से कम होती हो, ऐसे मामले में प्रति खाता कम से कम 3500 रुपए का भुगतान करना होगा।
एसडीआरएफ के अतिरिक्त अंतर राशि का भुगतान राज्य बजट से किया जाएगा। इस पैकेज में असिंचित फसलों के लिए 475.71 करोड़ रुपए, सिंचित फसलों के लिए 942.54 करोड़ और बारहमासी फसलों के लिए 1.37 करोड़ रुपए कुल मिलाकर सहायता के रूप में 1419.62 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि किसानों को सहायता देने के लिए प्रभावित गांवों की सूची संबंधित जिला प्रशासन द्वारा घोषित की जाएगी। सहायता के लिए, प्रभावित गांवों के निश्चित नुकसान वाले किसानों को ग्राम स्तर पर ई-ग्राम केंद्र से सहायक साक्ष्य के साथ डिजिटल पोर्टल के माध्यम से आवेदन करना होगा। इसके पश्चात ही प्रभावित किसानों को हुए नुकसान के लिए सहायता दी जाएगी। बता दें कि, गुजरात में भारी बारिश के बाद किसानों ने हरित सूखा घोषित करने की भी मांग की। इस साल मनसून के लंबे समय तक खिंच जाने के कारण हाल ही में बारिश हुई। ऐसे में किसानों की हालत और भी मुश्किल हो गई है। जहां भारी बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया और फसलें भी बर्बाद हुईं।
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